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adminJuly 12, 20211min00

गुरु पूर्णिमा को भारत में बहुत ही श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है। वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा पुण्य फलदायी होती है। परंतु हिंदी पंचांग का चौथा माह आषाढ़, जिसके पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसी दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। व्यास जी को प्रथम गुरु की भी उपाधि दी जाती है क्योंकि गुरु व्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व इस वजह से मनाया जाता है। इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आइये जानते हैं पूजा-विधि और गुरु पूर्णिमा के महत्व के बारे में।

शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- शुक्रवार 23 जुलाई को सुबह 10:34 बजे
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त- शनिवार 24 जुलाई को सुबह 08:06 बजे

पूजा विधि
प्रातःकाल सुबह-सुबह घर की सफाई करके स्नानादि से निपटकर पूजा का संकल्प लें। किसी साफ सुथरे जगह पर सफेद वस्त्र बिछाकर उसपर व्यास-पीठ का निर्माण करें। गुरु की प्रतिमा स्थापित करने के बाद उन्हें चंदन, रोली, पुष्प, फल और प्रसाद आदि अर्पित करें। इसके बाद व्यासजी, शुक्रदेवजी, शंकराचार्यजी आदि गुरुओं को याद करके उनका आवाहन करना चाहिए। इसके बाद ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

गुरु पूर्णिमा का महत्व
भारतीय सभ्यता में गुरुओं का विशेष महत्व है। भगवान की प्राप्ति का मार्ग गुरु के बताए मार्ग से ही संभव होता है क्योंकि एक गुरु ही है, जो अपने शिष्य को गलत मार्ग पर जाने से रोकते हैं और सही मार्ग पर जाने के लिए प्रेरित करते हैं। इस वजह से गुरुओं के सम्मान में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है?
भारत में गुरु पूर्णिमा के मनाये जाने का इतिहास काफी प्राचीन है। जब पहले के समय में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली हुआ करती थी तो इसका महत्व और भी ज्यादे था। शास्त्रों में गुरु को ईश्वर के समतुल्य बताया गया है, यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में गुरु को इतना महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। गुरु पूर्णिमा मनाने को लेकर कई अलग-अलग धर्मों के विभिन्न कारण तथा सारी मान्यताएं प्रचलित है, परंतु इन सभी का अर्थ एक ही है यानी गुरु के महत्व को बताना।

हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा से जुड़ी मान्यता
ऐसा माना जाता है कि यह पर्व महर्षि वेदव्यास को समर्पित है। महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन आज से लगभग 3000 ई. पूर्व हुआ था और क्योंकि उनके द्वारा ही वेद, उपनिषद और पुराणों की रचना की गयी है। इसलिए गुरु पूर्णिमा का यह दिन उनकी समृति में भी मनाया जाता है। सनातन संस्कृति में गुरु सदैव ही पूजनीय रहें है और कई बार तो भगवान ने भी इस बात को स्पष्ट किया है कि गुरु स्वंय ईश्वर से भी बढ़कर है। एक बच्चे को जन्म भले ही उसके माता-पिता देते है लेकिन उसे शिक्षा प्रदान करके समर्थ और शिक्षित उसके गुरु ही बनाते हैं। पुराणों में ब्रम्हा को गुरु कहा गया है क्योंकि वह जीवों का सृजन करते हैं उसी प्रकार गुरु भी अपने शिष्यों का सृजन करते हैं। इसके साथ ही पौराणिक कथाओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने सप्तिर्षियों को योग विद्या सिखायी थी, जिससे वह आदि योगी और आदिगुरु के नाम से भी जाने जाने लगे।

बौद्ध धर्म में गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
कई बार लोग सोचते है भारत तथा अन्य कई देशों में बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा गुरु पूर्णिमा का पर्व क्यों मनाया जाता है। इसके पीछे एक ऐतिहासिक कारण है क्योंकि आषाढ़ माह के शुक्ल पूर्णिमा के दिन ही महात्मा बुद्ध ने वर्तमान में वाराणसी के सारनाथ में पांच भिक्षुओं को अपना प्रथम उपदेश दिया था। यहीं पांच भिक्षु आगे चलकर ‘पंच भद्रवर्गीय भिक्षु’ कहलाये और महात्मा बुद्ध का यह प्रथम उपदेश धर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना गया। यह वह दिन था, जब महात्मा बुद्ध ने गुरु बनकर अपने ज्ञान से संसार प्रकाशित करने का कार्य किया। यहीं कारण है कि बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा भी गुरु पूर्णिमा का पर्व इतने धूम-धाम तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है।

जैन धर्म में गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
हिंदू तथा बौद्ध धर्म के साथ ही जैन धर्म में भी गुरु पूर्णिमा को एक विशेष स्थान प्राप्त है। इस दिन को जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा भी काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। जैन धर्म में गुरु पूर्णिमा को लेकर यह मत प्रचलित है कि इसी दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने गांधार राज्य के गौतम स्वामी को अपना प्रथम शिष्य बनाया था। जिससे वह ‘त्रिनोक गुहा’ के नाम से प्रसिद्ध हुए, जिसका अर्थ होता है प्रथम गुरु। यही कारण है कि जैन धर्म में इस दिन को त्रिनोक गुहा पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

