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adminJuly 12, 20211min00

गुरु पूर्णिमा को भारत में बहुत ही श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है। वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा पुण्य फलदायी होती है। परंतु हिंदी पंचांग का चौथा माह आषाढ़, जिसके पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसी दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। व्यास जी को प्रथम गुरु की भी उपाधि दी जाती है क्योंकि गुरु व्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व इस वजह से मनाया जाता है। इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। आइये जानते हैं पूजा-विधि और गुरु पूर्णिमा के महत्व के बारे में।

शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- शुक्रवार 23 जुलाई को सुबह 10:34 बजे
गुरु पूर्णिमा तिथि समाप्त- शनिवार 24 जुलाई को सुबह 08:06 बजे

पूजा विधि
प्रातःकाल सुबह-सुबह घर की सफाई करके स्नानादि से निपटकर पूजा का संकल्प लें। किसी साफ सुथरे जगह पर सफेद वस्त्र बिछाकर उसपर व्यास-पीठ का निर्माण करें। गुरु की प्रतिमा स्थापित करने के बाद उन्हें चंदन, रोली, पुष्प, फल और प्रसाद आदि अर्पित करें। इसके बाद व्यासजी, शुक्रदेवजी, शंकराचार्यजी आदि गुरुओं को याद करके उनका आवाहन करना चाहिए। इसके बाद ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

गुरु पूर्णिमा का महत्व
भारतीय सभ्यता में गुरुओं का विशेष महत्व है। भगवान की प्राप्ति का मार्ग गुरु के बताए मार्ग से ही संभव होता है क्योंकि एक गुरु ही है, जो अपने शिष्य को गलत मार्ग पर जाने से रोकते हैं और सही मार्ग पर जाने के लिए प्रेरित करते हैं। इस वजह से गुरुओं के सम्मान में आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है?
भारत में गुरु पूर्णिमा के मनाये जाने का इतिहास काफी प्राचीन है। जब पहले के समय में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली हुआ करती थी तो इसका महत्व और भी ज्यादे था। शास्त्रों में गुरु को ईश्वर के समतुल्य बताया गया है, यही कारण है कि भारतीय संस्कृति में गुरु को इतना महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। गुरु पूर्णिमा मनाने को लेकर कई अलग-अलग धर्मों के विभिन्न कारण तथा सारी मान्यताएं प्रचलित है, परंतु इन सभी का अर्थ एक ही है यानी गुरु के महत्व को बताना।

हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा से जुड़ी मान्यता
ऐसा माना जाता है कि यह पर्व महर्षि वेदव्यास को समर्पित है। महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन आज से लगभग 3000 ई. पूर्व हुआ था और क्योंकि उनके द्वारा ही वेद, उपनिषद और पुराणों की रचना की गयी है। इसलिए गुरु पूर्णिमा का यह दिन उनकी समृति में भी मनाया जाता है। सनातन संस्कृति में गुरु सदैव ही पूजनीय रहें है और कई बार तो भगवान ने भी इस बात को स्पष्ट किया है कि गुरु स्वंय ईश्वर से भी बढ़कर है। एक बच्चे को जन्म भले ही उसके माता-पिता देते है लेकिन उसे शिक्षा प्रदान करके समर्थ और शिक्षित उसके गुरु ही बनाते हैं। पुराणों में ब्रम्हा को गुरु कहा गया है क्योंकि वह जीवों का सृजन करते हैं उसी प्रकार गुरु भी अपने शिष्यों का सृजन करते हैं। इसके साथ ही पौराणिक कथाओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने सप्तिर्षियों को योग विद्या सिखायी थी, जिससे वह आदि योगी और आदिगुरु के नाम से भी जाने जाने लगे।

बौद्ध धर्म में गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
कई बार लोग सोचते है भारत तथा अन्य कई देशों में बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा गुरु पूर्णिमा का पर्व क्यों मनाया जाता है। इसके पीछे एक ऐतिहासिक कारण है क्योंकि आषाढ़ माह के शुक्ल पूर्णिमा के दिन ही महात्मा बुद्ध ने वर्तमान में वाराणसी के सारनाथ में पांच भिक्षुओं को अपना प्रथम उपदेश दिया था। यहीं पांच भिक्षु आगे चलकर ‘पंच भद्रवर्गीय भिक्षु’ कहलाये और महात्मा बुद्ध का यह प्रथम उपदेश धर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना गया। यह वह दिन था, जब महात्मा बुद्ध ने गुरु बनकर अपने ज्ञान से संसार प्रकाशित करने का कार्य किया। यहीं कारण है कि बौद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा भी गुरु पूर्णिमा का पर्व इतने धूम-धाम तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है।

जैन धर्म में गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
हिंदू तथा बौद्ध धर्म के साथ ही जैन धर्म में भी गुरु पूर्णिमा को एक विशेष स्थान प्राप्त है। इस दिन को जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा भी काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। जैन धर्म में गुरु पूर्णिमा को लेकर यह मत प्रचलित है कि इसी दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने गांधार राज्य के गौतम स्वामी को अपना प्रथम शिष्य बनाया था। जिससे वह ‘त्रिनोक गुहा’ के नाम से प्रसिद्ध हुए, जिसका अर्थ होता है प्रथम गुरु। यही कारण है कि जैन धर्म में इस दिन को त्रिनोक गुहा पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

