साल 2020 के खत्म होने का इंतज़ार जितनी बेसब्री से दुनिया कर रही है, उतना शायद ही किसी साल के लिए किया होगा. जायज़ भी है. आधे से ज़्यादा साल ऐसा गुज़रा, जब दुनिया की एक बड़ी जनसंख्या घरों में बंद रही. ऐसे में एक बड़े हिस्से ने म्यूजिक और आर्ट में पनाह ढूंढी. ये वो गाने हैं, जिनके संगीत ने तो लोगों को अपना फैन बनाया ही, इनके लिरिक्स भी कविता जैसे दिल में उतर गए. वो कहते हैं न, जब आप खुश होते हैं तो आप संगीत सुनते हैं, लेकिन जब आप उदास होते हैं, तो शब्दों पर ध्यान देते हैं. इस साल के खत्म होते होते चलिए आपको लेकर चलते हैं कुछ ऐसे गानों के सफ़र पर, जिनके बोलों ने सब कुछ थोड़ा आसान, थोड़ा नर्म, थोड़ा मुतमईन कर दिया.
1.शायद
गायक: अरिजीत सिंह
लिरिक्स: इरशाद कामिल
संगीत: प्रीतम
फिल्म ‘लव आजकल 2’ को रिस्पांस चाहे जैसा मिला हो, उसके गानों की लोगों ने तारीफ की. ये गाना भी कुछ ऐसा ही है. फिल्म में ये गाना ऐसे समय पर आता है, जहां कार्तिक और सारा के बीच प्यार का पहला एहसास मुकम्मल होता दिखाई देता है. अरिजीत को वैसे भी आज के ज़माने का कुमार सानू कह देते हैं लोग. क्योंकि लव सांग्स के मामले में अरिजीत का काम लोगों को बहुत पसंद है. प्रीतम पर म्यूजिक कॉपी करने के आरोप लगते रहते हैं. लेकिन इसका संगीत थोड़ा नया सा लगता है. और इरशाद कामिल के शब्द तो हैं ही. एक नज़र देखिए:
आंखों को ख्वाब देना खुद ही सवाल करके
खुद ही जवाब देना मेरी तरफ से
बिना काम काम करना, जाना कहीं हो चाहे
हर बार ही गुज़रना तेरी तरफ से
ये कोशिशें तो होंगी कम नहीं
न चाहिए कुछ तुम से ज्यादा तुम से कम नहीं
2. फिर चला
गायक: जुबिन नौटियाल
लिरिक्स: कुणाल वर्मा
संगीत: पायल देव
फिल्म ‘गिन्नी वेड्स सन्नी’ इस साल ख़बरों में रही क्योंकि इसमें रीमिक्स किया हुआ गाना ‘सावन में लग गई आग’ सुर्ख़ियों में था. लेकिन इस फिल्म में ही एक गाना और था, जो चुपचाप लोगों द्वारा पसंद किया गया. कहीं-कहीं इस गाने को सुनकर एकबारगी ‘मर्डर’ फिल्म के ‘ऐ खुदा’ गाने की याद सी आ जाती है. जुबिन नौटियाल दर्द भरे गानों के लिए लोगों के बीच जाने जा रहे हैं. वहीं इस गाने के लिरिक्स लिखने वाले कुणाल वर्मा ने कई और लोकप्रिय गानों के लिरिक्स भी लिखे हैं. गौर फरमाइए:
क्यों आंसुओं से लिखने लगी है, अब जिंदगानी ये दास्तां
पहले थे हंसे जितना उतना बुरा लगता है
सब तो खो गया मुझसे अब किसके लिए रुकना है.
3. दिल जुलाहा
गायक: दर्शन रावल
लिरिक्स: स्वानंद किरकिरे
संगीत: प्रीतम
इस साल पसंद की गई चंद फिल्मों में से एक है ‘लूडो’. इसी फिल्म का ये गाना काफी रिफ्रेशिंग बीट वाला है. खुले खुले मन से दर्शन रावल ने गाया है इसको. मूड हल्का कर देने वाला ये गाना सुनते सुनते ‘तमाशा’ फिल्म की याद आती है. गाने की आत्मा उससे मेल खाती सी लगती है. स्वानंद किरकिरे ने शब्द भी वैसे ही चुने हैं इस गाने के लिए. गौर फरमाइए:
हो इश्क तराना छेड़ा है
सांसों की हर मनिया ने
रंग बिरंगा लागे सब
बेरंगी सी दुनिया में
4. ना रवा कहिये
गायिका: कविता सेठ
लिरिक्स: दाग़ देहलवी
संगीत: एलेक्स हेफेज /अनुष्का शंकर
चूंकि ये साल फिल्मों के लिहाज से इतना बढ़िया रहा नहीं, इसका फायदा OTT को काफी मिला. पैन्डेमिक के दौरान फिल्म थियेटर और मल्टीप्लेक्स बंद हो गए थे. एक समय बाद फिल्में भी OTT प्लेटफॉर्म्स पर रिलीज होना शुरू हो गईं, लेकिन संगीत के हिसाब से इस साल वेब सीरीज में भी बढ़िया काम हुआ. उदाहरण के लिए ‘अ सूटेबल बॉय’ ही ले लें. विक्रम सेठ के 100 तोला वजनी उपन्यास पर छह एपिसोड की बनी छोटी सी सीरीज. सबसे ज्यादा जिस चीज़ की तारीफ हुई, वो था इसका संगीत. कविता सेठ ने इसके गाने गाये हैं और क्या हद दर्जे तक डूबकर गाये हैं. ‘ना रवा कहिये’ दाग़ देहलवी की नज़्म है. इसे पहले फरीदा खानम जी भी गा चुकी हैं. अब दाग़ साहब की बात हो, तो लफ्ज़ और हर्फ़ की बहस बेमानी हो जाती है. एक नज़र देखिए:
सब्र फ़ुरकत में आ ही जाता है
पर उसे देर आश्ना कहिये
ना रवा कहिये ना सज़ा कहिये
कहिये, कहिये मुझे बुरा कहिये
5. लब पर आए
गायक: जावेद अली
लिरिक्स: समीर सामंत
संगीत: शंकर एहसान लॉय
जैसा अभी हमने कहा, OTT पर आने वाली सीरीज के संगीत और उनके गानों की लोकप्रियता अच्छी रही इस साल. भारतीय शास्त्रीय संगीत पर फोकस रखती हुई एक पूरी सीरीज ही रिलीज हुई. नाम है ‘बंदिश बैंडिट्स’. मेरी सहेली, जिसे क्लासिकल संगीत में रत्ती भर भी रुची नहीं थी, उसने एक बैठकी में बिंज वॉच किया इसे. ऐसे कई लोग और थे जिन्होंने सोशल मीडिया पर भी इसके गाने रिकमेंड किए. इसका ये गाना काफी चर्चित हुआ. लिरिक्स देखिए:
लड़ पछताऊं
समझ न पाऊं
रूठे पिया को कैसे मनाऊं
भेद जिया के किस को दिखाऊं
किस को बताऊं कलेश हो
6.घूम चरख्या
गायक: सुखविंदर सिंह
लिरिक्स: स्वानंद किरकिरे
संगीत: स्नेहा खानविलकर
‘रात अकेली है’ फिल्म से ये गाना ऐसा है जिसे सुनते हुए आप शब्दों में गुम हो जाते हैं. सुखविंदर सिंह को आम तौर पर लोग धड़ाम-भड़ाम टाइप गानों के लिए याद करते हैं. लेकिन उनकी गंभीर, खुरदुरी आवाज़ जब ऐसे शांत गाने गाती है, तो आप ठहर कर एक-एक शब्द चुभलाते हैं. संगीत के डिपार्टमेंट में स्नेहा खानविलकर ने गाने के मूड को ध्यान में रखते हुए ऐसा काम किया है, जो इस गाने के शब्दों को ओवरशैडो न करे. क्योंकि अपने आप में ही इस गाने के शब्दों में अलग लय और ताल है. देखिए कुछ शब्द:
ऊंघता-ऊंघता ढूंढता-ढूंढता
उलझनों में गिरह बांधता तोड़ता
दर्द के धागों को कातता गांथता
चरमराहट तेरी चीखता चीखता
7. खुलने दो
गायक: अरिजीत सिंह
लिरिक्स: गुलज़ार
संगीत: शंकर एहसान लॉय
लिरिक्स की बात हो और गुलज़ार साहब का नाम नहीं लिया जाए, ऐसा मुश्किल ही लगता है. फिल्म ‘छपाक’ का ये गाना उम्मीद वाला तो लगता ही है, साथ में अरिजीत सिंह की आवाज़ इसे और खूबसूरत बना देती है. एक एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर आधारित फिल्म में दीपिका पादुकोण ने मुख्य किरदार निभाया था. इसकी वजह से वो लगातार सुर्ख़ियों में भी रहीं. ये फिल्म COVID -19 महामारी के भारत में फैलने से पहले रिलीज हुई थी थियेटर्स में, और इसे तारीफ भी मिली थी. ख़ास तौर पर गुलज़ार के ट्रेडमार्क तरीके में ये गाना अच्छा बन पड़ा है. बाकी उनका छायावाद तो है ही. एक नज़र देखिए.