आदियोगी शिवजी की कथा
गुरु पूर्णिमा के मनाये जाने को लेकर जो दूसरा मत प्रचलित है, वह योग साधना और योग विद्या से संबंधित है। जिसके अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव आदि गुरु बने थे, जिसका अर्थ प्रथम गुरु होता है। यह कथा कुछ इस प्रकार से है- आज से लगभग 15000 वर्ष पहले हिमालय के उपरी क्षेत्र में एक योगी का उदय हुआ। जिसके विषय में किसी को कुछ भी ज्ञात नही था, यह योगी कोई और नही स्वयं भगवान शिव थे। इस साधरण से दिखने वाले योगी का तेज और व्यक्तित्व असाधारण था। उस महान व्यक्ति को देखने से उसमें जीवन का कोई लक्षण नही दिखाई देता था। लेकिन कभी-कभी उनके आँखों से परमानंद के अश्रु अवश्य बहा करते थे। लोगो को इस बात का कोई कारण समझ नही आता था और वह थककर धीरे-धीरे उस स्थान से जाने लगे, लेकिन सात दृढ़ निश्चयी लोग रुके रहे। जब भगवान शिव ने अपनी आंखे खोली तो उन सात लोगों ने जानना चाहा, उन्हें क्या हुआ था तथा स्वयं भी वह परमानंद अनुभव करना चाहा लेकिन भगवान शिव ने उनकी बात पर ध्यान नही दिया और कहा कि अभी वे इस अनुभव के लिए परिपक्व नही है। हालांकि इसके साथ उन्होंने उन सात लोगो को इस साधना के तैयारी के कुछ तरीके बताये और फिर से ध्यान मग्न हो गये। इस प्रकार से कई दिन तथा वर्ष बीत गये लेकिन भगवान शिव ने उन सात लोगों पर कोई ध्यान नही दिया। 84 वर्ष की घोर साधना के बाद ग्रीष्म संक्रांति में दक्षिणायन के समय जब योगीरुपी भगवान शिव ने उन्हें देखा तो पाया कि अब वह सातों व्यक्ति ज्ञान प्राप्ति के लिये पूर्ण रुप से तैयार है तथा उन्हें ज्ञान देने में अब और विलंब नही किया जा सकता था। अगले पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने इनका गुरु बनना स्वीकार किया और इसके पश्चात शिवजी दक्षिण दिशा की ओर मुड़कर बैठ गये और इन सातों व्यक्तियों को योग विज्ञान की शिक्षा प्रदान की, यही सातों व्यक्ति आगे चलकर सप्तर्षि के नाम से प्रसिद्ध हुए। यही कारण है कि भगवान शिव को आदियोगी या आदिगुरु भी कहा जाता है।

पूर्णिमा पर क्या करेंं व क्या न करें…
भोजन : इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे मांस, मटन, चिकन या मसालेदार भोजन, लहसुन, प्याज आदि।

शराब : इस दिन किसी भी हालत में आप शराब ना पिएं क्योंकि इस दिन शराब का दिमाग पर बहुत गहरा असर होता है। इससे शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।

क्रोध : इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। एक बार नहीं, प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा होता रहता है तो व्यक्ति का भविष्य भी उसी अनुसार बनता और बिगड़ता रहता है।

भावना : जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्‍ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है। अत: भावनाओं में बहें नहीं खुद पर नियंत्रण रखकर व्रत करें।

स्वच्छ जल : चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं। अत: इस दिन जल की मात्रा और उसकी स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।

अन्य सावधानियां : इस दिन पूर्ण रूप से जल और फल ग्रहण करके उपवास रखें। यदि इस दिन उपवास नहीं रख रहे हैं तो इस दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करें तो ज्यादा बेहतर होगा। इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें।

शिष्य धर्म इस प्रकार है:

  • सदैव अपने गुरु की आज्ञा मानना
  • गुरु से उनका ज्ञान सीखने की पूरी कोशिश और उन्हें सहयोग देना।
  • गुरु की विपत्ति के समय रक्षा करना।
  • गुरु के सम्मान का सदैव ध्यान रखना, कभी उनके सामने उदंडता नही दिखानी, गुरु के सामने अपने ज्ञान का घमंड नही करना, गुरु का नाम लेने से पहले कानो को हाथ लगाना।
  • गुरु की पत्नी, कन्या, पुत्र को अपना परिवार का समझना, गुरु पुत्र को अपना भाई, गुरु कन्या को अपनी बहन, और गुरु माता को अपनी माता समान समझ कर व्यवहार करना।

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June 22, 20181min00

देश में मॉनसून ने दस्तक दे दी है… ऐसे में मानसून को लेकर आम लोगों के मन में कई सवाल होते हैं।

1. कैसे पता करते हैं कि मानसून आ गया है?

इसके लिए तीन पैरामीटर होते हैं :

1. बारिश : भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने तटीय इलाकों में 14 लोकेशन तय कर रखी हैं। इनमें 11 केरल (तिरुवनंतपुरुम, पुनलुर, कोल्लम, अलप्पूझा, कोट्यम, त्रिशूर, कोचि, कोझीकोड, थियासरी, कन्नुर और कुडूलू ), 2 लक्षद्वीप (मिनी कॉय और अमिनी दिवी) और एक कर्नाटक (मेंगलौर) में हैं। इन 14 लोकेशनों के कम से कम 60 फीसदी लोकेशनों पर (यानी कम से 9 लोकेशनों) पर लगातार दो दिन तक कम से कम 2.5 ML बारिश होनी चाहिए।
2. हवा : इन क्षेत्रों में हवा दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहने लगे और उसकी गति 25 से 30 किमी प्रति घंटा हो।
3. रेडिएशन : मौसम विज्ञान की भाषा में इसे OLR यानी आउटगोइंग लांगवेव रेडिएशन कहते हैं। इसकी मात्रा इन स्पेसिफिक लोकेशन में 200 वॉट स्क्वेअर मीटर से कम होनी चाहिए। इसका मतलब यह होता है कि जमीन के ऊपर बादल बनने शुरू हो गए हैं और उसके सूरज से आने वाले रेडिएशन को रोकना शुरू कर दिया है।

 

2. मैं कैसे जान सकता हूं कि मेरे शहर में मानसून आ गया है?

मौसम विभाग दो तरीके से मानसून की भविष्यवाणी करता है। एक, अप्रैल में जब केवल अंदाजा लगाया जाता है कि इस साल मानसून कैसा रहेगा। दूसरा, जून के मध्य में। इसमें रिजन वाइज मानसून की भविष्यवाणी की जाती है। इससे यह लगभग तय होता है कि किस रिजन में या किस शहर में मानसून कब पहुंचेगा। उस निर्धारित तारीख के आसपास जब हवा में नमी आने लगे, शहर या आसपास के 6 से 7 लोकेशन में दो से तीन दिन तक बारिश हो तो फिर स्थानीय अधिकारी मानसून की घोषणा करते हैं।

 

3. मेरे शहर में टाइम पर मानसून आएगा ही, इसकी क्या गारंटी है?

मानसून पूरा हवाओं की गति और दिशा पर निर्भर करता है। हवाओं की सटीक भविष्यवाणी करना तो सबसे टफ जॉब होता है। कई बार लोकल डिस्टरबेंस के कारण हवाओं की दिशा बदल जाती है, जिससे मानसून ब्रेक हो जाता है और निर्धारित समय पर नहीं पहुंच पाता।

 

4. गर्मी में अचानक बारिश क्यों होती है? क्या इसका संबंध मानसून से है?

गर्मी में बारिश लोकल वेदर सिस्टम के कारण होती है। बहुत अधिक गर्मी के कारण यह सिस्टम बनता है। इसका मानसून से कोई संबंध नहीं है।

 

5. जो तूफान आ रहे हैं, क्या उससे मानसून पर असर पड़ेगा?