आदियोगी शिवजी की कथा
गुरु पूर्णिमा के मनाये जाने को लेकर जो दूसरा मत प्रचलित है, वह योग साधना और योग विद्या से संबंधित है। जिसके अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव आदि गुरु बने थे, जिसका अर्थ प्रथम गुरु होता है। यह कथा कुछ इस प्रकार से है- आज से लगभग 15000 वर्ष पहले हिमालय के उपरी क्षेत्र में एक योगी का उदय हुआ। जिसके विषय में किसी को कुछ भी ज्ञात नही था, यह योगी कोई और नही स्वयं भगवान शिव थे। इस साधरण से दिखने वाले योगी का तेज और व्यक्तित्व असाधारण था। उस महान व्यक्ति को देखने से उसमें जीवन का कोई लक्षण नही दिखाई देता था। लेकिन कभी-कभी उनके आँखों से परमानंद के अश्रु अवश्य बहा करते थे। लोगो को इस बात का कोई कारण समझ नही आता था और वह थककर धीरे-धीरे उस स्थान से जाने लगे, लेकिन सात दृढ़ निश्चयी लोग रुके रहे। जब भगवान शिव ने अपनी आंखे खोली तो उन सात लोगों ने जानना चाहा, उन्हें क्या हुआ था तथा स्वयं भी वह परमानंद अनुभव करना चाहा लेकिन भगवान शिव ने उनकी बात पर ध्यान नही दिया और कहा कि अभी वे इस अनुभव के लिए परिपक्व नही है। हालांकि इसके साथ उन्होंने उन सात लोगो को इस साधना के तैयारी के कुछ तरीके बताये और फिर से ध्यान मग्न हो गये। इस प्रकार से कई दिन तथा वर्ष बीत गये लेकिन भगवान शिव ने उन सात लोगों पर कोई ध्यान नही दिया। 84 वर्ष की घोर साधना के बाद ग्रीष्म संक्रांति में दक्षिणायन के समय जब योगीरुपी भगवान शिव ने उन्हें देखा तो पाया कि अब वह सातों व्यक्ति ज्ञान प्राप्ति के लिये पूर्ण रुप से तैयार है तथा उन्हें ज्ञान देने में अब और विलंब नही किया जा सकता था। अगले पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने इनका गुरु बनना स्वीकार किया और इसके पश्चात शिवजी दक्षिण दिशा की ओर मुड़कर बैठ गये और इन सातों व्यक्तियों को योग विज्ञान की शिक्षा प्रदान की, यही सातों व्यक्ति आगे चलकर सप्तर्षि के नाम से प्रसिद्ध हुए। यही कारण है कि भगवान शिव को आदियोगी या आदिगुरु भी कहा जाता है।

पूर्णिमा पर क्या करेंं व क्या न करें…
भोजन : इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे मांस, मटन, चिकन या मसालेदार भोजन, लहसुन, प्याज आदि।

शराब : इस दिन किसी भी हालत में आप शराब ना पिएं क्योंकि इस दिन शराब का दिमाग पर बहुत गहरा असर होता है। इससे शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।

क्रोध : इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्‍त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। एक बार नहीं, प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा होता रहता है तो व्यक्ति का भविष्य भी उसी अनुसार बनता और बिगड़ता रहता है।

भावना : जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्‍ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है। अत: भावनाओं में बहें नहीं खुद पर नियंत्रण रखकर व्रत करें।

स्वच्छ जल : चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं। अत: इस दिन जल की मात्रा और उसकी स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।

अन्य सावधानियां : इस दिन पूर्ण रूप से जल और फल ग्रहण करके उपवास रखें। यदि इस दिन उपवास नहीं रख रहे हैं तो इस दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करें तो ज्यादा बेहतर होगा। इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें।

शिष्य धर्म इस प्रकार है:

  • सदैव अपने गुरु की आज्ञा मानना
  • गुरु से उनका ज्ञान सीखने की पूरी कोशिश और उन्हें सहयोग देना।
  • गुरु की विपत्ति के समय रक्षा करना।
  • गुरु के सम्मान का सदैव ध्यान रखना, कभी उनके सामने उदंडता नही दिखानी, गुरु के सामने अपने ज्ञान का घमंड नही करना, गुरु का नाम लेने से पहले कानो को हाथ लगाना।
  • गुरु की पत्नी, कन्या, पुत्र को अपना परिवार का समझना, गुरु पुत्र को अपना भाई, गुरु कन्या को अपनी बहन, और गुरु माता को अपनी माता समान समझ कर व्यवहार करना।

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September 14, 20181min00

भारत में रेलवे सिर्फ एक सेवा नहीं, बल्कि एक बहुत ही बड़ी व्यवस्था है, जिसके लिए अलग से मंत्रालय भी है. ये भारत का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. रेलव में भर्तियां निकलती रहती है जिसके लिए रेलवे के बारे में मालूम होना जरूरी है. ऐसे में हम आपको भारतीय रेलवे से जुड़ी ये वो दिलचस्प बातें बता रहे हैं, जिन्हें नहीं जानते होंगे आप..

 

– अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारतीय रेलवे विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है.

– लगभग 2.5 करोड़ यात्री रोजाना भारतीय ट्रेनों से सफर करते हैं जो ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और तस्मानिया की कुल आबादी के बराबर है.

– आंकड़ों के मुताबिक भारत में अब तक 1.15 लाख किलोमीटर लंबी रेल पटरियां बिछाई जा चुकी हैं.

– भारतीय ट्रेनें रोजाना 13.5 लाख किलोमीटर लंबा सफर तय करती हैं. पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी का 3.5 गुना है यह सफर.

– भारतीय रेलवे दुनिया में 9वां सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है.

– भारतीय रेलवे 55 साल बिना शौचालय के दौड़ीं थी. शौचालयों की शुरुआत एक पत्र के जरिए की गई. इस पत्र को 1909 में एक यात्री ने लिखा था.  1909 में ओखिल चंद्र सेन नामक एक यात्री को पैसेंजर ट्रेन से यात्रा के दौरान शौचालय न होने की वजह से बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.

– मेतुपलयम ऊटी नीलगिरी पैसेंजर ट्रेन भारत में चलने वाली सबसे धीमी ट्रेन है. यह लगभग 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है.

– 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती है सबसे तेज ट्रेन भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस, दिल्ली से आगरा के बीच 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली सेमी-हाईस्पीड ट्रेन का ट्रायल भी पूरा हो चुका है.

 

– सबसे लंबे (श्रीवेंकटनरसिम्हाराजुवरीपेता-तमिलनाडु) और सबसे छोटे (ईब-ओडिशा) नाम वाले रेलवे स्टेशन भारत में हैं.

