Apple कंपनी के 10 प्रोडक्ट्स जिन्हें दुनिया ने कहा- ‘नहीं चाहिए’

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आइपॉड हाइ-फाई
आइपॉड हाइ-फाई एक पोर्टेबल म्यूजिक प्लेयर था। हालांकि खराब साउंड क्वालिटी की वजह से यह बाजार में पिट गया था।
 
 
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आइमैक
एप्पल ने माउस का कॉन्सेप्ट पेश किया था और आइमैक नाम की एक डिवाइस बनाई थी। यह पॉइंटिंग डिवाइस थी, लेकिन यह उपयोग में काफी कठिन एवं आकार में असुविधाजनक थी।
 
 
Apple TV
 
 
एप्पल टीवी
आज एप्पल टीवी की बिक्री हाथों-हाथ हो रही है लेकिन 1993 में जब स्टीव जॉब्स ने मैकिनटोश टीवी को बाजार में पेश किया था, तब यह फ्लॉप साबित हुआ था। जॉब्स चाहते थे कि लोग डेस्कटॉप में ही टीवी का मजा लें। लेकिन इस डिवाइस की केवल 10000 यूनिट्स ही बिक पाई थीं।
 
 
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पिपिन
बंडाय कंपनी द्वारा बनाया गया पिपिन एक गेम कंसोल था। यह एप्पल का पहला गेमिंग प्रॉडक्ट था, जिसे 1997 में बाजार में पेश किया गया था। इसकी केवल 42000 यूनिट्स ही बिक पाई थीं।
 
 
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एप्पल 3
एप्पल 2 की सफलता के बाद कंपनी ने एप्पल 3 को बनाया लेकिन इसका डिजाइन असुविधाजनक होने की वजह से लोगों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई और कंपनी को 14000 यूनिट्स वापस मंगवानी पड़ीं।
 
 
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न्यूटन पीडीए
1987 में बनाया गया न्यूटन पीडीए 11 वर्षों तक चलन में रहा। हालांकि इसका उपयोग काफी सीमित था।
 
 
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क्विकटेक
एप्पल ने क्विकटेक नाम से 1994 में पहला डिजिटल कैमरा लॉन्च किया था। लेकिन इसे समय से पहले उठाया गया कदम कहा जा सकता है, क्योंकि उस वक्त एनालॉग कैमरों का बाजार चरम पर था और लोगों ने डिजिटल कैमरे में रुचि नहीं दिखाई। इस वजह से 1997 में कंपनी को इसका उत्पादन बंद करना पड़ा।
 
 
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मैकिनटोश पोर्टेबल
एप्पल का पहला लैपटॉप कम्प्यूटर मैकिनटोश पोर्टेबल नाम से लॉन्च किया गया था। इसमें बैटरी लाइफ की समस्या तो थी ही, साथ ही 1989 में इसकी कीमत भी काफी ज्यादा थी। उस वक्त इसे 7,300 डॉलर में बेचा जाता था।
 
 
 
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पावर मैक जी4

एप्पल का पहला पतला कम्प्यूटर था पावर मैक जी4। इसे साल 2000 में लॉन्च किया गया था, लेकिन यह काफी महंगा था। इसकी कीमत 1,799 डॉलर थी। इसमें इंटरनल फैन न होने की वजह से यह कम्प्यूटर काफी गरम हो जाता था। आखिरकार एक साल के अंदर ही कंपनी को इस कम्प्यूटर का निर्माण बंद करना पड़ा था।
 
 
 
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आरओकेआर ई1
आरओकेआर ई1 फोन का निर्माण मोटोरोला द्वारा किया जाता था। लेकिन यह पला फोन था, जो आइट्यून्स को सपोर्ट करता था। एप्पल ने साल 2005 में आइट्यून्स को आधिकारिक रूप से लॉन्च किया था। इसकी स्टोरेज कैपेसिटी काफी लिमिटेड थी और फाइल ट्रांसफर स्पीड भी बेहद धीमी थी। इन सब खामियों की वजह से कंपनी ने मोटोरोला से करार खत्म कर दिया था।
 
 
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