नहीं। मानसून आने के पहले जो आंधी आती है, यह उसी का थोड़ा विकराल रूप है। यह अलग बात है कि इस बार आंधी-तूफान से मौतें ज्यादा हुई हैं। लेकिन इसका मानूसन पर कोई अच्छा या बुरा असर नहीं पड़ेगा।

 

6. गर्मी बहुत पड़ रही है? क्या यह मानसून के लिए अच्छा है?

ज्यादा गर्मी यानी ज्यादा बारिश। जब सतह ज्यादा गर्म होती है तो समुद्रों की ओर से आने वाली मानसूनी हवाओं की मात्रा बढ़ जाती है। वे अधिक पानी लेकर आती हैं।

 

7. कैसे पहचानें कि अब मानसून खत्म होने का समय आ गया है?

पूरा खेल हवाओं का होता है। हवाओं की गति जब दक्षिणी-पश्चिमी होती है तो मानसून की शुरुआत होती है। इसीलिए इसे दक्षिणी-पश्चिमी मानसून कहते हैं। जब हवाओं की गति बदलकर उत्तर-पूर्व हो जाती है तो यह मानसून के खत्म होने का संकेत होता है। हवाओं में बदलाव को मौसम वैज्ञानिक ही समझ सकते हैं, लेकिन आम लोगों के लिए सबसे बड़ा संकेत यह होता है कि वातावरण में नमी कम होने लगती है।


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June 19, 20181min00

Top 10 Most Populated Cities in the world

10. न्यूयॉर्क

देश : अमेरिका
जनसँख्या : 1 करोड़ 85 लाख

न्यूयॉर्क को अमेरिका की व्यापारिक राजधानी कहा जाता है और इसे वैश्विक अर्थव्यवस्था की धुरी भी माना जाता है | हर साल बहुत बड़ी तादाद में व्यापारी और नौकरी की तलाश में युवा इस शहर में आते है जिसके कारण इस शहर की जनसँख्या तेजी से बढ़ रही है |

 

9. मैक्सिको सिटी

देश : मैक्सिको
जन्संसंख्या : 2 करोड़ (अनुमानित)

मैक्सिको सिटी, उत्तरी अमेरिकन देश मेक्सिको का बहुत ही घनी आबादी वाला इलाका है और आज का मत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र भी है |

 

8. साओ पाउलो

देश : ब्राज़ील
जनसँख्या : 2 करोड़ (अनुमानित)

ब्राज़ील के जनसँख्या विभाग के अनुसार साओ पाउलो की जनसँख्या करीब 2 करोड़ है और इस शहर में 2,469 व्यक्ति प्रति किलोमीटर रहते है | इसके अलावा यह देश विश्व स्तर पर पर्यटकों का आकर्षण केंद्र भी है और ब्राज़ील का इकनोमिक केंद्र भी |

 

7. कराची

देश : पाकिस्तान
जनसँख्या : 2 करोड़ 5 लाख (अनुमानित)

कराची, पाकिस्तान की व्यापारिक राजधानी है और इसे छोटा पाकिस्तान भी कहा जाता है | कराची, पाकिस्तान का सबसे प्रमुख बंदरगाह है और इसके सिंध प्रान्त की राजधानी है | पिछले कुछ समय में रोजगार की तलाश में आने वाले लोगो की वजह से इस शहर की जनसँख्या तेजी से बढ़ी है |

 

6. मनीला

देश : फिलीपींस
जनसँख्या : 2 करोड़ 7 लाख (अनुमानित)

मनीला शहर की जनसँख्या करीब 2 करोड़ 7 लाख है है और यह हमारी लिस्ट में छठे स्थान पर है | मनीला, फिलीपींस की राजधानी है और इस शहर की जन्म दर पिछले कुछ समय से तेजी से बड़ी है |

 

5. शंघाई

देश : चीन

जनसँख्या : 2 करोड़ 23 लाख (अनुमानित)

शंघाई दुनियाँ की पांचवी सबसे जनसँख्या वाला शहर है, जिसकी जनसँख्या तेजी से बढ़ रही है तथा इस शहर की आबादी इतनी घनी है की 1 किलोमीटर के क्षेत्र में लगभग 3,700 लोग रहते है | शंघाई शहर हमारी लिस्ट में पांचवे नंबर पर है |

 

4. दिल्ली

देश : भारत
जनसँख्या : 2 करोड़ 24 लाख (अनुमानित)

दिल्ली, भारत की सबसे ज्यादा जनसँख्या वाला शहर है और यह भारत की राजधानी भी है | दिल्ली में एशिया के कुछ सबसे बड़ी बाजार भी है, जहाँ से पुरे एशिया के साथ दुनिया के अलग अलग हिस्सों से भी आयात-निर्यात होता है | यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली की जनसँख्या साल 2030 में 3 करोड़ 60 लाख से भी ज्यादा हो जायेगी |

 

3. सीओल

देश : साउथ कोरिया
जनसँख्या : 2 करोड़ 25 लाख (अनुमानित)

सीओल, दक्षिण कोरिया का सबसे बड़ा व सबसे ज्यादा जनसँख्या वाला शहर है तथा सीओल की जीडीपी पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है और इस शहर की प्रति व्यक्ति आय भी दुनिया में सबसे ज्यादा मानी जाती है |

 

2. जकार्ता

देश : इंडोनेशिया
जनसँख्या : 2 करोड़ 60 लाख (अनुमानित)

जकार्ता हमारी लिस्ट में दुसरे नंबर पर है और यह दुनिया में दूसरी सबसे घनी जनसँख्या वाला शहर भी है जिसकी जनसँख्या करीब 2 करोड़ 60 लाख है | जकार्ता शहर इंडोनेशिया की राजधानी भी है जिसकी जनसँख्या 1.5% प्रतिबर्ष की गति से बढ़ रही है |

 

1. टोक्यो

देश : जापान
जनसँख्या : 3 करोड़ 27 लाख (अनुमानित)

टोक्यो, जापान की राजधानी है और कावासाकी, सगामिहरा और योकोहामा भी टोक्यो के क्षेत्र के अंतर्गत आते है, जिसके कारण यह महानगर दुनियाँ का सबसे ज्यादा बड़ा और जनसँख्या वाला क्षेत्र है और हमारी लिस्ट में यह नंबर वन पर है | पिछले कुछ समय में इस शहर की जनसँख्या में कुछ कमी आयी है लेकिन फिर भी यह अभी तक दुनिया का सबसे बड़ा और जनसँख्या वाला नगर है |


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June 14, 20181min00

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. ढिंचैक पूजा, प्रिया प्रकाश वारियर, डब्बू अंकल और अब एक और अंकल का वीडियो वायरल हो रहा है. टीवी शो में एक अंकल ने ऐसा डांस किया कि माधुरी दीक्षित भी देखकर हैरान रह गईं. वहां देखने वाले सभी लोग आंखें फाड़-फाड़कर उनका डांस देख रहे थे. सोशल मीडिया पर ये वीडियो काफी वायरल हो रहा है. लोग इन अंकल की तुलना डब्बू अंकल से कर रहे हैं जिनका हालही में गोविंदा डांस काफी वायरल हुआ था. लोग इन अंकल को डब्बू अंकल से भी अच्छा डांसर बता रहे हैं.