– नवापुर रेलवे स्टेशन दो राज्यों में बसा है, इसका आधा हिस्सा महाराष्ट्र और आधा गुजरात में पड़ता है.

– महाराष्ट्र के अहमदनगर में एक ही स्थान पर आमने-सामने हैं श्रीरामपुर और बेलापुर रेलवे स्टेशन.

– 24 मार्च 1994 को पहली बार टीवी पर रेल बजट का लाइव प्रसारण किया गया था.

– हर पांच में से एक इंटरनेट उपभोक्ता औसतन दिन में एक बार भारतीय रेलवे की वेबसाइट का  इस्तेमाल करता है.

– चेनाब नदी के ऊपर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है. पेरिस का एफिल टावर भी इसके सामने छोटा है.

 

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September 14, 20181min00

14 सितंबर, 1949 के दिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था. तब से हर साल यह दिन ‘हिंदी दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे एक वजह है. आइए जानते हैं…

साल 1947 में जब अंग्रेजी हुकूमत से भारत आजाद हुआ तो उसके सामने भाषा को लेकर सबसे बड़ा सवाल था. क्योंकि भारत में सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती है. 6 दिसंबर 1946 में आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान का गठन हुआ. संविधान सभा ने अपना 26 नवंबर 1949 को संविधान के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दे दी. आजाद भारत का अपना संविधान 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू हुआ.

लेकिन भारत की कौन सी राष्ट्रभाषा चुनी जाएगी ये मुद्दा काफी अहम था. काफी सोच विचार के बाद हिम्दी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुना गया. संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिन्दी को अंग्रजों के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी.

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि इस दिन के महत्व देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाए. बतादें पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया था.

 

अंग्रेजी भाषा को लेकर हुआ विरोध

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी. अंग्रेजी भाषा को हटाए जाने की खबर पर देश के कुछ हिस्सों में विरोध प्रर्दशन शुरू हो गया था. तमिलनाडू में जनवरी 1965 में भाषा विवाद को लेकर दंगे हुए थे.

 

जनमानस की भाषा हैं हिन्दी

साल 1918 में महात्मा गांधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था. इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था.

 

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September 14, 20182min00

प्रनीत एक बिजनेस फर्म में मैनेजर हैं. एक दिन वो अपने ऑफिस में बैठे काम कर रहे थे. तभी उनके फोन पर एक मेसेज आया. मेसेज बैंक की तरफ से था. मेसेज खोलकर देखा तो लिखा था- Dear Customer, acct XX1123 has been debited for Rs.10,000.00 on 10-Aug-18. मतलब आपके डेबिट कार्ड जिसे एटीएम कार्ड भी कहते हैं, से 10,000 रुपए निकाले जा चुके हैं. प्रनीत ने तुरंत अपना वॉलेट चैक किया तो देखा कि डेबिट कार्ड तो उसके वॉलेट में ही है. ऐसे में कोई कैसे उसके अकाउंट से पैसे निकाल सकता है. उन्होंने तुरंत बैंक में कॉल किया. अपना एटीएम ब्लॉक करवाया. प्रनीत ने सात दिन पहले आखिरी बार एटीएम से पैसे निकाले थे ऐसे मे आज अचानक ऐसा कैसे हुआ. पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई. जिस एटीएम से पैसे निकले पुलिस ने उसका सीसीटीवी फुटेज चैक किया. मुंह पर मास्क पहने हुए एक आदमी बाकयदा कार्ड से पैसे निकालते दिख रहा था. इससे पता चला कि यह एटीएम स्किमिंग का मामला है. एटीएम स्किमिंग क्या होती है, ये जानने से पहले एटीएम के बारे में थोड़ा जान लेते हैं.

 

कैसे काम करता है एटीएम?

एटीएम स्किमिंग का मतलब एटीएम का डाटा चुराकर उससे पैसे निकाल लेना. अब आप सोच रहे होंगे कि ये सब होता कैसे है, बताते हैं. पहले ये जानिए कि एटीएम कार्ड के अंदर आपका डाटा होता है. कैसे? कहां? कार्ड के पीछे एक मैग्नेटिक स्ट्रिप या चिप लगी रहती है. इस स्ट्रिप के अंदर कार्ड का नंबर, बैंक अकाउंट नंबर, एक्सपायरी डेट जैसी कई अहम जानकारियां होती हैं.

 

 
कार्ड के पीछे दिख रही काले रंग की मैग्नेटिक स्ट्रिप.

इसमें एटीएम के पिन नंबर की कोई डिटेल नहीं होती है क्योंकि कार्ड का पिन कभी भी बदला जा सकता है. और सारी डिटेल्स एटीएम कार्ड बनने से एक्सपायर होने तक सेम रहती हैं. ये सारी डिटेल्स एनकोडेड मतलब एक कोड की फॉर्म में सेव होती हैं. जब आप एटीएम में अपना कार्ड डालते हैं तो उसमें लगा कार्ड रीडर इसकी डिटेल्स को पढ़ लेता है. यह मशीन इन डिटेल्स को सर्वर के थ्रू बैंक को भेजती है. इसके बाद मशीन पिन मांगती है. पिन डालने पर यह वेरिफाई हो जाता है कि कार्ड को उसका मालिक ही इस्तेमाल कर रहा है. (एक ज्ञान की बात- बैंक नियमों के मुताबिक कार्ड को इस्तेमाल करने का अधिकार उसके मालिक के पास ही होता है. अगर कोई और इसका इस्तेमाल करता है तो यह नियमों के मुताबिक गलत है. ऐसे ट्रांजेक्शन में हुई किसी दिक्कत के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं होते हैं.) पिन डालने के बाद आप अपना ट्रांजेक्शन पूरा कर सकते हैं.

 

 
कार्ड रीडर के ऊपर ऐसे लगा होता है स्किमर.

एटीएम स्किमिंग क्या होती है?