मैली मैली सी सुबह धुलने लगी है
गिरह लगी थी सांस में
खुलने लगी है, खुलने लगी है
8. आबाद बरबाद
गायक: अरिजीत सिंह
लिरिक्स: संदीप श्रीवास्तव
संगीत: प्रीतम
‘लूडो’ फिल्म का एक गाना हम पहले भी इस लिस्ट में शामिल कर चुके हैं. लेकिन इसका ये गाना भी बेहतरीन बन पड़ा है. प्रीतम का संगीत है, और संदीप श्रीवास्तव ने बेहद नाज़ुक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए लिखा है ये गाना. ये गाना सोशल मीडिया पर भी काफी चला था. प्रेम में दो किनारों के बीच जूझते इंसान की तड़प इस गाने में दिखाई देती है. जैसे कोई मांझी से कह रहा हो, या तो इस पार लगा दे या उस पार. सांस डूब रही है. देखिए लिरिक्स एक नज़र:
इतना अहसान कर दो, पूरे अरमान कर दो
लब पर आकर जो रुके हैं, ढाई वो हर्फ़ कह दो
मेरी सांसों से जुड़ी है तेरी हर सांस कह दो
9. मेरे लिए तुम काफी हो
गायक: आयुष्मान खुराना
लिरिक्स: वायु
संगीत: तनिष्क-वायु
फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ इसलिए भी ख़बरों में थी क्योंकि इस फिल्म में होमोसेक्शुअल संबंधों पर फोकस किया गया था. इस फिल्म का ये गाना आयुष्मान ने डूबकर गाया है. इस गाने में प्यार की बातें तो हैं, लेकिन एक हल्का-फुल्कापन है जो बिना गंभीर हुए भी बेहद सुंदर बातें कह जाता है. आप खुद देखिए लिरिक्स:
ये दुनिया मिले ना मिले हमको
खुशियां भगा देंगी हर गम को
तुम साथ हो फिर क्या बाकी है
मेरे लिए तुम काफी हो
10 . महफ़िल बर्खास्त हुई
गायिका: कविता सेठ
लिरिक्स: अमीर मिनाई
संगीत: एलेक्स हेफेज, अनुष्का शंकर
‘अ सूटेबल बॉय’ सीरीज से एक गाना हम इस लिस्ट में पहले भी ले चुके हैं. लेकिन इस गाने को चुनने का लोभ संवरण न किया जा सका. सीरीज के अंत में भी आता है ये गाना, और खत्म होते होते दिल में एक टीस दे जाता है. खालीपन सा रह जाता है देखने वाले के भीतर. इसलिए नहीं कि सीरीज ख़त्म हो गई है. बल्कि इसलिए कि सब कुछ बीत चुकने के बाद सन्नाटे से कैसे समझौता किया जाए, ये समझ नहीं आता. अमीर मिनाई साहब की लिखी हुई नज़्म एक अलग समय में ले जाती है. लिरिक्स देखिए:
महफ़िल बर्खास्त हुई
पतंगे रुख़्सत शम्मो से हो रहे हैं,
दुनिया का ये रंग और हम
कुछ होश नहीं है सो रहे हैं
11. उस्तत
गायक: मनप्रीत सिंह
गीत: हरमनजीत सिंह
संगीत: मनप्रीत सिंह
इंडिपेंडेंट सॉंग है. हरमनजीत सिंह ने इसके लिरिक्स लिखे हैं. छोटी सी कहानी है. हरमिंदर बोपराय की. ये शिल्पकार हैं. पैरालिसिस से जूझते हुए उन्होंने अपना करियर बनाया और हार नहीं मानी. उन्हीं की बचपन से लेकर अब तक की कहानी है. लिखने वाले हरमनजीत ने बॉलीवुड के लिए भी लिखा है. ‘लौंग लाची’, ‘आर नानक पार नानक’ के लिरिक्स भी इन्होंने लिखे हैं. कवि हैं मूल रूप से. इन्हें साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार भी मिल चुका है. इस गाने में उस्तत का मतलब है तारीफ, किसी के लिए बहुत मान. लिरिक्स देखिए:
हवावां दे ढोलक ज़मीन दे बिछौने
के रुत्तां दे लहंगे त्योहारां दी उस्तत
रंगां दी उस्ततआकारां दी उस्तत
12.एक टुकड़ा धूप
गायक: राघव चैतन्य
गीत: शकील आज़मी
संगीत: अनुराग सैकिया
घरेलू हिंसा पर बनी फिल्म ‘थप्पड़’ में तापसी पन्नू की काफी तारीफ हुई थी. इस फिल्म ने एक ज़रूरी बहस को भी हाईलाईट किया, जो चल काफी समय से रही थी लेकिन उसे फिल्म का एक प्लेटफॉर्म मिल गया. उसी फिल्म से ये गाना राघव चैतन्य ने बड़ी सफाई से निभाया है. शकील आज़मी भी आत्मा से कवि हैं. ‘हैक्ड’, ‘आर्टिकल 15’ जैसी फिल्मों के लिए भी गाने लिख चुके हैं. लिरिक्स पर एक नज़र डालिए :
दिसंबर में जन्मे लोग भाग्यशाली होने के साथ-साथ काफी बुद्धिमान भी होते हैं. इस महीने पैदा हुए लोगों की कई क्वालिटी उन्हें बाकियों से बेहतर बनाती हैं. भारत में जन्मी कई महान शख्सियत खुद इस बात प्रमाण हैं. कई चर्चित हस्तियों का जन्म भारत में हुआ है. आइए जानते हैं दिसंबर के महीने में पैदा होने वाले लोगों के स्वभाव की 10 खास बातें.
पैदाइशी लीडर- अगर इन्हें कहीं भी लीड करने को मिले तो ये बेहतर लीडर और मैनेजर साबित होते हैं. टीम को संभालना हो या किसी भी परिस्थिति से निपटना हो, ये हर चीज बड़ी आसानी से संभाल सकते हैं. इनकी तार्किक क्षमता इन्हें महान बनाती है. ये हर चीज के अच्छे औऱ बुरे पहलू को अच्छी तरह समझते हैं.
क्रिएटिव– इस महीने जन्मे लोग बहुत क्रिएटिव होते हैं. इनका रचनात्मक स्वभाव इन्हें किसी भी काम को एक अलग तरीके से करने के लिए मजबूर करता है, जिस वजह से परिणाम भी अच्छा आता है. इस राशि के अधिकतर लोग अभिनेता, निर्माता, निर्देशक और कलाकार होते हैं. ये धन कमाने के मामले में भी बहुत भाग्यवान माने जाते हैं.
भाग्यशाली– इस महीने में पैदा होने वाले लोग काफी भाग्यशाली भी माने जाते हैं. मेहनत के साथ-साथ किस्मत भी इनका साथ देती हैं. चाहे पर्सनल लाइफ हो या प्रोफेशनल हर मामले में लकी साबित होते हैं.
ईमानदार– दिसंबर महीने में पैदा हुए लोग बहुत ही ईमानदार होते हैं. ये लाइफ में गलत तरीकों का कभी इस्तेमाल नहीं करते हैं. उन्हें पता होता है कि बेईमानी या झूठ बोलकर उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा. ये अपने विश्वासों और नैतिक मूल्यों के प्रति बेहद दृढ़ रहते हैं. इन्हें इन मूल्यों से कोई डिगा नहीं पाता है.
एनर्जेटिक– इस महीने में पैदा हुए लोग बहुत ऐक्टिव रहते हैं. ये जो भी काम करते हैं, उसमें अपनी पूरी एनर्जी लगा देते हैं. इनके अंदर अपने प्रोफेशन के प्रति गजब उत्साह रहता है. महात्वाकांक्षी होने के साथ-साथ ये दूसरों की मदद भी खूब करते हैं. इसी खासियत की वजह से ये एक अच्छे लीडर बन पाते हैं.