रातोंरात उनका ये वीडियो वायरल हो गया है. मशहूर पंजाबी सिंगर सुखबीर सिंह का ‘इश्क तेरा तड़पावे’ पर अंकल ने शानदार परफॉर्मेंस दी. रिएलिटी शो में उनके डांस को देखकर हर कोई हैरान है. उन्होंने ऐसे-ऐसे मूव्स किए जिसको देख मंजे हुए डांसर भी देखते रह जाए. इस वीडियो को एक पेज ने शेयर किया है. इस वीडियो को 38 हजार शेयर्स, 1 मिलियन से ज्यादा व्यूज और 24 हजार से ज्यादा रिएक्शन्स मिल चके हैं.

 

देखें वीडियो-


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June 14, 20181min00

हमारा देश हिंदुस्तान दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश है और विशेषज्ञों के अनुसार कुछ ही सालों में यह चीन को पछाड़ कर पहले नंबर पर आ सकता है| भारत में बढ़ती जनसंख्या की समस्या इतनी ज्यादा है की रोड पर निकलते ही आपको लगता है कि मानो यहां इंसान नहीं चीटियां रेंग रही है| हर पब्लिक ट्रांसपोर्ट, ट्रेन, मेट्रो, टैक्सी और प्राइवेट गाड़ियां तक मिलकर इस जनसंख्या को ढोने में नाकामयाब हो चुकी है और जहां तक नजर दौडाओ केवल नरमुंड ही नरमुंड नजर आते हैं|

दोस्तों आज हम आपको भारत की जनसंख्या से जुड़े कुछ ऐसे फैक्ट्स बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर यकीनन आप चौंक जाओगे, तो चलिए जल्दी से हम जान लेते हैं भारत की जनसंख्या से जुड़े कुछ इंटरेस्टिंग फैक्ट्स :

 

# Facts 1. क्या आप जानते हैं की भारत और पाकिस्तान में मुस्लिमों की टोटल जनसंख्या लगभग बराबर है| यानी कि जितने मुस्लिम भारत में रहते हैं, लगभग उतने ही मुस्लिम पाकिस्तान में भी रहते हैं, लेकिन पाकिस्तान में वहां की मुस्लिम जनसंख्या, कुल जनसंख्या का 97 परसेंट है, जबकि भारत में मुस्लिम जनसंख्या भारत की कुल जनसंख्या का 14 परसेंट है|

वैसे 14 परसेंट एक सरकारी आंकड़ा है और कुछ विशेषज्ञ इस आंकड़े पर गंभीर मतभेद बताते हैं, तथा इस आंकड़े को वह 20 से 25 परसेंट के करीब करार देते हैं|

 

 

# Facts 2. भारत में जनसंख्या का कितना बुरा हाल है यह दिखाने के लिए हम आपको यह तस्वीर दिखा रहे हैं| इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि भारत में जो लाल हिस्सा दिखाया गया है उतनी ही जनसंख्या पूरे नीले हिस्से में रहती है|

 

# Facts 3. दिल्ली में मेट्रो इसलिए चलाई गई थी ताकि लोगों को सुकून मिल सके और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को राहत मिले लेकिन मेट्रो की फुल 100% कैपेसिटी देने के बावजूद भी दिल्ली में मेट्रो व्यवस्था चरमराने लगी है और इसमें भीड़ इतनी होती है कि कभी-कभी तो भीड़ की वजह से ही मेट्रो रूक तक जाती है|

लेकिन दिल्ली की मेट्रो से भी ज्यादा बुरा हाल मुंबई की लोकल ट्रेनों का है मुंबई की लोकल ट्रेन में हर दिन करीब 75.8 लाख लोग सफर करते हैं| मतलब की जितने लोग मुंबई की लोकल ट्रेनों में सफर करते हैं उतनी तो कई देशों की कुल जनसंख्या है| इसमें आप न्यूजीलैंड और बुल्गारिया को भी शामिल कर सकते हैं|

 

# Facts 4. भारत के राजनीतिक रुप से काफी महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश की जनसंख्या दुनिया के 5 में सबसे बड़े देश ब्राजील की कुल जनसंख्या से भी अधिक है| 2013 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 20 करोड़ 42 लाख थी और ब्राजील की जनसंख्या 20 करोड़ 4 लाख|

 

# Facts 5. भारत सरकार और अन्य राज्य सरकारें दावा करती है कि भारत में युवाओं को रोजगार देंगे| लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल 2011 में ही भारत में छात्रों की संख्या 31 करोड़ थी| जो कि दुनिया के सबसे बड़े देशों में शामिल रूस की जनसंख्या से भी कहीं ज्यादा है|

 

# Facts 6. क्या आप जानते हैं कि पूरे ब्रिटेन में जितने लोग अंग्रेजी बोलते हैं उससे कहीं ज्यादा लोग भारत में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हैं तथा भारत में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है जो कि इंग्लिश बोलती है|

 

# Facts 7. यह भारत की बढ़ती जनसंख्या का ही प्रभाव है कि 2013 का कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा मेला/आयोजन माना गया| जहां पर 12 करोड़ लोग पहुंचे थे| यह जनसंख्या पूरे मैक्सिको की जनसंख्या के बराबर है|

 

# Facts 8. 1920 से लेकर 2001 यानी 100 सालों के बीच भारत की जनसंख्या करीब 332% तक बढ़ी है| 1920 में भारत की जनसंख्या 23 करोड़ 80 लाख थी, जबकि 2001 में हमारी जनसंख्या 1.5 अरब हो चुकी है|

 

# Facts 9. आज भी भारत के शहरों की विशाल आबादी गंदी बस्तियों में रहती है| एक अनुमान के अनुसार यह करीब 6.5 करोड़ लोग हैं, जोकि झुग्गी-झोपड़ियों या लगभग स्लम बन चुकी जैसी कॉलोनियों में रहते हैं| यह जनसंख्या थाईलैंड की जनसंख्या के बराबर है|