स्किमर एक मशीन होती है जिसमें एक कार्ड रीडर लगा होता है. इस स्किमर को एटीएम कार्ड रीडर में या कहीं ऊपर-नीचे लगा दिया जाता है. यह दिखने में कार्ड रीडर स्लॉट जैसा ही होता है इसलिए मशीन में कार्ड डालने वाले को पता नहीं चलता कि कोई गड़बड़ी है. जैसे ही कार्ड मशीन में डाला जाता है तो स्किमर इस कार्ड को रीड कर लेता है. और डेबिट कार्ड का सारा डाटा चीटर्स के पास पहुंच जाता है. इस डाटा को एटीएम जैसे एक दूसरे इलेक्ट्रॉनिक कार्ड में डाला जाता है. इसे क्लोन एटीएम कहते हैं. अब बारी आएगी पिन की. पिन की चोरी करने के लिए एटीएम के कीबोर्ड के ऊपर एक छोटा सा कैमरा लगा होता है. जब यूजर पिन डालता है तो यह कैमरे में रिकॉर्ड हो जाता है. फिर हैकर क्लोन एटीएम कार्ड से बड़ी आसानी से पैसे निकाल लेता है. ये सब कैसे काम करता है वो आप इस वीडियो में देखकर समझ सकते हैं.

 

इस फ्रॉड से बचने के उपाय

1. अपने एटीएम कार्ड को इस्तेमाल करने के लिए किसी और को न दें.

2. एटीएम मशीन इस्तेमाल करने से पहले आस-पास देख लें कि कोई अनावश्यक कैमरा या कोई संदिग्ध उपकरण तो नहीं लगा है.

3. कार्ड रीडर में कार्ड इंसर्ट करने से पहले कार्ड रीडर को अपने हाथ से चैक कर लें. स्किमर, कार्ड रीडर पर ऊपर लगा होता है. ऐसे में हाथ लगाकर देखने पर पता चल सकता है कि रीडर में कोई और मशीन लगी है या नहीं.

4. पिन डालते समय देख लें कि कीपैड सही है या नहीं. कीपैड के ऊपर अगर कोई कवर लगा हो तो जरूर ध्यान रखें.

5. अगर आपका कार्ड पुराना है तो इसे नए ईएमवी कार्ड से बदलवा लें. ईएमवी कार्ड में इलेक्ट्रॉनिक स्ट्रिप की जगह चिप लगी होती है. इस चिप के डाटा को स्किमर से कॉपी नहीं किया जा सकता है.

 

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September 14, 20186min00

मैदान पर अपने दमदार खेल से हर किसी को अपना दीवाना बना लेने वाले क्रिकेटर्स जितना शानदार खेलते हैं, उतना ही आकर्षक जीवन भी जीते हैं। मतलब उनके कपड़ों से लेकर रहने तक का आशियाना भी कमाल का होता है। किसी को बेहतरीन बाइक्स लुभाती है तो किसी को कारों का शौक होता है। कुछ क्रिकेटर्स तो ऐसे भी हैं जो केवल अपने लग्जरी होम को लेकर ही दुनियाभर में चर्चित हैं। 

आज हम आपके लिए कुछ ऐसे ही क्रिकेट सितारों की बातें लेकर आए हैं। किसी ने अपने घर में डांसिंग फ्लोर बनवा रखा है तो किसी ने जिम और स्विमिंग पूल को जगह दी है। कुछ तो ऐसे भी हैं जिन्होंने होम थिएटर से लेकर क्रिकेट की पिच तक अपने ही घर में बनवा रखी है। 

बहरहाल इस बात में कोई दो राय नहीं है कि यह सब कुछ हर खिलाड़ी ने अपनी मेहनत के दम पर ही पाया है। ऐसे में आप ज्यादा सोचिए मत, आइए देखते हैं क्रिकेट सितारों के घर की कुछ शानदार तस्वीरें। 

 

विराट कोहली

 

विराट कोहली

 

भारतीय कप्तान विराट कोहली व अनुष्का के मुंबई स्थित आशियाने के बारे में कौन नहीं जानता। उनका यह फ्लैट बेहद लग्जीरियस है। विराट ने यह फ्लैट अपनी शादी के पहले ही ले लिया था। आधुनिक सुविधाओं से युक्त विरूष्का का यह खूबसूरत घर मुंबई के बेहद पॉश रिहायशी इलाके का हिस्सा है। 

 

शेन वाटसन 

 

शेन वाटसन 
 
 

ऑस्ट्रेलिया के फेमस क्रिकेटर शेन वाटसन का घर Bronte में है। इस लग्जरी बंगले में कई बेडरूम्स के साथ ही एक स्विमिंग पूल भी है।

 

शेन वॉर्न

 

शेन वॉर्न
 
 

अॉस्ट्रेलियाई क्रिकेटर शेन वार्न ने अपना पुराना घर फिर वापस खरीद लिया है। उनके इस घर में टेनिस कोर्ट, सात बेडरूम, नौ सीट का थिएटर और चार कार गैरेज हैं।

 

रिकी पोंटिंग

 

रिकी पोंटिंग
 
 

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व क्रिकेटर और कप्तान रिकी पोंटिंग के घर में बहुत से बेडरूम, बिलियर्ड रूम, लाइब्रेरी, थिएटर, स्विमिंग पूल और टेनिस कोर्ट मौजूद है। 

 

माइकल क्लार्क

 

माइकल क्लार्क
 
 
सार ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ने सिडनी के पूर्व उपनगर में पांच बेडरूम वाला यह बंगला खरीदा था। इस बंगले में 6 लाइम स्टोन बाथरूम और 8 गैरेज हैं।
 

क्रिस गेल

 

क्रिस गेल
 
 

वेस्टइंडीज के दबंग क्रिकेटर क्रिस गेल का जमैका में तीन मंजिला बंगला मौजूद है। सभी सुख सुविधाओं से युक्त इस बंगले में स्विमिंग पूल से लेकर डांस करने के लिए डिस्क भी बना हुआ है।

 