डाउन टू अर्थ- इन्हें बहुत लग्जीरियस लाइफ की आकांक्षा नहीं होती है. इन्हें छोटी-छोटी चीजों जैसे दोस्तों, प्यार, हंसी में ही खुशी मिल जाती है. ये हर पल को जीने में यकीन रखते हैं. इनकी कंपनी में रहना किसी वरदान से कम नहीं है.
सीक्रेटिव- इन्हें अपना पर्सनल स्पेस बहुत प्यारा होता है. ये हर किसी से अपनी फीलिंग्स के बारे में बातें नहीं करते हैं. ये कुछ चुनिंदा लोगों से ही अपनी निजी बातें साझा करते हैं जिन पर इन्हें बहुत भरोसा होता है.
उदार- दिसंबर में पैदा हुए लोग बहुत ही उदार प्रकृति के होते हैं. लेकिन इनके इसी स्वभाव का कई लोग फायदा उठाने लगते हैं. इन्हें बहुत देर से एहसास होता है कि हर किसी के लिए दिलदारी दिखाना सही नहीं है.
जिद्दी- हर किसी के व्यक्तित्व में नकारात्मक पक्ष भी होता है. दिसंबर में पैदा होने वाले लोग जिद्दी होते हैं और कई बार ये अपनी मान्यताओं और विश्वासों से अलग चीजों को स्वीकार नहीं करते हैं. कई बार खुद गलत होने के बावजूद भी खुद को सही ही मानते हैं. हालांकि ये दूसरों पर अपनी चीजें नहीं थोपते हैं.
वफादार– दिसंबर में पैदा हुए लोगों पर आंख मूंदकर भरोसा कर सकते हैं. अगर आप एक बार इनसे आपकी अच्छी दोस्ती हो गई तो आपको पता होता है कि ये जिंदगी भर आपके साथ खड़े रहते हैं. ये जो कुछ बोलते हैं, उसमें बिल्कुल झूठ नहीं होता है. चिकनी-चुपड़ी बातें इन्हें करना नहीं आता है.
कोरोना वायरस की वजह से घरों में लंबे समय तक रहने के बाद अब लोग घूमने फिरने के लिए बाहर निकलने लगे हैं. इस समय मालदीव (Maldives) लोगों का पसंदीदा जगह बना हुआ है. सोशल मीडिया पर कई सेलेब्रिटीज मालदीव में छुट्टियां मनाते हुए अपनी तस्वीरें शेयर कर रहे हैं. यहां हम आपको दिखाने जा रहे मालदीव की ऐसी तस्वीरें जिसे देखकर आप भी यहां जरूर घूमना चाहेंगे.
ट्री टॉप डाइनिंग से लेकर अंडरवाटर विला जैसी खूबसूरत चीजों की वजह से मालदीव को लेकर पर्यटकों में खासा क्रेज है. खास बात ये है कि यहां पर्यटकों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखा जा है जिसकी वजह से भी लोग इस समय यहां छुट्टियां मनाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
पर्यटकों के लिए मालदीव 15 जुलाई को खोल दिया गया था और तबसे यहां 57,000 से भी अधिक पर्यटक आ चुके हैं. यहां आने से पहले पर्यटकों को अपनी Covid-19 टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी. साथ ही एक ऑनलाइन डिक्लेरेशन फॉर्म भी भरना होगा.
मालदीव में रिजॉर्ट में सफाई और कॉन्टैक्टलेस चेक-इन का खास ख्याल रखा जा रहा है. एकांत और यहां की खूबसूरती पर्यटकों को अपनी तरफ खींच लेती है.
यहां कुछ रिजॉर्ट में पर्यटकों के लिए खास ट्री टॉप डाइनिंग की सुविधा उपलब्ध है. इसमें बांस से बने रेस्टोरेंट को घोंसले का लुक दिया जाता है जिसमें बैठकर लोग खाने के साथ-साथ खूबसूरत नज़ारों का भी लुत्फ ले सकते हैं.
यहां रिजॉर्ट में पर्यटकों के लिए स्पा ट्रीटमेंट और योगा क्लास की भी सुविधा उपलब्ध है. पूल, क्लब हाउस, विला और बीच ये सारी चीजें पर्यटकों को यहां खूब पसंद आ रही हैं.
मालदीव में स्थित द मुराका अंडरवाटर विला का भी पर्यटकों में बहुत क्रेज है. इसमें पानी के 16 फीट अंदर एक मास्टर बेडरूम है जिसके अंदर से समुद्री जीवों को बिल्कुल पास से देखा जा सकता है. इस विला में इनडोर और आउटडोर लाउंज, प्राइवेट पूल और डूबते सूरज की खूबसूरती को देखने के लिए खास बेडरूम की सुविधा है. VIP पैकेज में यहां पर्सनल बटलर और शेफ की भी सुविधा उठा सकते हैं.
सोशल डिस्टेंसिंग वेकेशन को ध्यान में रखते हुए फिनोल्हू जैसे रिजॉर्ट में बीच बबल टेंट लगाए गए हैं. इसमें पर्यटक पारदर्शी बेडरूम से समुद्र का नजारा ले सकते हैं. इसमें प्राइवेट बारबेक्यू की खास सुविधा है. इतना ही नहीं मालदीव आने वाले पर्यटकों के मनोरंजन का भी खास ख्याल रखा जा रहा है और मूनलाइट सिनेमा की सुविधा दी जा रही है.
मालदीव आने वाले पर्यटक स्पीड बोट की सवारी जरूर करते हैं. यहां स्पीड बोट कराने वाले कुछ रिजॉर्ट सोशल डिस्टेंसिंग के साथ और भी कई एक्टिविटी कराते हैं. इसके अलावा पर्यटकों के लिए प्राइवेट लंच-डिनर, स्पा ट्रीटमेंट और मूवी नाइट का भी इंतजाम कराते हैं.
छुट्टियां ही नहीं भीड़भाड़ से दूर कहीं एकांत में जाकर काम करने वालों के लिए भी मालदीव बेस्ट ऑप्शन है.
मशहूर कोरियोग्राफर सरोज खान का आज बर्थ-डे है. उनके कोरियोग्राफ किए हुए गानों के स्टेप्स पर डांस करती हुई हम जैसी लड़कियां बड़ी हुईं. जिसे आइकन कहा जाता है, सरोज खान उन चंद लोगों में से थीं जिन्होंने परदे के पीछे रह कर भी कमाल रचा. कोरियोग्राफी के लिए उन्हें आठ फिल्मफेयर अवॉर्ड्स मिल चुके थे, जो इस कैटेगरी में हाइएस्ट हैं. कोई उनके करीब तक नहीं है. उनके कुछ ऐसे ही कोरियोग्राफ किए हुए गाने, जो बेहद पॉपुलर हुए, आप यहां देख सकते हैं. साथ ही उससे जुड़ी कुछ रोचक जानकारी भी पढ़ लीजिएगा. 71 साल की उम्र में इसी साल उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था.
1. चने के खेत में
फिल्म:अंजाम (1994)
किस पर फिल्माया गया: माधुरी दीक्षित
इस गाने का हुक स्टेप बहुत पॉपुलर हुआ. हुक स्टेप उसे कहते हैं जो गाने में बार-बार रिपीट होता है. चने के खेत में लाइन पर माधुरी जो एक्शन करती हैं, वो आज भी करने की कोशिश करते हुए लोग देखे जा सकते हैं. (दिखने में आसान है, करने में नहीं).
2. तम्मा तम्मा लोगे
फिल्म: थानेदार (1990)
किस पर फिल्माया गया: संजय दत्त, माधुरी दीक्षित
इस गाने के बारे में सरोज खान ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी एक सहेली ने आकर संजय दत्त की तारीफ की थी. कि गाने में वो बहुत अच्छे लगे. मैंने उसे बताया कि गाने में तो माधुरी भी थी. उसने कहा कि उसने माधुरी को तो नोटिस ही नहीं किया. मैं यकीन नहीं कर पाई. ये अचानक से हुआ था.
3. निम्बूड़ा निम्बूड़ा
फिल्म: हम दिल दे चुके सनम (1999)
किस पर फिल्माया गया: ऐश्वर्या राय
इस गाने के लिए सरोज खान को बेस्ट कोरियोग्राफी का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था. ये गाना एक राजस्थानी लोकगीत की तर्ज पर बना है. ओरिजिनल गाने का शीर्षक निम्बूड़ा था जिसे राजस्थान के मांगणियार समुदार के गाजी खान बरना ने पॉपुलर किया था.