 

# Facts 10. यह बहुत चौका देने वाला और मजेदार तथ्य है की पूरे भारत की कुल जनसंख्या का घनत्व 30582 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है| वही बिहार की जनसंख्या का घनत्व 1102 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है| आप देख सकते हैं कि यह एक कॉफी चिंताजनक और चौका देने वाला आंकड़ा है|

 

# Facts 11. दोस्तों क्या आप जानते हैं की 2001 से 2011 के बीच तक भारत की जनसंख्या का विकास पूरे पाकिस्तान की जनसंख्या से भी ज्यादा था| है ना मजेदार बात कि हम इस मामले में भी पाकिस्तान से कहीं ज्यादा आगे है|


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June 14, 20181min00

पति-पत्नी का रिश्ता बेहद खास और नाजुक होता है. इस रिश्ते पर सिर्फ वे ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ी भी आधारित होती है. इसलिए ये जरूरी है कि रिश्ते में परस्पर प्रेम, विश्वास और मधुरता बनी रहनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता तो शादीशुदा जिंदगी नरक बन जाती है. इस रिश्ते में छिपी एक राज की बात हम आपको बता दें कि पत्नी को खुश करना ज्यादा मुश्किल नहीं होता. बहुत छोटी छोटी से बातें हैं जिनका ख्याल रखकर हम इस रिश्ते को तरोताजा बनाए रख सकते हैं. चूंकि घर-गृहस्थी का पूरा दामोदार बीवी पर होता है तो हमारी कोशिश होनी चाहिए कि वे खुश रहें और घर भर में चहकती रही. इसके लिए आपको ज्यादा माथापच्ची करने की जरूरत नहीं है. हमारे बताए हुए टिप्स अपनाकर आप बीवी को खुश कर सकते हैं और किच किच दूर कर सकते हैं

 

1. गुजारें अंतरंग पल

नई-नई शादी होने पर हर पत्नी चाहती है कि उसका पति हर पल उसके साथ रहे. क्योंकि उस वक्त वो अपना सबकुछ एक इंसान के लिए छोड़कर आती है नए रिश्तों को लेकर तनाव में भी होती हैं तो ऐसे में वे उम्मीद करती हैं जिस शख्स के लिए उन्होंने ऐसा किया वो कम से कम कुछ वक्त तो उनके (बीवी) के साथ गुजारे. लेकिन उस दौरान परिवारजनों व रिश्तेदारों में नवविवाहित दम्पति इतना अधिक उलझ जाते हैं कि उन्हें एक-दूजे के साथ अकेले में वक्त गुजारना बेहद मुश्किल हो जाता है. विवाह का शुरुआती दौर एक ऐसा दौर होता है जब पति-पत्नी दोनों को एक-दूसरे के साथ व प्यार की जरूरत होती है. ऐसे में पति को चाहिए कि वह अपनी पत्नी के साथ अकेले में ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताए.

 

2. पत्नी की तारीफ करें

तारीफ तो हर किसी को अच्छी लगती है वो महिला हो या पुरुष. और अगर बात अपनी पत्नी को हो तो इसमें हर्ज ही क्या है. नई नवेली दुल्हन के लिए तारीफ बहुत मायने रखती है. इस दौर में वह अपने पति के लिए हर दिन नया श्रंगार करती है. जब भी पत्नी का मूड खराब हो या वह बहुत सुंदर लग रही हो तो ऐसे में उसकी तारीफ करने का अवसर न गंवाएं और दिल खोलकर अपनी पत्नी की तारीफ करें.

 

3. ससुराल की तारीफ करें

हर पत्नी को अपने मायके से बहुत लगाव होता है. मायकेवालों के बारे में कहे गए किसी भी अपशब्द से उसके दिल को आघात पहुँचता है. अत: पत्नी को खुश रखने के लिए भूलकर भी आप अपने ससुरालवालों की खामियों का बखान उसके सामने न करें.

 

4. उनकी पसंद की बात करें

आपकी कोशिश रहनी चाहिए की पत्नी की पसंद के अनुरूप कार्य करें, मतलब ये नियम अपनाएं “जो तुमको हो पसंद वही बात कहेगें” फिर चाहे वह टीवी देखने का हो या फिर घूमने का, उनकी पसंद को अपनी पसंद बनाएं.

 

5. बीवी के लिए टाइम निकाले

आप चाहें कितने भी व्यस्त क्यों ना हों, पर एक-दूसरे को समय जरूर दें क्यों कि कई बार समय की कमीं के कारण रिश्ते बिखरने लगते हैं, इसलिए अपने पार्टनर के लिए समय जरूर निकालें और एक-दूसरे के घर की कमियां ना गिनाकर कुछ अच्छी बातें करें.

 

6. पत्नी को दें तवज्जो

पति को चाहिए कि वह अपनी नई नवेली दुल्हन को खरीददारी या किसी निर्णय के मामले में पूरा-पूरा तवज्जो दे. पत्नी को आजादी देने पर उसका आपके प्रति विश्वास और भी मजबूत होगा. यदि आप विवाह के शुरुआती दौर से ही अपनी पत्नी के हर काम में रोक-टोक करेंगे तो इससे उसके मन में आपके प्रति नकारात्मक विचार पैदा होंगे.

 

7. झगड़े नहीं, छोड़ने की धमकी ना दें

बार-बार अपने पार्टनर को छोड़ देने की धमकी ना दें, इससे रिश्ते की डोर कमजोर होती है. आमतौर पर ये माना जाता है कि शादी के बाद प्रेम और परिपक्व हो जाता है,इसलिए प्रेम को और बढाएं ना कि कम होने दें.