सचिन तेंदुलकर 

 

सचिन तेंदुलकर 
 
 

पूर्व भारतीय खिलाड़ी व क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का घर मुंबई में है। मुंबई के बांद्रा में 6,000 वर्ग फीट से ज्यादा में फैला हुआ 3 माले का उनका ये बंगला भी बेहद शानदार है। 

 

एमएस धोनी

 

एमएस धोनी
 
 
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी का घर उनके गृह नगर रांची में है। उनके इस घर में लॉन और स्विमिंग पूल भी है।

 

सौरव गांगुली

 

सौरव गांगुली
 
 
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और दिग्गज खिलाड़ी सौरव गांगुली का घर बहुत बड़ा है। इस घर में लगभग 48 कमरे हैं।

 

कुमार संगाकारा

 

कुमार संगाकारा
 
 
श्रीलंका के क्रिकेटर कुमार संगाकारा के इस बंगले में एक बड़ा गार्डन है। संगाकारा का बचपन यहीं गुजरा है।

 

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September 14, 20182min00

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को मध्य प्रदेश के इंदौर में बोहरा समुदाय के वआज (प्रवचन) में हिस्सा लेने जा रहे हैं. बोहरा समाज के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब कोई पीएम उनके धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होगा. आइए जानते हैं आखिर बोहरा कौन हैं.

 

जानें: बोहरा समुदाय को, जो खुद को बाकी मुस्लिमों से अलग मानता है
 
 
मुस्लिमों को मुख्य रूप से दो हिस्सों में बांटा जाता है. मगर शिया और सुन्नियों के अलावा इस्लाम को मानने वाले लोग 72 फिरकों में बंटे हुए हैं. इन्हीं में से एक हैं बोहरा मुस्लिम. बोहरा शिया और सुन्नी दोनों होते हैं. सुन्नी बोहरा हनफी इस्लामिक कानून को मानते हैं. वहीं दाऊदी बोहरा मान्यताओं में शियाओं के करीब होते हैं.
 
 
जानें: बोहरा समुदाय को, जो खुद को बाकी मुस्लिमों से अलग मानता है
 
 
बोहरा समुदाय की भारत में लाखों की आबादी है. ये खुद को कई मामलों में देश के बाकी मुस्लिमों से अलग मानते हैं. दाऊदी बोहरा समुदाय की पहचान काफी समृद्ध, संभ्रांत और पढ़ा-लिखे समुदाय के तौर पर होती है. बोहरा समुदाय के ज्यादातर लोग व्यापारी हैं. दाऊदी बोहरा मुख्यत: गुजरात के सूरत, अहमदाबाद, जामनगर, राजकोट, दाहोद, और महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे व नागपुर, राजस्थान के उदयपुर व भीलवाड़ा और मध्य प्रदेश के उज्जैन, इन्दौर, शाजापुर, जैसे शहरों और कोलकाता व चैन्नै में बसते हैं. पाकिस्तान के सिंध प्रांत के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, दुबई, ईराक, यमन व सऊदी अरब में भी उनकी अच्छी तादाद है. मुंबई में इनका पहला आगमन करीब ढाई सौ वर्ष पहले हुआ.
 
 
जानें: बोहरा समुदाय को, जो खुद को बाकी मुस्लिमों से अलग मानता है
 
 
कारोबारी बोहरा समुदाय पीएम मोदी को अपना समर्थन देता रहा है. मोदी ने गुजरात में व्यापारियों की सुविधा के हिसाब से नीतियां बनाईं जो बोहरा समुदाय के उनके साथ आने की बड़ी वजह बनीं. नरेंद्र मोदी का बार-बार बोहरा समुदाय के सैयदना से मिलना भी इस समुदाय को मोदी और बीजेपी के करीब लाया.

‘बोहरा’ गुजराती शब्द ‘वहौराउ’, अर्थात ‘व्यापार’ का अपभ्रंश है. वे मुस्ताली मत का हिस्सा हैं जो 11वीं शताब्दी में उत्तरी मिस्र से धर्म प्रचारकों के माध्यम से भारत में आया था. 1539 के बाद जब भारतीय समुदाय बड़ा हो गया तब यह मत अपना मुख्यालय यमन से भारत में सिद्धपुर ले आया. 1588 में दाऊद बिन कुतब शाह और सुलेमान के अनुयायियों के बीच विभाजन हो गया. आज सुलेमानियों के प्रमुख यमन में रहते हैं, जबकि सबसे अधिक संख्या में होने के कारण दाऊदी बोहराओं का मुख्यालय मुंबई में है. भारत में बोहरों की आबादी 20 लाख से ज्यादा बताई जाती है. इनमें 15 लाख दाऊदी बोहरा हैं.

दाऊद और सुलेमान के अनुयायियों में बंटे होने के बावजूद बोहरों के धार्मिक सिद्धांतों में खास सैद्धांतिक फर्क नहीं है. बोहरे सूफियों और मजारों पर खास विश्वास रखते हैं. सुन्नी बोहरा हनफ़ी इस्लामिक कानून पर अमल करते हैं, जबकि दाऊदी बोहरा समुदाय इस्माइली शिया समुदाय का उप-समुदाय है. दाई-अल-मुतलक दाऊदी बोहरों का सर्वोच्च आध्यात्मिक गुरु पद होता है. समाज के तमाम ट्रस्टों का सोल ट्रस्टी नाते उसका बड़ी कारोबारी व अन्य संपत्ति पर नियंत्रण होता हैं.

दाऊदी बोहरा इमामों को मानते हैं. उनके 21वें और अंतिम इमाम तैयब अबुल कासिम थे जिसके बाद 1132 से आध्यात्मिक गुरुओं की परंपरा शुरू हो गई जो दाई-अल- मुतलक कहलाते हैं. 52वें दाई-अल-मुतलक डॉ. सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन थे. उनके निधन के बाद जनवरी 2014 से बेटे सैयदना डॉ. मुफद्दल सैफुद्दीन ने उनके उत्तराधिकारी के तौर पर 53वें दाई-अल-मुतलक के रूप में जिम्मेदारी संभाली है.