4. डोला रे डोला
फिल्म: देवदास (2002)
किस पर फिल्माया गया: माधुरी दीक्षित और ऐश्वर्या राय
इस गाने को लिखने में डायरेक्टर संजय लीला भंसाली को हफ्ते भर का समय लग गया. क्योंकि वो इसकी हर लाइन परफेक्ट करना चाहते थी. इस गाने की शूटिंग के दौरान भारी झुमकों की वजह से ऐश्वर्या राय के कानों से खून निकलना शुरू हो गया था. लेकिन उन्होंने किसी को बताए बिना शूटिंग जारी रखी.
5. हमको आजकल है
फिल्म: सैलाब (1990)
किस पर फिल्माया गया: माधुरी दीक्षित
इसमें लीड सिंगर ने सिर्फ एक लाइन गाई है. ‘हमको आजकल है इंतज़ार, कोई आए, ले के प्यार’. बाकी सबकुछ कोरस गाता है. कोरस के तमाम सवालों का जवाब माधुरी इस एक ही बात से देती है. ये कुछ अलग प्रयोग था, जो बेहतरीन बन पड़ा था.
6. ये इश्क हाय
फिल्म: जब वी मेट (2007)
किस पर फिल्माया गया: करीना कपूर
इस गाने का एक कवर सर्बिया नाम के देश के एक गाने में इस्तेमाल हुआ है. नेमम एलाना. इस फिल्म की एक ख़ास बात ये है कि इसका टाइटल पॉपुलर वोट से डिसाइड हुआ था. उस समय इंटरनेट इतना पॉपुलर नहीं था. तो अख़बारों में भी ऐड छपवाए गए थे और पब्लिक से उनकी राय मांगी गई थी. दूसरे ऑप्शन्स थे इश्क वाया भटिंडा और पंजाब मेल.
7. तबाह हो गए
फिल्म:कलंक (2019)
किस पर फिल्माया गया: माधुरी दीक्षित
इस गाने के साथ सरोज खान ने रेमो डिसूजा के साथ कोलैबोरेट किया था. और उनकी फेवरेट स्टूडेंट माधुरी तो थी हीं. पूरे गाने को कोरियोग्राफ करने में दो दिन लगे थे. इसके आखिर में जो क्लाइमेक्स शॉट है, वो एक ही टेक में पूरा किया गया था. इसमें माधुरी ने लगातार दस चक्कर लिए थे.
8. हवा हवाई
फिल्म: मिस्टर इंडिया (1987)
किस पर फिल्माया गया: श्रीदेवी
इस गाने को गाने वाली कविता कृष्णमूर्ति ने बताया कि ये गाना वो नहीं गाने वाली थीं. उन्होंने गाना सिर्फ डब किया था. लेकिन कम्पोजर लक्ष्मीकांत जी ने उन्हें बताया कि उनकी आवाज़ ही इस गाने के लिए इस्तेमाल की जाएगी, और इसे दुबारा रिकॉर्ड नहीं किया जाएगा.
9. धक-धक करने लगा
फिल्म: बेटा (1992)
किस पर फिल्माया गया: माधुरी दीक्षित , अनिल कपूर
फिल्म के डायरेक्टर और को प्रोड्यूसर इंद्रा कुमार ने ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ को दिए इंटरव्यू में बताया कि इस गाने की शूटिंग के लिए उन्होंने छह दिन प्लैन किए थे. लेकिन माधुरी के पास डेट्स नहीं बची थीं. तो इस पांच मिनट के गाने के पहले ढाई मिनट तीन दिन में और बाकी का गाना एक रात में शूट हुआ था.
10. चोली के पीछे
फिल्म: खलनायक (1993)
किस पर फिल्माया गया: नीना गुप्ता, माधुरी दीक्षित
इस गाने के लिए ना सिर्फ सरोज खान को बेस्ट कोरियोग्राफी के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था, बल्कि इस गाने को गाने वाली अलका याग्निक और इला अरुण को भी बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का अवॉर्ड मिला था. इस गाने पर बहुत बवाल हुआ था और इसे बैन भी कर दिया गया था. लेकिन बाद में इसे वापस लाया गया.
सरोज खान की लिगेसी उनके गानों में मौजूद रहेगी. आने वाले कई सालों तक छोटी-छोटी बच्चियों से लेकर उनकी मांओं तक उनके स्टेप्स पर थिरकती दिखेंगी. गाने बदलते रहेंगे, सरोज और उनका नृत्य के लिए प्रेम हमेशा मौजूद रहेगा.
एनिमल लवर्स को जानवरों के साथ टाइम स्पेंड करना बहुत पसंद होता है. पर ऐसे लोग जिनके पास कोई Pet नहीं होता वो इनके साथ खेलने और इनकी क्यूटनेस को देखने से वंचित रह जाते हैं. ऐसे ही एनिमल लवर्स के लिए दुनियाभर में कुछ ख़ास Pet Cafes बनाए गए हैं. यहां जाकर आप केक और कॉफ़ी के साथ इन पेट्स के साथ जी भर के खेल सकते हैं.
चलिए जानते हैं दुनिया के कुछ ऐसे ही एडोरेबल Pet Cafes के बारे में…
1. HARRY Hedgehog Cafe- Tokyo
जापान के इस कैफ़े में आप अपनी पसंद के Hedgehog के साथ क्डलिंग कर सकते हैं. साथ उसके लिए खाना भी ऑर्डर कर सकते हैं. यहां पर हर घंटे के लिए आपको 9 डॉलर की फ़ीस चुकानी होगी.
2. Little Zoo Cafe- Bangkok
इस कैफ़े में कई प्रकार के जंगली जानवर हैं. इनमें लोमड़ी से लेकर Meerkats तक शामिल हैं. ये काफ़ी फ़ेमस है इसलिए यहां एनिमल लवर्स की लंबी कतार लगी रहती है. एक घंटे की फ़ीस है 10 डॉलर.
3. Tokyo Snake Center- Tokyo
इस कैफ़े में आप अलग-अलग प्रकार के सांपों को को देख सकते हैं. ये थोड़ा डरावना हो सकता है मगर यहां पर सभी सांपों को शीशे के बॉक्स में रखा जाता है. एक घंटे की क़ीमत है 9 डॉलर.
4. Thanks Nature Cafe- Seoul
साउथ कोरिया के इस कैफ़े में आप भेड़ के साथ अपने खाने को इंजॉय कर सकते हैं. अगर आपके पास भी कोई भेड़ है तो उसके नहलाने की भी सुविधा यहां मौजूद है. यहां की एंट्री फ़्री है.
5. Yokohama Reptile Center- Yokohama
इस कैफ़े में अलग-अलग प्रकार के Reptile लोगों का स्वागत करते हैं. इन्हें भी शीशे के बॉक्स में रखा जाता है. यहां लंच और डिनर करने की भी सुविधा है. इसीलिए ये यहां बैठने का अलग से चार्ज़ नहीं लेते.
6. Sakuragaoka Café- Shibuya
जापान का ये कैफ़े छोटी-छोटी और प्यारी बकरियों के लिए फ़ेमस है. अगर आपको बकरियों के साथ खेलना पसंद है तो आपको यहां ज़रूर जाना चाहिए. ये इसके लिए अगल से पैसे नहीं लेते हैं.
7. The Blind Alley- Seoul
साउथ कोरिया के इस कैफ़े में लज़ीज़ फ़ूड और एक से बढ़कर एक Racoons देखने को मिलते हैं. इनके साथ खेलते हुए आप मज़े से अपने फ़ूड का लुत्फ़ उठा सकते हैं. एंट्री फ़्री है.
8. Lucky Bunny Cafe- Chiang Mai
अगर आपको खरगोश पसंद हैं तो आपको थाइलैंड के इस कैफ़े में जाना चाहिए. यहां पर आप लिविंग रूम, डाइनिंग टेबल, बीन बैग्स आदि पर बैठ कर अपने खाने को खरगोश के साथ खेलते हुए बड़े आराम से खा सकते हैं. यहां भी अलग से कोई चार्ज नहीं लिया जाता.
9. Owl Cafe- Osaka
जापान में उल्लुओं का कैफ़े भी है. आप यहां पर खाने-पीने के साथ उल्लुओं को अलग-अलग प्रकार की आवाज़े लगाता हुआ सुन सकते हैं. इसके लिए आपको 15 डॉलर एक घंटे के लिए चुकाने होंगे.