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June 14, 20181min00
अक्सर लोग परेशान रहते हैं कि उन्हें कंपनी के काम से खुद के साधन से बाहर जाना पड़ता है। इस वजह से कई बार ऑफिस में अनबन भी हो जाती है। ऐसे में अगर कंपनी आपको बाहर जाने के लिए खुद का प्लेन दे दे तो लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। अब आप सोच रहे होंगे कि क्या ऐसा संभव है तो हां बिल्कुल। एक ऐसी कंपनी सामने आई जिसमें ऑफिस इम्पलॉय को प्लेन से आने जाने की सुविधा दी गई है।
यहां मिलता है पर्सनल प्लेन:
ह्यूस्टन स्थित लॉ फर्म पैटरसन और शेरिडन ने सैन फ्रांसिस्को में कंपनी ने वकीलों को बाहर आने जाने के लिए प्लेन की सुविधा शुरु की है। ग्राहकों से मिलने के लिए अपने वकीलों को भेजने के लिए ये प्लेन सेवाएं चालू की हैं। जिसके लिए कंपनी ने 3 मिलियन डॉलर खर्च करके निजी प्लेन खरीदा है।
क्या है इसका कारण:
कंपनी ने इसके पीछे का करण यह बताया कि उन्हें स्थानीय वकील हायर करना काफी मंहगा पड़ रहा था और क्योंकि स्थानीय वकीलों को हायर करने का खर्चा एक प्लेन से अपने कर्मचारियों को फिल्डवर्क पर भेजने से भी मंहगा था। कंपनी का कहना है कि यह इससे उनकी प्रतिष्ठा बढ़ी है और अब वहां के कर्मचारी भी बहुत खुश रहते हैं। सबसे बड़ी चीज़ कंपनी का पैसा भी बहुत ज्यादा अब बच जाता है।

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June 14, 20181min00

क्या है पाताल लोक और क्या है इसका रहस्य। क्या पाताल लोक में वास्तव में दैत्य या नाग प्रजाति के रहस्यमयी लोग रहते है या पाताल लोक में वास्तव  में पुराणों में वर्णित राक्षसों का राज्य है? आइये इन्ही सब सवालो के जवाब जानते हैं, हमारी आज की इस पोस्ट में:

पाताल लोक पुराणों में वर्णित एक लोक माना जाता रहा है कई लोग इसे नकारते हैं तो कई लोग इसे मानते भी हैं। पाताल लोक को समुद्र के नीचे का लोक भी कहा जाता है । आइये जानते हैं पाताल लोक के बारें में और उसके रहस्यों के बारे में। यह जानकारी हम किसी ब्लाग से आपको साझा कर रहे हैं।

इस भू-भाग को प्राचीनकाल में प्रमुख रूप से 3 भागों में बांटा गया था- इंद्रलोक, पृथ्वी लोक और पाताल लोक। इंद्रलोक हिमालय और उसके आसपास का क्षेत्र तथा आसमान तक, पृथ्वी लोक अर्थात जहां भी जल, जंगल और समतल भूमि रहने लायक है और पाताल लोक अर्थात रेगिस्तान और समुद्र के किनारे के अलावा समुद्र के अंदर के लोक। पाताल लोक भी 7 प्रकार के बताए गए हैं। जब हम यह कहते हैं कि भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया था तो किस पाताल का? यह जानना भी जरूरी है। 7 पातालों में से एक पाताल का नाम पाताल ही है।

 

कौन रहता है पाताल में? :

हिन्दू धर्म में पाताल लोक की स्थिति पृथ्वी के नीचे बताई गई है। नीचे से अर्थ समुद्र में या समुद्र के किनारे। पाताल लोक में नाग, दैत्य, दानव और यक्ष रहते हैं। राजा बालि को भगवान विष्णु ने पाताल के सुतल लोक का राजा बनाया है और वह तब तक राज करेगा, जब तक कि कलियुग का अंत नहीं हो जाता। राज करने के लिए किसी स्थूल शरीर की जरूरत नहीं होती, सूक्ष्म शरीर से भी काम किया जा सकता है। पुराणों के अनुसार राजा बलि अभी भी जीवित हैं और साल में एक बार पृथ्वी पर आते हैं। प्रारंभिक काल में केरल के महाबलीपुरम में उनका निवास स्थान था।

पुराणों के अनुसार इस ब्रह्मांड में पृथ्वी, वायु, अंतरिक्ष, आदित्य (सूर्य), चंद्रमा, नक्षत्र और ब्रह्मलोक हैं। धरती शेष पर स्थित है। शेष अर्थात खाली स्थान। खाली स्थान में भी बचा हुआ स्थान ही तो होता है।

हिन्दू इतिहास ग्रंथ पुराणों में त्रैलोक्य का वर्णन मिलता है। ये 3 लोक हैं- 1. कृतक त्रैलोक्य, 2. महर्लोक, 3. अकृतक त्रैलोक्य। कृतक और अकृतक लोक के बीच महर्लोक स्थित है। कृतक त्रैलोक्य जब नष्ट हो जाता है, तब वह भस्म रूप में महर्लोक में स्थित हो जाता है। अकृतक त्रैलोक्य अर्थात ब्रह्म लोकादि, जो कभी नष्ट नहीं होते।

विस्तृत वर्गीकरण के मुताबिक तो 14 लोक हैं- 7 तो पृथ्वी से शुरू करते हुए ऊपर और 7 नीचे। ये हैं- भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक और ब्रह्मलोक। इसी तरह नीचे वाले लोक हैं- अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल , महातल और पाताल।

 

1. कृतक त्रैलोक्य :

कृतक त्रैलोक्य जिसे त्रिभुवन भी कहते हैं, पुराणों के अनुसार यह लोक नश्वर है। गीता के अनुसार यह परिवर्तनशील है। इसकी एक निश्‍चित आयु है। इस कृतक ‍त्रैलोक्य के 3 प्रकार है- भूलोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक (स्वर्ग)।

 

A. भूलोक :

जितनी दूर तक सूर्य, चंद्रमा आदि का प्रकाश जाता है, वह पृथ्वी लोक कहलाता है। हमारी पृथ्वी सहित और भी कई पृथ्वियां हैं। इसे भूलोक भी कहते हैं।

 

B. भुवर्लोक :

पृथ्वी और सूर्य के बीच के स्थान को भुवर्लोक कहते हैं। इसमें सभी ग्रह-नक्षत्रों का मंडल है।

 

C. स्वर्लोक :

सूर्य और ध्रुव के बीच जो 14 लाख योजन का अंतर है, उसे स्वर्लोक या स्वर्गलोक कहते हैं। इसी के बीच में सप्तर्षि का मंडल है।

 

अब जानिए भूलोक की स्थिति :

पुराणों के अनुसार भूलोक को कई भागों में विभक्त किया गया है। इसमें भी इंद्रलोक, पृथ्‍वी और पाताल की स्थिति का वर्णन किया गया है। हमारी इस धरती को भूलोक कहते हैं। पुराणों में संपूर्ण भूलोक को 7 द्वीपों में बांटा गया है- जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। जम्बूद्वीप सभी के बीचोबीच है। सभी द्वीपों में पाताल की स्थिति का वर्णन मिलता है।

