प्रनीत एक बिजनेस फर्म में मैनेजर हैं. एक दिन वो अपने ऑफिस में बैठे काम कर रहे थे. तभी उनके फोन पर एक मेसेज आया. मेसेज बैंक की तरफ से था. मेसेज खोलकर देखा तो लिखा था- Dear Customer, acct XX1123 has been debited for Rs.10,000.00 on 10-Aug-18. मतलब आपके डेबिट कार्ड जिसे एटीएम कार्ड भी कहते हैं, से 10,000 रुपए निकाले जा चुके हैं. प्रनीत ने तुरंत अपना वॉलेट चैक किया तो देखा कि डेबिट कार्ड तो उसके वॉलेट में ही है. ऐसे में कोई कैसे उसके अकाउंट से पैसे निकाल सकता है. उन्होंने तुरंत बैंक में कॉल किया. अपना एटीएम ब्लॉक करवाया. प्रनीत ने सात दिन पहले आखिरी बार एटीएम से पैसे निकाले थे ऐसे मे आज अचानक ऐसा कैसे हुआ. पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई. जिस एटीएम से पैसे निकले पुलिस ने उसका सीसीटीवी फुटेज चैक किया. मुंह पर मास्क पहने हुए एक आदमी बाकयदा कार्ड से पैसे निकालते दिख रहा था. इससे पता चला कि यह एटीएम स्किमिंग का मामला है. एटीएम स्किमिंग क्या होती है, ये जानने से पहले एटीएम के बारे में थोड़ा जान लेते हैं.
कैसे काम करता है एटीएम?
एटीएम स्किमिंग का मतलब एटीएम का डाटा चुराकर उससे पैसे निकाल लेना. अब आप सोच रहे होंगे कि ये सब होता कैसे है, बताते हैं. पहले ये जानिए कि एटीएम कार्ड के अंदर आपका डाटा होता है. कैसे? कहां? कार्ड के पीछे एक मैग्नेटिक स्ट्रिप या चिप लगी रहती है. इस स्ट्रिप के अंदर कार्ड का नंबर, बैंक अकाउंट नंबर, एक्सपायरी डेट जैसी कई अहम जानकारियां होती हैं.
इसमें एटीएम के पिन नंबर की कोई डिटेल नहीं होती है क्योंकि कार्ड का पिन कभी भी बदला जा सकता है. और सारी डिटेल्स एटीएम कार्ड बनने से एक्सपायर होने तक सेम रहती हैं. ये सारी डिटेल्स एनकोडेड मतलब एक कोड की फॉर्म में सेव होती हैं. जब आप एटीएम में अपना कार्ड डालते हैं तो उसमें लगा कार्ड रीडर इसकी डिटेल्स को पढ़ लेता है. यह मशीन इन डिटेल्स को सर्वर के थ्रू बैंक को भेजती है. इसके बाद मशीन पिन मांगती है. पिन डालने पर यह वेरिफाई हो जाता है कि कार्ड को उसका मालिक ही इस्तेमाल कर रहा है. (एक ज्ञान की बात- बैंक नियमों के मुताबिक कार्ड को इस्तेमाल करने का अधिकार उसके मालिक के पास ही होता है. अगर कोई और इसका इस्तेमाल करता है तो यह नियमों के मुताबिक गलत है. ऐसे ट्रांजेक्शन में हुई किसी दिक्कत के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं होते हैं.) पिन डालने के बाद आप अपना ट्रांजेक्शन पूरा कर सकते हैं.
एटीएम स्किमिंग क्या होती है?
स्किमर एक मशीन होती है जिसमें एक कार्ड रीडर लगा होता है. इस स्किमर को एटीएम कार्ड रीडर में या कहीं ऊपर-नीचे लगा दिया जाता है. यह दिखने में कार्ड रीडर स्लॉट जैसा ही होता है इसलिए मशीन में कार्ड डालने वाले को पता नहीं चलता कि कोई गड़बड़ी है. जैसे ही कार्ड मशीन में डाला जाता है तो स्किमर इस कार्ड को रीड कर लेता है. और डेबिट कार्ड का सारा डाटा चीटर्स के पास पहुंच जाता है. इस डाटा को एटीएम जैसे एक दूसरे इलेक्ट्रॉनिक कार्ड में डाला जाता है. इसे क्लोन एटीएम कहते हैं. अब बारी आएगी पिन की. पिन की चोरी करने के लिए एटीएम के कीबोर्ड के ऊपर एक छोटा सा कैमरा लगा होता है. जब यूजर पिन डालता है तो यह कैमरे में रिकॉर्ड हो जाता है. फिर हैकर क्लोन एटीएम कार्ड से बड़ी आसानी से पैसे निकाल लेता है. ये सब कैसे काम करता है वो आप इस वीडियो में देखकर समझ सकते हैं.
इस फ्रॉड से बचने के उपाय
1. अपने एटीएम कार्ड को इस्तेमाल करने के लिए किसी और को न दें.
2. एटीएम मशीन इस्तेमाल करने से पहले आस-पास देख लें कि कोई अनावश्यक कैमरा या कोई संदिग्ध उपकरण तो नहीं लगा है.
3. कार्ड रीडर में कार्ड इंसर्ट करने से पहले कार्ड रीडर को अपने हाथ से चैक कर लें. स्किमर, कार्ड रीडर पर ऊपर लगा होता है. ऐसे में हाथ लगाकर देखने पर पता चल सकता है कि रीडर में कोई और मशीन लगी है या नहीं.
4. पिन डालते समय देख लें कि कीपैड सही है या नहीं. कीपैड के ऊपर अगर कोई कवर लगा हो तो जरूर ध्यान रखें.
5. अगर आपका कार्ड पुराना है तो इसे नए ईएमवी कार्ड से बदलवा लें. ईएमवी कार्ड में इलेक्ट्रॉनिक स्ट्रिप की जगह चिप लगी होती है. इस चिप के डाटा को स्किमर से कॉपी नहीं किया जा सकता है.
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