10. Huskitory- Malacca Huskies
डॉग्स की एक स्पेशल प्रजाति होती है. यहां इस जाति के कई डॉगी मोजूद हैं. इनका व्यवहार बहुत ही दोस्ताना होता है. मलेशिया के इस कैफ़े में आप इनके साथ आराम से अपना भोजन खा सकते हैं.
एनिमल लवर्स को एक बार इन कैफ़े में ज़रूर जाना चाहिए.
काम करते करते थक जाने पर आप क्या करते हैं? छोटा ब्रेक ले लेते हैं. अपने इस ब्रेक में दिमाग को फ़्रेश करने के लिए आप चाहते हैं कि कोई फ़िल्म देख लें मगर ज़्यादा वक़्त ख़राब होने के डर से आप ऐसा नहीं करते.
अगर आप भी इस दुविधा से रोज़ जूझते हैं तो उसका तोड़ हैं शॉर्ट फ़िल्में. शार्ट फ़िल्मों की ख़ासियत ये है कि ये आपको 1 घंटे से भी कम समय में ख़त्म हो जाती हैं और आपको बेहतरीन एंटरटेनमेंट भी देती हैं.
1. द स्कूल बैग:
15 मिनट की इस शॉर्ट फ़िल्म में रसिका दुग्ग्गल और सरताज आर.के. ने एक्टिंग की है. ये शॉर्ट फ़िल्म एक मां और उसके बेटे के बीच के प्यारे रिश्ते को दिखाती है. फारूक और उसकी अम्मी पाकिस्तान के छोटे शहर पेशावर में रहते हैं. बच्चा की एक छोटी सी मांग होती है कि वो अपने पिता से मिलना चाहता है. इस छोटी सी कहनी में ऊपर से खुश दिख रहे लोग भीतर से असल में कैसे होते हैं इसको दिखाया गया है.
2. नो स्मोकिंग:
‘सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है’ ये तो सबको ही मालूम है और इस पर जानकारी देने वाले ख़ूब वीडियो भी बने मगर दीपक डोबरियाल, सनी लियॉन और आलोक नाथ की इस 5 मिनट का ये वीडियो अपने आप में मज़ेदार भी है और जागरूक भी करता है.
3. टेंथ रेस:
हम सबके चहेते पंकज त्रिपाठी 15 मिनट की इस शॉर्ट फ़िल्म में दिखाई देंगे. इस सस्पेंस थ्रिलर में चार लोग मिलकर एक क्राइम करने का सोचते हैं जो जोख़िम भरा हो सकता है मगर एक काम काम पूरा हो गया तो कोई ख़तरा नहीं. 15 मिनट की ये फ़िल्म आपको बीच में उठने का मौका नहीं देगी.
4. पुराना प्यार – Love Handles:
मोहन अगाशे और लिलेट दुबे की शॉर्ट फ़िल्म पुराना प्यार दो ऐसे लोगों की कहानी है जो साबित करते हैं की प्यार की कोई उम्र नहीं होती. गोरिल्ला शॉर्ट्स की ये फ़िल्म एक सीरीज़ ‘Love Handles’ का एक हिस्सा है. इस शॉर्ट फ़िल्म ने कई इनाम भी अपने नाम किये.
5. पीरियड – ऐंड ऑफ़ अ सेंटेंस:
नेटफ़्लिक्स की ये डॉक्यूमेंट्री आपको ज़रूर देखनी चाहिए. 26 मिनट की ये डॉक्यूमेंट्री उत्तर प्रदेश के काठीकेरा गांव में युवा महिलाओं के एक ग्रुप के अनुभवों और संघर्षों आसपास घूमती है. ये युवा महिलाएं अरुणाचलम मुरुगनांथम यानी पैडमैन ऑफ इंडिया द्वारा बनायीं गयी की गई कम लागत वाली मशीनों का उपयोग करके सेनेटरी नैपकिन बनाती हैं. 2019 में इस शॉर्ट फ़िल्म को बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट के लिए ऑस्कर मिला.
6. द रिलेशनशिप मैनेजर:
साधारण मगर सोचने पर मज़बूर कर देने वाली शॉर्ट फ़िल्म है रिलेशनशिप मैनेजर. फ़िल्म की कहानी एक मैनेजर(अनूप सोनी) के आसपास घूमती है. जो लॉकडाउन के चलते घर से काम कर रहा है. कॉल करने के लिए उसके पास एक लिस्ट है जिनको वो दिन भर में फ़ोन करता है. फ़ोन कॉल कैसे अजीब मोड़ लेता है वो इस फ़िल्म में दिखाया गया है. फ़िल्म में अनूप सोनी के साथ दिव्या दत्ता, अनुपम खेर और सना ख़ान जैसे एक्टर्स भी दिखाई देंगे.
7. कांदे पोहे:
महाराष्ट्र में जब एक लड़का पहली बार अरेंज मैरिज़ के लिए लड़की के घर जाता है तो कांदा पोहा परोसा जाता है. इस रिवाज़ को ‘कांदे पोहे दा कार्यक्रम’ कहते हैं. इस शॉर्ट फिल्म की कहानी संजय(तुषार पाण्डेय) और मनीषा(अहसास चन्ना) की है जो अपने कांदे पोहे दा कार्यक्रम में मिल रहे हैं.
8. OP स्टॉप स्मेलिंग योर सॉक्स:
2011 में आई इस शॉर्ट फ़िल्म में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी हैं और यही एक कारण काफी होना चाहिए इसे देखने के लिए. इस फ़िल्म की कहानी एक ऐसे इंसान की है जो जिस बस में है उस बस की विंडो सीट पर कब्ज़ा कर चाहता है मगर असफ़ल रहता है.
9. नीतिशास्त्र:
फ़िल्म में तापसी पन्नू लड़कियों को सेल्फ़-डिफेंस सिखाती हैं ताकि लड़कियां बाहरी दुनिया के लोगों से खुद को बचा सकें मगर उनका पूरा जीवन पलट जाता है जब उन्हें मालूम चलता है कि उनके ही भी ने महिला के ख़िलाफ अपराध किया है.
10. घर की मुर्गी:
इस साल के महिला दिवस पर सोनी लिव ने शॉर्ट फ़िल्म निकाली थी घर की मुर्गी. क़रीब 18 मिनट लंबी ये फ़िल्म कई ज़रूरी सवाल खड़े करती है और अहम मुद्दों को उठाती है. इस फ़िल्म में साक्षी तंवर एक घरेलू महिला का किरदार निभा रही हैं. ये कहानी किसी भी घर की महिला की हो सकती है.
कई बुरी आदतें रहस्यमयी तरीके से हमारी सेहत को बर्बाद करती हैं. जाने-अनजाने हुई इन गलतियों के लिए हमें बाद में पछताना पड़ सकता है. हेल्दी और हैप्पी लाइफ चाहते हैं तो रोजमर्रा के कॉमन लाइफस्टाइल की इन छोटी-छोटी गलतियों पर ध्यान देना शुरू कीजिए. यकीन मानिए, ये 10 बुरी आदतें छोड़ने से आपको डॉक्टर और दवाइयां दोनों से राहत मिलेगी.
1) अक्सर आपने लोगों को कमर मोड़कर बैठे या चलते देखा होगा. ऐसा करना ना सिर्फ आपके शरीर की मांसपेशियों और रीढ़ के लिए हानिकारक है, बल्कि बॉडी पोश्चर पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. कमर को हमेशा सीधा रखें. इससे मांसपेशियों में संतुलन रहेगा और रीढ़ भी दुरुस्त रहेगी.
2) वर्क फॉर्म होम के दौरान लोगों को घंटों तक कंप्यूटर के आगे बैठकर काम करना पड़ रहा है. अक्सर लोग इसे सिर्फ आंखों के लिए खराब समझते हैं, पर क्या आप जानते हैं, इससे हमारे हाथों पर भी बुरा असर पड़ता है. हाथ और उंगलियों में दर्द और झनझनाहट के कारण ‘कार्पल टनल सिंड्रोम’ का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए काम के बीच में आंखों के साथ-साथ हाथों को भी रिलैक्स दें.
3) बाजार में मिलने वाला जंक फूड या फास्ट फूड आपकी जुबान को संतुष्ट तो कर देता है, लेकिन साथ ही कई बीमारियां भी दे जाता है. जंक फूड तेजी से वजन बढ़ाकर डायबिटीज, हृदय रोग समेत कई खतरनाक बीमारियों को शरीर में आने की दावत देता है. जंक फूड के साथ आपके पेट में कई अनहेल्दी चीजें भी जाती हैं.