बोहरा समुदाय अपनी पहचान प्रोग्रेसिव के तौर पर करता है. बोहरा समुदाय के पुरुष और महिलाएं के कई तौर-तरीकों से देश के बाकी मुसलमानों से खुद को अलग मानते हैं बोहरा समुदाय की महिलाएं काले रंग के बुर्के की जगह अक्सर गुलाबी रंग के बुर्के में दिखती हैं, इन्हें लाल, हरे या नीले रंग के बुर्के भी पहने हुए देखा जा सकता है. इतिहासकारों और समाजशास्त्रियों का कहना है कि दाऊदी बोहरा महिलाओं का पारंपरिक परिधान रिदा है जो इन्हें देश के बाकी मुस्लिमों से अलग दिखाता है.

बोहरा समुदाय के एक शख्स कहते हैं, आप बोहरा को देश की बाकी मुस्लिम आबादी के साथ नहीं जोड़कर देख सकते हैं. बोहरा समुदाय ने अपनी अलग पहचान के लिए काफी मेहनत की है. बोहरा ने खुद की पहचान पढ़े-लिखे, समृद्ध, विश्वप्रेमी के तौर पर बनाने की कोशिश की है. मुंबई में बोहरा समुदाय की महिलाओं को स्किनी जींस, टैंक टॉप पहने हुए देखा जा सकता है.

बोहरा महिलाएं रिदा पहनती हैं जिसमें महिलाओं का चेहरा नहीं ढका होता है जबकि पुरुष थ्री पीस वाइट आउटफिट और सफेद रंग की टोपी जिसमें सुनहरे रंग से एम्ब्रायडरी होती है, पहनते हैं. समाजशास्त्रियों का कहना है कि बोहरा समुदाय के लोगों में गैर-मुस्लिमों या हिंदुओं के सामने यह छवि बनाने की कोशिश रहती है कि वे बाकी मुस्लिमों से अलग हैं और इसलिए उन्हें निशाना ना बनाया जाए.  बोहरा समुदाय की एक खास बात है उनकी एकता. वे जमीन पर बैठकर एक बड़ी सी थाल में एक साथ खाते हैं. बिना पूछे कोई नया शख्स उनकी थाली में उनके साथ खा सकता है

बोहरा भले ही सार्वजनिक तौर पर समुदाय के बाहरी लोगों से मिलते-जुलते हों लेकिन समुदाय में कड़े नियम बनाए गए हैं कि उनके निजी और धार्मिक दुनिया में किसी बाहरी का प्रवेश ना हो सके. उदाहरण के तौर पर, जिसके पास बोहरा समुदाय का आईडी कार्ड नहीं है, उन्हें उनकी मस्जिदों में प्रवेश की अनुमति नहीं है. बोहरा दिन में बहुत बार नमाज अदा करते हैं. पुरुषों को दाढ़ी रखना और सिर पर टोपी पहनना अनिवार्य है.

हालांकि बोहरा समुदाय के भीतर एक धड़ा ऐसा है जो सैयदना पर तानाशाह होने का आरोप लगाता है और सुधार की मांग करता है. सुधारवादियों का तर्क है कि समुदाय पर उनका इतना ज्यादा नियंत्रण है कि हर सदस्य को बिजनेस चलाने से लेकर चैरिटेबल ट्रस्ट खोलने तक उनकी अनुमति लेनी पड़ती है. सुधारवादी असगर अली इंजीनियर कहते हैं, यहां धार्मिक ही नहीं बल्कि निजी मामलों में भी सैयदना का नियंत्रण है. वह हंसते हुए कहते हैं, शादी से लेकर दफन तक के लिए मुझे उनकी अनुमति चाहिए.

अगर बोहरा समुदाय के लोग सार्वजनिक तौर पर सैयदना पर सवाल खड़े करते हैं या फिर समुदाय के कड़े नियमों को मानने से इनकार करते हैं तो उसका बहिष्कार कर दिया जाता है. फिर उसकी शादी टूट जाती है और वह बोहरा मस्जिदों में प्रवेश नहीं कर सकता है. बोहरा समुदाय की एक महिला ने बताती है, आप पूरी सफेद टोपी नहीं पहन सकते हैं क्योंकि फिर आपको सुधारवादी समझ लिया जाएगा. हालांकि बोहरा की मुख्यधारा के लोगों का कहना है कि जिन लोगों को सैयदना और उनके नियमों से दिक्कत है, वे समुदाय छोड़ सकते हैं. समुदाय एक क्लब की तरह है जिसमें प्रवेश करने के लिए उसके नियमों को मानना ही पड़ेगा.

 

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September 13, 20181min00

नाम : मित्रों

डायरेक्टर: नितिन कक्कड़

स्टार कास्ट: जैकी भगनानी, कृतिका कामरा, प्रतीक गांधी, नीरज सूद, शिवम पारेख

अवधि: 1 घंटा 59  मिनट

सर्टिफिकेट: U/A

रेटिंग:  3.5 स्टार

डायरेक्टर नितिन कक्कड़ ने साल 2012 में फिल्म फिल्मि‍स्तान डायरेक्ट की, जिसे बहुत सराहा गया. फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म के नेशनल अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. इसके बाद  नितिन ने कुछ और फिल्में डायरेक्ट की, जिनका नाम रामसिंह चार्ली और मित्रों है. मित्रों साल 2016 में आई तेलुगु फिल्म पेली छुपूलू का हिंदी वर्जन है. फिल्म के ट्रेलर को काफी सराहा गया है. पढ़‍िए समीक्षा.