हिन्दू धर्मग्रंथों में पाताल लोक से संबंधित असंख्य घटनाओं का वर्णन मिलता है। कहते हैं कि एक बार माता पार्वती के कान की बाली (मणि) यहां गिर गई थी और पानी में खो गई। खूब खोज-खबर की गई, लेकिन मणि नहीं मिली। बाद में पता चला कि वह मणि पाताल लोक में शेषनाग के पास पहुंच गई है। जब शेषनाग को इसकी जानकारी हुई तो उसने पाताल लोक से ही जोरदार फुफकार मारी और धरती के अंदर से गरम जल फूट पड़ा। गरम जल के साथ ही मणि भी निकल पड़ी।

पुराणों में पाताल लोक के बारे में सबसे लोकप्रिय प्रसंग भगवान विष्णु के अवतार वामन और राजा बलि का माना जाता है। बलि ही पाताल लोक के राजा माने जाते थे।

रामायण में भी अहिरावण द्वारा राम-लक्ष्मण का हरण कर पाताल लोक ले जाने पर श्री हनुमान के वहां जाकर अहिरावण का वध करने का प्रसंग आता है। इसके अलावा भी ब्रह्मांड के 3 लोकों में पाताल लोक का भी धार्मिक महत्व बताया गया है।

 

पाताल में जाने के रास्ते :

आपने धरती पर ऐसे कई स्थानों को देखा या उनके बारे में सुना होगा जिनके नाम के आगे पाताल लगा हुआ है, जैसे पातालकोट, पातालपानी, पातालद्वार, पाताल भैरवी, पाताल दुर्ग, देवलोक पाताल भुवनेश्वर आदि। नर्मदा नदी को भी पाताल नदी कहा जाता है। नदी के भीतर भी ऐसे कई स्थान होते हैं, जहां से पाताल लोक जाया जा सकता है। समुद्र में भी ऐसे कई रास्ते हैं, जहां से पाताल लोक पहुंचा जा सकता है। धरती के 75 प्रतिशत भाग पर तो जल ही है। पाताल लोक कोई कल्पना नहीं। पुराणों में इसका विस्तार से वर्णन मिलता है।

कहते हैं कि ऐसी कई गुफाएं हैं, जहां से पाताल लोक जाया जा सकता है। ऐसी गुफाओं का एक सिरा तो दिखता है लेकिन दूसरा कहां खत्म होता है, इसका किसी को पता नहीं। कहते हैं कि जोधपुर के पास भी ऐसी गुफाएं हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि इनका दूसरा सिरा आज तक किसी ने नहीं खोजा। इसके अलावा पिथौरागढ़ में भी हैं पाताल भुवनेश्वर गुफाएं। यहां पर अंधेरी गुफा में देवी-देवताओं की सैकड़ों मूर्तियों के साथ ही एक ऐसा खंभा है, जो लगातार बढ़ रहा है। बंगाल की खाड़ी के आसपास नागलोक होने का जिक्र है। यहां नाग संप्रदाय भी रहता था।

 

समुद्र तटीय और रेगिस्तानी इलाके थे पाताल :

प्राचीनकाल में समुद्र के तटवर्ती इलाके और रेगिस्तानी क्षेत्र को पाताल कहा जाता था। इतिहासकार मानते हैं कि वैदिक काल में धरती के तटवर्ती इलाके और खाड़ी देश को पाताल में माना जाता था। राजा बलि को जिस पाताल लोक का राजा बनाया गया था उसे आजकल सऊदी अरब का क्षेत्र कहा जाता है। माना जाता है कि मक्का क्षे‍त्र का राजा बलि ही था और उसी ने शुक्राचार्य के साथ रहकर मक्का मंदिर बनाया था। हालांकि यह शोध का विषय है।

माना जाता है कि जब देवताओं ने दैत्यों का नाश कर अमृतपान किया था तब उन्होंने अमृत पीकर उसका अवशिष्ट भाग पाताल में ही रख दिया था अत: तभी से वहां जल का आहार करने वाली असुर अग्नि सदा उद्दीप्त रहती है। वह अग्नि अपने देवताओं से नियंत्रित रहती है और वह अग्नि अपने स्थान के आस-पास नहीं फैलती।

इसी कारण धरती के अंदर अग्नि है अर्थात अमृतमय सोम (जल) की हानि और वृद्धि निरंतर दिखाई पड़ती है। सूर्य की किरणों से मृतप्राय पाताल निवासी चन्द्रमा की अमृतमयी किरणों से पुन: जी उठते हैं।

पुराणों के अनुसार भू-लोक यानी पृथ्वी के नीचे 7 प्रकार के लोक हैं जिनमें पाताल लोक अंतिम है। पाताल लोक को नागलोक का मध्य भाग बताया गया है। पाताल लोकों की संख्या 7 बताई गई है।

विष्णु पुराण के अनुसार पूरे भू-मंडल का क्षेत्रफल 50 करोड़ योजन है। इसकी ऊंचाई 70 सहस्र योजन है। इसके नीचे ही 7 लोक हैं जिनमें क्रम अनुसार पाताल नगर अंतिम है। 7 पाताल लोकों के नाम इस प्रकार हैं- 1. अतल, 2. वितल, 3. सुतल, 4. रसातल, 5. तलातल, 6. महातल और 7. पाताल।

7 प्रकार के पाताल में जो अंतिम पाताल है वहां की भूमियां शुक्ल, कृष्ण, अरुण और पीत वर्ण की तथा शर्करामयी (कंकरीली), शैली (पथरीली) और सुवर्णमयी हैं। वहां दैत्य, दानव, यक्ष और बड़े-बड़े नागों और मत्स्य कन्याओं की जातियां वास करती हैं। वहां अरुणनयन हिमालय के समान एक ही पर्वत है। कुछ इसी प्रकार की भूमि रेगिस्तान की भी रहती है।

1. अतल :

अतल में मय दानव का पुत्र असुर बल रहता है। उसने छियानवे प्रकार की माया रची है।

 

2. वितल :

उसके वितल लोक में भगवान हाटकेश्वर नामक महादेवजी अपने पार्षद भूतगणों सहित रहते हैं। वे प्रजापति की सृष्टि वृद्धि के लिए भवानी के साथ विहार करते रहते हैं। उन दोनों के प्रभाव से वहां हाट की नाम की एक सुंदर नदी बहती है।

 

3. सुतल :

वितल के नीचे सुतल लोक है। उसमें महायशश्वी पवित्रकीर्ति विरोचन के पुत्र बलि रहते हैं। वामन रूप में भगवान ने जिनसे तीनों लोक छीन लिए थे।