4) अनहेल्दी लाइफ के कारण शरीर में स्ट्रेस हार्मोन्स तेजी से रिलीज होते हैं. स्ट्रेस की वजह से इंसान को ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर की समस्या हो सकती है. इतना ही नहीं, ये बढ़ते वजन के साथ आपके डाइजेशन और इम्यूनिटी पर भी बुरा असर डालता है. इससे निजात पाने के लिए आप स्ट्रेस मैनेजमेंट के तहत ‘डीप ब्रीदिंग’, ‘मेडिटेशन’, ‘योग’, ‘वर्कआउट’ कर सकते हैं या परिवार के साथ समय बिता सकते हैं.
5) शराब में मौजूद एल्कोहल से आपकी शारीरिक और मानसिक स्थित दोनों पर बुरा असर पड़ता है. इसमें कोई संशय नहीं है कि अल्कोहल से हमारे शरीर को कई बड़े नुकसान हो सकते हैं. शराब ना सिर्फ इंसान का लिवर खराब करती है, बल्कि ये हृदय रोग, डिप्रेशन, गठिया और कैंसर जैसे खतरनाक रोगों का कारण बन सकती है.
6) स्मोकिंग (धूम्रपान) हार्ट डिसीज और कैंसर से हुई 30% मौत के लिए जिम्मेदार है. इतना ही नहीं, 80-90% लोगों को फेफड़ों का कैंसर भी स्मोकिंग की वजह से होता है. सिगरेट या बीड़ी पीने से मुंह, गला या ब्लैडर कैंसर भी होता है. इन्हें छोड़ते ही आपको इसके लाभ दिखने शुरू हो जाएगा, क्योंकि स्मोकिंग छोड़ने के अगले ही मिनट से फेफड़े और कार्डियोवस्क्युलर सिस्टम खुद-ब-खुद रिकवर होने लगते हैं. लेकिन इसे वक्त रहते छोड़ देना चाहिए.
7) पेन किलर्स यानी दर्द में राहत देने वाली दवाओं को भी बहुत कम इस्तेमाल करना चाहिए. इनका लंबे समय तक इस्तेमाल सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. पेन किलर्स लगातार लेने से अल्सर, गैस्ट्रोइंटसटाइनल से खून, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक की दिक्कत बढ़ सकती हैं. इसलिए ऐसी दवाओं के एडिक्शन पर कंट्रोल करना सीखिए.
8) कई लोगों को सुबह के वक्त ब्रेकफास्ट करने की आदत नहीं होती है. क्या आप जानते हैं मॉर्निंग डाइट ना लेने से आपकी सेहत को कितना नुकसान है? ऐसा लगातार करने से आपके सामान्य वजन, हार्मोनल हेल्थ, मेमोरी, ह्यूमर और मूड पर बुरा असर पड़ता है. सुबह का नाश्ता ना करने से मेटाबॉलिज्म सुस्त होता है, जो इंसान के वजन बढ़ने का कारण बन सकता है.
9) कम या अपर्याप्त नींद लेने से आपका फोकस कमजोर होता है. व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने लगता है. डिप्रेशन की समस्या बढ़ जाती है. स्ट्रेस हार्मोन में वृद्धि होने से वजन भी बढ़ता है. कम सोने से स्किन और इम्यून पर तो बुरा असर पड़ता ही है, साथ ही हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी होती है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि हमें रोजाना कम से कम 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए.
10) पानी कम पीने की वजह से हमारी बॉडी डीहाइड्रेट होना शुरू हो जाती है. पानी की कमी का बुरा असर पूरे शरीर पर पड़ता है. ये थकान, ड्राय स्किन, चिड़चिड़ापन और फोकस में कमी का कारण बन सकता है. पानी कम पीने से शरीर से जहरीले पदार्थ बाहर नहीं आ पाते हैं, जिसके कारण किडनी और इम्यून पर भी बुरा असर होता है.
कोरोना वायरस महामारी ने इन 10 देशों को छोड़कर, दुनिया के लगभग हर देश में अपना असर दिखाया है. पर क्या ये देश वाक़ई कोविड-19 से बेअसर रहे? और सवाल यह भी है कि ये अब कर क्या रहे हैं?
1982 में खुला ‘द पलाऊ होटल’ उस ज़माने में एक ‘बड़ी चीज़’ था, इस होटल का बहुत नाम था क्योंकि उस समय कोई और होटल था ही नहीं.
तब से, आसमानी रंग के प्रशांत महासागर से घिरे इस छोटे से देश ने पर्यटन में उछाल का पूरा आनंद लिया.
2019 में क़रीब 90 हज़ार पर्यटक पलाऊ पहुँचे थे, यानी इस देश की कुल आबादी से लगभग पाँच गुना.
2017 में आईएमएफ़ के आँकड़ों से पता चलता है कि ‘देश की जीडीपी का 40 प्रतिशत हिस्सा पर्यटन से आता है.’
लेकिन ये सब कोविड से पहले की बातें हैं.
पलाऊ की सीमाएं मार्च के अंतिम दिनों से बंद हैं. लगभग उसी समय से जब भारत में पहले लॉकडाउन की घोषणा हुई थी. हालांकि, पलाऊ दुनिया के उन 10 देशों (उत्तर कोरिया और तुर्कमेनिस्तान को छोड़कर) में से एक है जहाँ कोरोना संक्रमण का आधिकारिक रूप से कोई केस नहीं है.
लेकिन किसी भी इंसान को संक्रमित किए बिना, कोरोना वायरस ने इस देश को तबाह कर दिया है.
द पलाऊ होटल मार्च से ही बंद है, और अब यह अकेला नहीं है. पलाऊ के सभी रेस्त्रां खाली पड़े हैं. जिन दुकानों पर पर्यटक तोहफ़े ख़रीदने जाते थे, वो बंद हैं. और सिर्फ़ वही होटल खुले हैं जो विदेशों से लौट रहे पलाऊ के नागरिकों को क्वारंटीन की सुविधा दे रहे हैं.
10 देश जहाँ कोविड-19 का कोई केस नहीं
पलाऊ
माइक्रोनेशिया
मार्शल द्वीप समूह
नाउरू
किरिबाती
सोलोमन द्वीप समूह
तुवालु
समोआ
वानुअतु
टोंगा
द पलाऊ होटल के प्रबंधक ब्रायन ली कहते हैं, “यहाँ का समंदर दुनिया के किसी भी स्थान से बहुत अधिक सुंदर है.”
उनके मुताबिक़, आकाश के रंग का नीला समंदर ही है जो उन्हें व्यस्त रखता है. कोविड से पहले, उनके होटल के 54 कमरों में से क़रीब 70-80 प्रतिशत कमरे हर वक़्त भरे रहते थे. लेकिन सीमाएं बंद होने के बाद, उनके पास कोई काम नहीं रह गया.
ब्रायन कहते हैं कि “यह एक छोटा देश है, इसलिए स्थानीय लोग तो पलाऊ होटल में आकर नहीं रुकेंगे.”
उनकी टीम में लगभग 20 कर्मचारी हैं और उन्होंने सभी को अब तक काम पर रखा हुआ है, हालांकि उनके काम के घंटे घटा दिये गए हैं.
वे कहते हैं, “मैं रोज़ उनके लिए काम ढूंढने की कोशिश करता हूँ. जैसे- रखरखाव का काम, किसी हिस्से के नवीकरण का काम या इसी तरह कुछ और.”
लेकिन खाली होटल में रखरखाव और नवीकरण का काम हमेशा के लिए नहीं किया जा सकता. ब्रायन कहते हैं, “मैं इस तरह छह महीने और चला सकता हूँ, लेकिन अंत में मुझे होटल बंद करना ही होगा.”
ब्रायन इस परिस्थिति के लिए सरकार को दोष नहीं देते, जिसने पलाऊ के निवासियों को आर्थिक सहायता की पेशकश की है, और सबसे बड़ी बात- कोरोना वायरस महामारी को सफलतापूर्वक देश से बाहर रखा है.
वे कहते हैं कि “सरकार ने अपने स्तर पर अच्छा काम किया है.” लेकिन पलाऊ के सबसे पुराने और जमे हुए होटल का अगर ये हाल है, तो वहाँ जल्द ही कुछ बदलाव करने की ज़रूरत है.