कहानी:

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फिल्म की कहानी  गुजरात के रहने वाले जय (जैकी भगनानी) की है, इसने इंजीनियरिंग की है, लेकिन पूरे दिन घर में बैठकर अजीब हरकतें करता है, जिसकी वजह से जय के घरवालों को लगता है कि जब उसकी शादी हो जाएगी तो वह जिम्मेदारियों पर ध्यान देने लगेगा और इसी चक्कर में जय के घरवाले अवनी (कृतिका कामरा) से उसकी शादी की बात करते हैं. रिश्ता लेकर उनके घर पहुंच जाते हैं. जय के साथ उसके दोनों दोस्त (प्रतीक गांधी और शिवम पारेख) हमेशा उसके साथ रहते हैं. अवनी के साथ मुलाकात के बाद कहानी में बहुत सारे मोड़ आते हैं और अंततः एक रिजल्ट आता है जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

क्यों देख सकते हैं:

फिल्म की कहानी अच्छी है और स्क्रीनप्ले भी बढ़िया लिखा गया है. खास तौर पर फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी दिलचस्प है और सेकंड हाफ में कहानी में थोड़ा ठहराव आता है. फिल्मी गुजरात के फ्लेवर और वहां की जगहों को बड़े अच्छे तरीके से डायरेक्टर नितिन कक्कड़ ने दर्शाया है जिसकी वजह से विजुअल ट्रीट बढ़िया है. फिल्म का कोई भी किरदार लाउड नहीं है जो कि अच्छी बात है. फिल्म का संवाद, डायरेक्शन, सिनेमेटोग्राफी अच्छा है. कई सारे ऐसे पल भी आते हैं जिनसे एक आम इंसान और मिडिल क्लास फैमिली कनेक्ट कर सकती है. जैकी भगनानी एक तरह से अपने सर्वश्रेष्ठ अभिनय में दिखाई देते हैं वही फिल्मों में डेब्यू करती हुई कृतिका कामरा ने किरदार के हिसाब से बढ़िया काम किया है. नीरज सूद, प्रतीक गांधी, शिवम पारेख और बाकी किरदारों का काम सहज है. फिल्म के गाने कहानी के साथ-साथ चलते हैं और बैकग्राउंड स्कोर भी बढ़िया है. आतिफ असलम का गाया हुआ गाना चलते चलते और सोनू निगम का गाना भी कर्णप्रिय है, वह रिलीज से पहले कमरिया वाला गीत ट्रेंड में है जो कि देखने में भी अच्छा लगता है. एक तरह से फिल्में कहानी के साथ-साथ ड्रामा इमोशन गाने और हंसी मजाक का फ्लेवर है जो इसे संपूर्ण फिल्म बनाता है.

कमज़ोर कड़ियां:

फिल्म की कमजोर कड़ी इसका सेकंड हाफ है जो कि थोड़ा धीमे चलता है इसे दुरुस्त किया जाता तो फिल्म और भी क्रिस्प हो सकती थी. कुछ ऐसी भी जगह है जहां कॉमेडी पंच बहुत जल्दी से आते हैं और निकल जाते हैं जिसकी वजह से शायद वह हंसी का पल हर एक दर्शक को समझ में भी ना आए.

बॉक्स ऑफिस :

फिल्म की अच्छी बात यह है कि इस का बजट कम है और इसे रिलीज भी अच्छे पैमाने पर किया जा रहा है. ट्रेलर से जिन्होंने इस फिल्म को देखने का मन बना रखा है वह बिल्कुल भी निराश नहीं होंगे और वर्ड ऑफ माउथ से यह फिल्म अच्छा मकाम हासिल कर सकती है.

 

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September 13, 20185min00
ipod hifi
 
 
आइपॉड हाइ-फाई
आइपॉड हाइ-फाई एक पोर्टेबल म्यूजिक प्लेयर था। हालांकि खराब साउंड क्वालिटी की वजह से यह बाजार में पिट गया था।
 
 
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आइमैक
एप्पल ने माउस का कॉन्सेप्ट पेश किया था और आइमैक नाम की एक डिवाइस बनाई थी। यह पॉइंटिंग डिवाइस थी, लेकिन यह उपयोग में काफी कठिन एवं आकार में असुविधाजनक थी।
 
 
Apple TV
 
 
एप्पल टीवी
आज एप्पल टीवी की बिक्री हाथों-हाथ हो रही है लेकिन 1993 में जब स्टीव जॉब्स ने मैकिनटोश टीवी को बाजार में पेश किया था, तब यह फ्लॉप साबित हुआ था। जॉब्स चाहते थे कि लोग डेस्कटॉप में ही टीवी का मजा लें। लेकिन इस डिवाइस की केवल 10000 यूनिट्स ही बिक पाई थीं।
 
 
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पिपिन
बंडाय कंपनी द्वारा बनाया गया पिपिन एक गेम कंसोल था। यह एप्पल का पहला गेमिंग प्रॉडक्ट था, जिसे 1997 में बाजार में पेश किया गया था। इसकी केवल 42000 यूनिट्स ही बिक पाई थीं।
 
 
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एप्पल 3
एप्पल 2 की सफलता के बाद कंपनी ने एप्पल 3 को बनाया लेकिन इसका डिजाइन असुविधाजनक होने की वजह से लोगों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई और कंपनी को 14000 यूनिट्स वापस मंगवानी पड़ीं।
 
 
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न्यूटन पीडीए
1987 में बनाया गया न्यूटन पीडीए 11 वर्षों तक चलन में रहा। हालांकि इसका उपयोग काफी सीमित था।
 
 
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क्विकटेक
एप्पल ने क्विकटेक नाम से 1994 में पहला डिजिटल कैमरा लॉन्च किया था। लेकिन इसे समय से पहले उठाया गया कदम कहा जा सकता है, क्योंकि उस वक्त एनालॉग कैमरों का बाजार चरम पर था और लोगों ने डिजिटल कैमरे में रुचि नहीं दिखाई। इस वजह से 1997 में कंपनी को इसका उत्पादन बंद करना पड़ा।
 
 
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मैकिनटोश पोर्टेबल
एप्पल का पहला लैपटॉप कम्प्यूटर मैकिनटोश पोर्टेबल नाम से लॉन्च किया गया था। इसमें बैटरी लाइफ की समस्या तो थी ही, साथ ही 1989 में इसकी कीमत भी काफी ज्यादा थी। उस वक्त इसे 7,300 डॉलर में बेचा जाता था।
 