 

4. तलातल :

सुतल लोक से नीचे तलातल है। वहां त्रिपुराधिपति दानवराज मय रहता है। मयदानव विषयों का परम गुरु है।

 

5.महातल :

उसके नीचे महातल में कश्यप की पत्नी कद्रू से उत्पन्न हुए अनेक सिरों वाले सर्पों का ‘क्रोधवश’ नामक एक समुदाय रहता है। उनमें कहुक, तक्षक, कालिया और सुषेण आदि प्रधान नाग हैं। उनके बड़े-बड़े फन हैं।

 

6. रसातल :

उनके नीचे रसातल में पणि नाम के दैत्य और दानव रहते हैं। ये निवातकवच, कालेय और हिरण्यपुरवासी भी कहलाते हैं। इनका देवताओं से सदा विरोध रहता है।

 

7. पाताल :

रसातल के नीचे पाताल है। वहां शंड्‍ड, कुलिक, महाशंड्ड, श्वेत, धनंजय, धृतराष्ट्र, शंखचूड़, कम्बल, अक्षतर और देवदत्त आदि बड़े क्रोधी और बड़े-बड़े फनों वाले नाग रहते हैं। इनमें वासुकि प्रधान है। उनमें किसी के 5, किसी के 7, किसी के 10, किसी के 100 और किसी के 1000 सिर हैं। उनके फनों की दमकती हुई मणियां अपने प्रकाश से पाताल लोक का सारा अंधकार नष्ट कर देती हैं।


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June 14, 20181min00

आजकल एक से एक महंगी कॉफ़ी आ रही हैं, लेकिन क्या आप जानते है की दुनियां की सबसे महंगी कॉफ़ी कौन सी हैं? और विश्व की सबसे महंगी कॉफ़ी का दाम कितना है? अगर आपको इन सब सवालों के जवाब जानने है तो जरूर पढ़े आज की हमारी यह पोस्ट:

कॉफी पीकर आप खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। इनकी क्वॉलिटी जितनी अच्छी, दाम उतने ही ज्यादा। लेकिन क्या आप जानते है कि दुनिया की सबसे महंगी कॉफी बनती है जानवरों की लीद से बनती है।

1. ब्लैक आइवरी ब्लैंड कॉफी

उत्तरी थाइलैंड में बनाई जाने वाली ब्लैक आइवरी ब्लैंड कॉफी हाथी के गोबर में शामिल बीजों से बनाई जाती है। आपको बता दें यह दुनिया की सबसे महंगी कॉफी ब्लैंड्स में से एक है। इस एक किलोग्राम कॉफी की कीमत 1100 डॉलर यानि 67100 रुपए है। इस कॉफी को बनाने के लिए पहले हाथियों को कॉफी की फली यानि बीज खिलाया जाता है। हाथी कच्ची फलियां खाते हैं, उसे पचाते हैं और लीद गिरा देते हैं। बाद में उसी गोबर में कॉफी के बीज निकाले जाते हैं। एक किलो कॉफी प्राप्त करने के लिए एक हाथी को लगभग 33 किलो कॉफी के कच्चे फल खिलाए जाते हैं।

हाथी की लीद से बीज निकालने का काम हाथियों के प्रशिक्षित ट्रेनर करते हैं। बीज निकालने के बाद उन्हें धूप में सुखाया जाता है और पीस कर पाउडर बनाया जाता है।इस तरह दुनिया की सबसे महंगी कॉफी ब्लैक आइवरी ब्लैंड तैयार की जाती है। इसकी खास बात ये है कि इस कॉफी में कड़वापन बिलकुल नहीं होता। पाचन क्रिया के दौरान हाथी के एन्जाइम कॉफी के प्रोटीन को तोड़ देते हैं। प्रोटीन टूटने के साथ ही कॉफी का कड़वापन लगभग खत्म हो जाता है। और इस तरह से दुनिया की सबसे महंगी कॉफी में से एक ये कॉफी तैयार हो जाती है।

2. कोपी लुवाक

दुनिया की सबसे मंहगी कॉफी में से एक ‘कोपी लुवाक’ जो पीने में तो बेहद टेस्टी लगती हैं लेकिन इसको बनाने की प्रक्रिया काफी हैरान कर देने वाली है। कॉफी ‘कोपी लुवाक’ जिसका जायका लेने के लिए लोग दुनिया भर से इंडोनेशिया आते हैं। लोगों की मानें तो इस कॉफी को जो एक बार टेस्ट कर ले फिर उसे कोई और कॉफी रास नहीं आती।

इंडोनेशिया में पाम सिवेट नाम की बिल्ली की प्रजाति के साथ किया जाता रहा है. और यही अब तक की दुनिया की सबसे महंगी कॉफी भी थी। यह जानवर बेरी खाता है लेकिन वो बेरी के बीजों को पचा नहीं पाता है और मल के जरिये उसे पेट से बाहर निकाल देता है जो कि बींस के रूप में वातावरण में आता है और इसी बींस को सुखाकर ‘कोपी लुवाक’ कॉफी बनायी जाती है, जो कि यह बहुत ज्यादा दुर्लभ होती है इसलिए इस कॉफी की कीमत बहुत ज्यादा होती है। इस कॉफी की कीमत €550 / US$700 प्रति किलोग्राम होती है।


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June 13, 20182min00

Our Prime Minister, Mr Narendra Modi may have already become a travel icon with his unending bucket list, but guess who just updated his fitness life to a whole another level.

Indian skipper Virat Kohli had recently (read May 23) challenged the prime minister in his #FitnessChallenge video, which the latter accepted. However, we weren’t sure when we would see him on his morning walk or a yoga session but looks like the day is finally here:

#WednesdayMotivation

https://twitter.com/narendramodi/status/1006739708670455810

In the video, Prime Minister Narendra Modi is seen doing various asanas like Pranayam in the lawns of 7, Lok Kalyan Marg residence.

He then passed on the challenge to…

But how many of them accepted it?

Diplomatic much?

Modi government has often promoted yoga on national and international level. In 2015, on PM’s suggestion the United Nations General Assembly declared June 21 as the International Yoga Day. Not to mention, on June 21, 2015, India broke the world record in the first edition of International Yoga Day where led by PM Modi, over 35,985 participants performed Yoga at Rajpath, Delhi.

Age no bar when it comes to fitness!

Gearing up for the upcoming International Yoga Day (June 21), PM Modi shared some videos on Twitter.

The fitness challenge was initiated by Sports Minister Rajyavardhan Rathore on May 22.



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