पलाऊ के राष्ट्रपति ने हाल ही में घोषणा की है कि ‘आवश्यक हवाई यात्राएं 1 सितंबर तक फिर से शुरू हो सकती हैं.’ इस बीच, ये अफ़वाह भी सुनी गई कि ताइवान के साथ पलाऊ की एक ‘एयर कॉरिडोर’ बनाने पर बात हुई है, जिससे पर्यटकों को आने की अनुमति मिलेगी.
हालांकि, ब्रायन को लगता है कि ऐसा जल्द नहीं होने वाला.
वे कहते हैं, “सरकार को बिज़नेस फिर से खोलने शुरू करने होंगे. शायद न्यूज़ीलैंड या उस तरह के अन्य देशों के साथ पर्यटकों के लिए एयर-बबल शुरू करना मदद करे. वरना यहाँ कोई भी काम-धंधा करने लायक नहीं बचेगा.”
पलाऊ से पूर्व दिशा में क़रीब 4000 किलोमीटर की दूरी पर, विशाल प्रशांत महासागर के पार स्थित हैं मार्शल द्वीप जो अब तक कोरोना फ़्री हैं. लेकिन पलाऊ की तरह, कोरोना संक्रमण ना होने का मतलब ये नहीं कि कोई प्रभाव नहीं है.
यहाँ होटल रॉबर्ट रीमर्स एक नामी होटल है. इसकी लोकेशन शानदार है. कोविड से पहले, होटल के 37 कमरों में से क़रीब 75-88% कमरे भरे रहते थे. यहाँ मुख्य रूप से एशिया और अमरीका के सैलानी पहुँचते थे.
लेकिन जब से सीमाएं बंद हुई हैं, होटल के पास 3-5 प्रतिशत काम बचा है.
इस होटल समूह के लिए काम करने वाली सोफ़िया फ़ाउलर कहती हैं कि “हमारे पास बाहरी द्वीपों से आने वालों की संख्या पहले ही सीमित थी, पर लॉकडाउन ने सब कुछ ख़त्म कर दिया.”
राष्ट्रीय स्तर पर, मार्शल द्वीप समूह में कोविड-19 के कारण 700 से अधिक नौकरियाँ जाने की उम्मीद है जो 1997 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है. इनमें से 258 नौकरियाँ होटल और रेस्त्रां क्षेत्र में जाने की उम्मीद है.
लेकिन मार्शल द्वीप समूह को ‘सेल्फ़ आइसोलेशन’ ने पर्यटन से ज़्यादा प्रभावित किया है, क्योंकि पलाऊ की तुलना में मार्शल द्वीप की पर्यटन पर निर्भरता कम है. यहाँ ज़्यादा बड़ी समस्या है मछली उद्योग का बंद हो जाना.
देश को कोविड-मुक्त रखने के लिए, संक्रमित देशों की नावों के मार्शल द्वीप के बंदरगाहों में प्रवेश करने पर रोक लगाई गई है. ईंधन के टैंकर और कंटेनर जहाज़ों सहित अन्य बड़ी नौकाओं को प्रवेश करने से पहले समंदर में 14 दिन खड़े रहने के निर्देश दिये गए हैं. मछली पकड़ने के लाइसेंस रद्द कर दिये गए हैं और कार्गो उड़ानों में भी कटौती की गई है.
संक्षेप में कहें, तो आप वायरस को तो देश से बाहर रख सकते हैं, लेकिन आप इसे हरा नहीं सकते. कोविड-19 आपको एक नहीं, तो दूसरे रास्ते से प्रभावित कर सकता है.
हालांकि, सोफ़िया को उम्मीद है कि ‘चीज़ें जल्द अच्छी होंगी.’
कोविड-19 के कारण सीमाएं बंद होने से कुछ देश वाक़ई ग़रीब हुए हैं, लेकिन हर कोई नहीं चाहता कि सीमाएं फिर से खोली जाएं.
डॉक्टर लेन टारिवोंडा वानुअतु में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के निदेशक हैं. वे तीन लाख की आबादी वाले राजधानी क्षेत्र पोर्ट विला में काम करते हैं. वे ख़ुद अम्बे से ताल्लुक रखते हैं जिसकी आबादी लगभग 10,000 है.
वे कहते हैं, “अगर आप अम्बे के लोगों से बात करेंगे तो पायेंगे कि लोग सीमाएं बंद रखने की वकालत कर रहे हैं. उनका मानना है कि जब तक महामारी ख़त्म ना हो जाये, सीमाएं बंद रखनी चाहिए, क्योंकि उनमें महामारी का भय बहुत अधिक है. वो उसका सामना नहीं करना चाहते.”
डॉक्टर लेन टारिवोंडा के अनुसार, वानुअतु के लगभग 80 प्रतिशत लोग शहरों और ‘औपचारिक अर्थव्यवस्था’ से बाहर हैं.
टारिवोंडा के अनुसार, ”उन्हें बंद से फ़र्क नहीं पड़ता, वो किसान हैं जो अपना भोजन ख़ुद पैदा करते हैं, वो स्थानीय, पारंपरिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर हैं.”
फिर भी, देश को नुक़सान से बचाना मुश्किल लगता है. एशियाई विकास बैंक का अनुमान है कि वानुअतु की जीडीपी में लगभग 10% की गिरावट होगी जो 1980 में स्वतंत्रता के बाद से वानुअतु की सबसे बड़ी गिरावट होगी. माना जा रहा है कि कोविड का प्रभाव यहाँ लंबे समय तक रहेगा.
जुलाई में, वानुअतु की सरकार ने 1 सितंबर तक कुछ ‘सुरक्षित’ देशों के लिए अपनी सीमाएं फिर से खोलने की योजना बनाई थी. लेकिन ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में फिर से मामले बढ़ने के कारण योजना रद्द कर दी गई.
डॉक्टर टारिवोंडा का कहना है कि परेशानी और सीमा खोलने की आवश्यकता के बावजूद, वानुअतु कोई जल्दबाज़ी नहीं करेगा. वे पापुआ न्यू गिनी का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि ‘वहाँ जुलाई के अंत तक कोई केस नहीं था. लेकिन उन्होंने जल्दबाज़ी की, और संक्रमण वहाँ आग की तरह फैल गया. इसी वजह से हम चिंतित हैं.’
तो ऐसा क्या है जो ये कोविड-फ़्री देश कर सकते हैं?
अल्पकालिक उपाय है कि ‘श्रमिकों और व्यापार करने वालों को कुछ आर्थिक मदद दी जाए.’ और एक मात्र दीर्घकालिक उपाय है कि ‘कोरोना की वैक्सीन का इंतज़ार किया जाए.’
तब तक, यात्रियों को अपने यहाँ लाने के लिए ‘एयर-बबल’ से उम्मीदें की जा सकती हैं. लेकिन जानकारों की राय है कि यह कहने में जितना आसान लगता है, इसे लागू कर पाना उतना आसान है नहीं.
और जैसा कि वानुअतु के ‘सितंबर प्लान’ के साथ देखा गया- एयर बबल से जुड़े प्लान बहुत आसानी से ‘फट भी सकते हैं.’ क्योंकि ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि वे एयर-बबल के प्लान को पहले एक दूसरे के साथ आज़माएंगे.
लॉवी इंस्टीट्यूट में पैसिफ़िक आइलैंड प्रोग्राम के निदेशक जोनाथन प्रीके के अनुसार, इसमें कोई संदेह नहीं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन देशों के पास सेल्फ़-आइसोलेशन के सिवा कोई विकल्प नहीं था.
वे कहते हैं, “अगर इन देशों ने अपनी सीमाएं खुली भी रखी होतीं, तो पर्यटन के लिहाज़ से महत्वपूर्ण ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड ने अपनी सीमाएं ना खोली होतीं क्योंकि दोनों देशों ने भी अपनी सीमाएं बंद कर ली थीं.”
“इसलिए निश्चित तौर पर यह दोहरी मार है. संक्रमण और बीमारी तो है ही, साथ ही आर्थिक संकट भी है. इसका सही जवाब ढूंढने में सालों लग सकते हैं कि कोरोना काल में किसना क्या फ़ैसला सही लिया और क्या ग़लत. लेकिन पीछे मुड़कर देखने पर, प्रशांत महासागर में स्थित इन देशों के सीमाएं बंद रखने के निर्णय को शायद कभी कोई ग़लत नहीं बता पायेगा.”