 
 
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पावर मैक जी4

एप्पल का पहला पतला कम्प्यूटर था पावर मैक जी4। इसे साल 2000 में लॉन्च किया गया था, लेकिन यह काफी महंगा था। इसकी कीमत 1,799 डॉलर थी। इसमें इंटरनल फैन न होने की वजह से यह कम्प्यूटर काफी गरम हो जाता था। आखिरकार एक साल के अंदर ही कंपनी को इस कम्प्यूटर का निर्माण बंद करना पड़ा था।
 
 
 
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आरओकेआर ई1
आरओकेआर ई1 फोन का निर्माण मोटोरोला द्वारा किया जाता था। लेकिन यह पला फोन था, जो आइट्यून्स को सपोर्ट करता था। एप्पल ने साल 2005 में आइट्यून्स को आधिकारिक रूप से लॉन्च किया था। इसकी स्टोरेज कैपेसिटी काफी लिमिटेड थी और फाइल ट्रांसफर स्पीड भी बेहद धीमी थी। इन सब खामियों की वजह से कंपनी ने मोटोरोला से करार खत्म कर दिया था।
 
 
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September 13, 20181min00

रजनीकांत और अक्षय कुमार की मचअवेटेड फिल्म 2.0 का टीजर रिलीज हो गया है. 1.30 मिनट के टीजर वीडियो का एक-एक सीन काबिलेतारीफ है. इसे भारत की सबसे महंगी मूवी कहा जा रहा है. 2.0 से अक्षय कुमार साउथ फिल्मों में डेब्यू कर रहे हैं. इसमें वे नेगेटिव रोल निभा रहे हैं. अक्षय डॉक्टर रिचर्ड यानि क्राउ मैन की भूमिका में दिखेंगे. वहीं रोबोट चिट्टी की 2.0 में वापसी हो रही है. मूवी 29 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

अक्षय कुमार ने गणेश चतुर्थी के मौके पर मूवी की टीजर इंस्टा पर शेयर किया है. साथ ही लिखा- ”गणेश चतुर्ती के मौके पर भारत की सबसे बड़ी फिल्म का श्री गणेश कर रहा हूं. अच्छाई और बुराई के बीच सबसे बड़ी जंग…कौन करेगा फैसला?”

 

 

2.0 की खासियत है VFX क्वॉलिटी

साइंस फिक्शन बेस्ड मूवी की सबसे खास बात इसका VFX वर्क है. जो कि शानदार बन पड़ा है. VFX की वजह से ही कई बार मूवी की रिलीज डेट में बदलाव किया गया. वीएफएक्स में हॉलीवुड स्टैंडर्ड की क्वालिटी देखने को मिलती है. VFX का काम X-मैन और मार्वल की सीरीज की याद दिलाता है. इसे 3D और 2D में रिलीज किया जाएगा.

 

VFX पर खर्च हुए इतने करोड़

अक्षय कुमार ने खुद खुलासा किया है कि मेकर्स ने वीएफएक्स पर 544 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मूवी का बजट 400-500 करोड़ के करीब है. ये पहली बार है जब भारत में बनी किसी फिल्म के वीएफएक्स पर इतना भारी भरकम अमाउंट खर्च किया गया हो. 2.0 के वीएफएक्स होश उड़ाने वाले हैं.

 

 

2.0 में एमी जैक्शन भी नजर आएंगी. 2010 में आई मूवी रोबोट में ऐश्वर्या राय नजर आई थीं. रोबोट ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई की थी. 2.0 को तमिल और हिंदी में रिलीज किया जाएगा और 13 दूसरी भाषाओं में डब किया जाएगा. 2.0 को लेकर दर्शकों के बीच लंबे समय से माहौल बना हुआ है.

 

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September 13, 20181min00

महिलाओं के बीच बेहद लोकप्रिय कॉस्मेटिक्स लग्जरी ब्रैंड चैनल अब पुरुषों के लिए भी मेक-अप प्रॉडक्ट लॉन्च करने वाली है. विमिन्स वियर डेली की रिपोर्ट के मुताबिक, थ्री प्रोडेक्ट रेंज के साथ इसकी शुरुआत होगी जिसमें आईब्रो पेंसिल, टिंटेड फ्लूड होंगे जिसमें 4 कलर्स शामिल होंगे. इसके अलावा एक मैट मॉइस्चराइजिंग लिप बाम भी होगा.

यह लॉन्च साउथ कोरिया में 1 सितंबर में होगा. यह कलेक्शन नवंबर महीने से ई कॉमर्स साइट्स पर उपलब्ध रहेगा. जनवरी 2019 से यह चैनल के बुटीक में भी उपलब्ध होगा.

WWD ने बयान में कहा, जैसे गैब्ररिल चैनल ने मेन्स वार्डरोब से महिलाओं के लिए प्रोडेक्ट लॉन्च किए, वैसे ही चैनल महिलाओं की दुनिया से प्रेरित होकर पुरुषों के लिए एक नई शुरुआत कर रहा है. लाइन्स, कलर्स, एटीट्यूड और जेस्चर… कुछ भी पूरी तरह से फेमिनिन या मैस्कुलिन नहीं है, यह तो व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह क्या बनना चाहता है. सुंदरता किसी जेंडर की मोहताज नहीं है, यह स्टाइल का मामला नहीं है.

वोग की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरियन ऐक्टर ली डोंग वुक को इस कैंपेन का चेहरा बनाया गया है.

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब किसी ब्रैंड ने पुरुषों के लिए प्रोडक्टस लॉन्च किया है. टॉम फोर्ड भी पुरुषों के लिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स लॉन्च कर चुकी है. ये देखना दिलचस्प होगा कि प्रोडक्ट्स को खरीदने में लोग कितनी रुचि दिखाते हैं. यह भी देखना होगा कि क्या दूसरे ब्रैंड भी इस ट्रेंड को फॉलो करेंगे?

 

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