भारत के स्वाधीनता आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था. लेकिन जब देश को 15 अगस्त, 1947 को आज़ादी मिली तो वे इसके जश्न में शामिल नहीं हुए.
भारत की आज़ादी से जुड़ी दस दिलचस्प बातें.
1. महात्मा गांधी आज़ादी के दिन दिल्ली से हज़ारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन पर थे.
2. जब तय हो गया कि भारत 15 अगस्त को आज़ाद होगा तो जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को ख़त भेजा. इस ख़त में लिखा था, “15 अगस्त हमारा पहला स्वाधीनता दिवस होगा. आप राष्ट्रपिता हैं. इसमें शामिल हो अपना आशीर्वाद दें.”
3. गांधी ने इस ख़त का जवाब भिजवाया, “जब कलकत्ते में हिंदु-मुस्लिम एक दूसरे की जान ले रहे हैं, ऐसे में मैं जश्न मनाने के लिए कैसे आ सकता हूं. मैं दंगा रोकने के लिए अपनी जान दे दूंगा.”
4. जवाहर लाल नेहरू ने ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टनी’ 14 अगस्त की मध्यरात्रि को वायसराय लॉज (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) से दिया था. तब नेहरू प्रधानमंत्री नहीं बने थे. इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना, लेकिन गांधी उस दिन नौ बजे सोने चले गए थे.
5. 15 अगस्त, 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने दफ़्तर में काम किया. दोपहर में नेहरू ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल की सूची सौंपी और बाद में इंडिया गेट के पास प्रिसेंज गार्डेन में एक सभा को संबोधित किया.
6. हर स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं. लेकिन 15 अगस्त, 1947 को ऐसा नहीं हुआ था. लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था.
7. भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के प्रेस सचिव कैंपबेल जॉनसन के मुताबिक़ मित्र देश की सेना के सामने जापान के समर्पण की दूसरी वर्षगांठ 15 अगस्त को पड़ रही थी, इसी दिन भारत को आज़ाद करने का फ़ैसला हुआ.
8. 15 अगस्त तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था. इसका फ़ैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ.
9. भारत 15 अगस्त को आज़ाद जरूर हो गया, लेकिन उसका अपना कोई राष्ट्र गान नहीं था. रवींद्रनाथ टैगोर जन-गण-मन 1911 में ही लिख चुके थे, लेकिन यह राष्ट्रगान 1950 में ही बन पाया.
10. 15 अगस्त भारत के अलावा तीन अन्य देशों का भी स्वतंत्रता दिवस है. दक्षिण कोरिया जापान से 15 अगस्त, 1945 को आज़ाद हुआ. ब्रिटेन से बहरीन 15 अगस्त, 1971 को और फ्रांस से कांगो 15 अगस्त, 1960 को आज़ाद हुआ.
लॉकडाउन की वजह से बॉलीवुड का काम लंबे समय तक बंद रहा है. फिर धीरे-धीरे (ऑनलाइन) फिल्में रिलीज़ होनी शुरू हुईं. फिल्में-टीवी शोज़-वेब सीरीज़ की शूटिंग शुरू हुई. और जुलाई से लेकर अगस्त के बीच तकरीबन 10 नई फिल्में अनाउंस की जा चुकी हैं, जिन पर अगले कुछ दिनों में काम शुरू होने वाला है. इस लिस्ट में पहाड़नुमा बजट पर बनने वाली मेगा-स्टार्स से लेकर छोटे और मीडियम बजट, हर तरह की फिल्में शामिल हैं. ऐसी ही 10 फिल्मों के बारे में हम आपको नीचे बता रहे हैं.
खास बात- इस फिल्म से दीपिका का तेलुगू फिल्म डेब्यू होना है. हालांकि ये फिल्म देशभर में अलग-अलग भाषाओं में रिलीज़ की जाएगी. अभी फिल्म का नाम तय नहीं है, इसलिए इसे ‘बाहुबली’ फेम प्रभास की 21वीं फिल्म के तौर पर प्रमोट किया जा रहा है.
खास बात– आयुष्मान की पिछली फिल्मों की तरह ये फिल्म भी एक ऐसे विषय पर बेस्ड होगी, जिसके बारे में लोग बात करने से बचते हैं. अगर रिपोर्ट्स की मानें, तो ये इशू है ट्रांसजेंडर्स का.
3) रक्षाबंधन
स्टारकास्ट– अक्षय कुमार
डायरेक्टर– आनंद एल. राय (ज़ीरो)
कब शुरू होगी– 2021
खास बात– अक्षय अभी आनंद की ही दूसरी फिल्म ‘अतरंगी रे’ में काम कर रहे हैं. रक्षाबंधन के मौके पर उन्होंने अपनी नई फिल्म ‘रक्षाबंधन’ अनाउंस की. ये फिल्म अपनी टैगलाइन को लेकर काफी चर्चा में थी.
4) इति
स्टारकास्ट– विवेक ओबेरॉय, राजीव सेन
डायरेक्टर– विशाल मिश्रा (कॉफी विद डी)
कब शुरू होगी– अक्टूबर 2020
खास बात– ये बतौर प्रोड्यूसर विवेक की पहली फिल्म होगी. फिल्म में विवेक के साथ काम कर रहे एक्टर राजीव, एक्ट्रेस सुष्मिता सेन के भाई हैं. इसी फिल्म से अपना एक्टिंग करियर शुरू कर रहे.
5) फोन भूत
स्टारकास्ट– कटरीना कैफ, सिद्धांत चतुर्वेदी, ईशान खट्टर
डायरेक्टर– गुरमीत सिंह (मिर्ज़ापुर- वेब सीरीज़)
कब शुरू होगी– 2020 के आखिर तक.
खास बात– ये एक हॉरर-कॉमेडी फिल्म होगी, जिसे फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी की कंपनी एक्सेल एंटरटेनमेंट प्रोड्यूस करेगी.
6) जोगिरा सारा रा रा
स्टारकास्ट– नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, नेहा शर्मा
डायरेक्टर– कुशन नंदी
कब शुरू होगी– फरवरी 2021
खास बात– ‘फ्रीकी अली’ और ‘मोतीचूर चकनाचूर’ के बाद नवाज़ की एक और रोमैंटिक कॉमेडी फिल्म. इसे मुंबई, बनारस और लखनऊ में शूट किया जाएगा.
खास बात– कोविड- 19 के दौर में लोगों की कमी की वजह से इस फिल्म को रियल टाइम वर्चुअल रिएलिटी फॉरमैट में शूट किया जाएगा. ‘द जंगल बुक’ और ‘द लायन किंग’ की तरह.
8) कोविड-19 महामारी पर बेस्ड फिल्म
स्टारकास्ट– अभी तय नहीं.
डायरेक्टर– अनुभव सिन्हा, हंसल मेहता, सुधीर मिश्रा, केतन मेहता, सुभाष कपूर
कब शुरू होगी– अभी तय नहीं
खास बात– ये एक एंथोलॉजी यानी अलग-अलग कहानियों का मिलाकर बनी एक फिल्म होगी. कोरोना वायरस के दौर में घटने वाली इन कहानियों को अलग-अलग फिल्ममेकर डायरेक्ट करेंगे.
9) धुंध
स्टारकास्ट– अभी तय नहीं.
डायरेक्टर– अभी तय नहीं.
कब शुरू होगी– अक्टूबर 2020
खास बात– बॉलीवुड में चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर अपना करियर शुरू करने वाले आफताब शिवदसानी इस फिल्म से प्रोड्यूसर बनने जा रहे. उन्होंने माउंट ज़ेन मीडिया नाम की प्रोडक्शन कंपनी शुरू की है.
10) हिट (हिंदी रीमेक)
स्टारकास्ट– राजकुमार राव
डायरेक्टर– डॉ. शैलेश कोलानू
कब शुरू होगी– 2021
खास बात– ‘हिट’ नाम की तेलूगू क्राइम थ्रिलर देखने के बाद राजकुमार राव ने फिल्म के हिंदी रीमेक में काम करने की इच्छा ज़ाहिर की थी. फिल्म के हिंदी रीमेक को भी ओरिजिनल फिल्म के डायरेक्टर ही बनाएंगे.
IT’S OFFICIAL… #RajkummarRao to star in #Hindi remake of #Telugu film #Hit… A thriller… Sailesh Kolanu – who directed the original #Telugu film – will direct #Hindi version too… Produced by Dil Raju and Kuldeep Rathore… Now in pre-production stages… Starts 2021. pic.twitter.com/7jCuPc3pu6