इस महामारी को रोकने के लिए सारी दुनिया में लॉकडाउन का तरीका अपनाया गया. लोग घरों में क़ैद हो गए. बाहर की दुनिया पूरी तरह बंद हो गई.
उत्पादन रुक गया तो खाने की आपूर्ति भी प्रभावित हुई. ऐसे में लोगों ने, खास तौर से जो घरों से दूर पीजी या हॉस्टल में रह रहे थे, उनका एक ही सहारा था पैक्ड फूड या डिब्बाबंद खाना, या फिर रेडी टू ईट फूड. अगर ये खाना भी ख़राब हो जाता तो क्या होता?
जानकार कहते हैं कि यदि खाने को अच्छी तरह से संरक्षित किया जाए तो इसे सालों साल तक उसके सभी पोषक तत्वों के साथ सही-सलामत रखा जा सकता है.
कोई भी खाना उसमें कीटाणु पनपने की वजह से ही खराब होता है. अगर खाने में बैक्टीरिया पैदा ही ना होने दिए जाएं, तो उसे कभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
कैसे रख सकते हैं खाना सुरक्षित?
इंसान सदियों से फूड प्रिज़र्वेशन यानी खाने पीने की चीज़ों को लंबे समय तक बचाकर रखने के लिए तरह तरह के नुस्खे आजमाता आया है. जैसे कि, खाने को सुखाकर, उसमें नमक लगाकर, चीनी की तह लगाकर, केमिकल के ज़रिए या फिर, एयर टाइट डिब्बों में संरक्षित किया जाता रहा है.
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में फूड एक्सपर्ट माइकल सुलु का कहना है कि खाने को सुखाकर रखना सबसे बेहतरीन तरीक़ा है. खाना सुखा लेने से उसमें जीवाणु पैदा होने की गुंजाइश ही खत्म हो जाती है.
वहीं, एयर टाइट डिब्बों में खाने रखने से उसमें कई ऐसे जीवाणु पैदा हो सकते हैं, जो हवा की कम सप्लाई में ही पनपते हैं. मिसाल के लिए मांस को एनोरोबिक वर्ग के जीवाणु ख़राब करते हैं. और ये कीटाणु कम ऑक्सीजन में ही फलते फूलते हैं.
खाने में नमक लगाकर भी संरक्षित किया जा सकता है. लेकिन ये तरीक़ा बहुत कारगर नहीं है, और हर तरह के खाने पर इसका इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता. लेकिन मांस को सुखा कर और नमक लगाकर लंबे समय के लिए संरक्षित किया जा सकता है.
चीनी की मोटी परत लगाकर भी खाने को लंबे समय के लिए रखा जा सकता है.
दरअसल, ख़ालिस चीनी किसी भी तरह के जीवाणु को पनपने नहीं देती. यही वजह है कि टॉफी, चॉकलेट या ज़्यादा मीठी चीजें लंबे समय तक रह पाती हैं. लेकिन चीनी के साथ जैसे ही अन्य चीज़ें, जैसे मेवे, दूध, स्टार्च या अंडा आदि शामिल किया जाएगा, तो खाने की उम्र उतनी ही कम होती जाएगी.
अब भी हज़ारों साल पुराना तरीका
आइसलैंड में मैकडॉनल्ड्स का बिग मैक बर्गर ही शायद संरक्षित खाने का सबसे मशहूर और इकलौता उदाहरण है. वहाँ बर्गर को कांच के ऐसे बक्से में रखा गया था जो हवा की मात्रा को सीमित करता है. साथ ही इसमें ऐसे प्रिज़र्वेटिव्स डाले गए थे जो जीवाणु को पनपने ही नहीं देते थे.
इन्हें मांग पूरी करने के लिए सुपरमार्केट में लंबे समय के लिए रखा जा सकता था. इसीलिए इन खानों में ऐसे फूड प्रिज़र्वेटिव्स डाले जाते हैं जो खाने को सड़ने नहीं देते.
चीनी से बना ट्विंकी एक ऐसा स्नैक है, जो काफ़ी पसंद किया जाता है और लंबे समय तक घर में रखकर इस्तेमाल किया जा सकता है.
इसकी शेल्फ लाइफ़ कुछ हफ़्तों की है. लेकिन इस स्नैक के चाहने वालों ने खास तरह की तिकड़म लगाकर इसे 44 साल तक संरक्षित करके दिखाया है. यू-ट्यूब पर एक वीडियो मौजूद है, जिसमें 27 साल पुरानी ट्विंकी काटते दिखाया गया है.
शहद के तो कहने ही क्या. ये तो सारी उम्र खराब ही नहीं हो सकता. क्योंकि इसमें पानी की मात्रा लगभग ना के बराबर होती है और इसमें ख़ुद ऐसे प्राकृतिक संरक्षक मौजूद हैं, जो उसमें जीवाणु पैदा ही नहीं होने देते.
दुनिया के सबसे पुराने शहद का नमूना मिस्र में तूतेनखामन की क़ब्र और जॉर्जिया में बड़प्पन के मकबरे में मिले हैं. ये 3,000 साल पुराने हैं. खाना संरक्षित करने का तरीक़ा आज भी कमोबेश वही है, जो अब से हज़ारों साल पहले था.
ज़मीन में दबाकर और बर्फ़ में रखकर…
ज़्यादा वसा वाली चीज़ें जैसे तेल, मक्खन, घी वग़ैरह भी लंबे समय के लिए संरक्षित किए जा सकते हैं. बॉग बटर खमीर किया हुआ एक खास तरह का मक्खन होता है.
आयरलैंड और स्कॉटलैंड में इस बटर के 4,000 साल पुराने कंटेनर पाए गए हैं, जिन्हें दलदली जमीन में दबा कर रखा गया था.
माना जाता हा कि प्राचीन लोग किसी सिद्धांत या मान्यता के तहत मक्खन या एनिमल फैट को दफनाया करते थे. या ये भी हो सकता है कि इस वसा को चोरों से बचाने या इसे लंबे समय तक इस्तेमाल करने के इरादे से दलदली जमीन में दफन कर दिया जाता था.
शराब के बारे में तो कहा भी जाता है कि शराब जितनी पुरानी हो उतनी ही अच्छी होती है.
जर्मनी के स्पायर के एक प्राचीन रोमन मक़बरे में दुनिया की अब तक की सबसे प्राचीन शराब की बोतल पाई गई है. ये बोतल क़रीब 17 सौ साल पुरानी है. लेकिन इस बोतल की शराब को आज तक चखा नहीं गया है. इसके अलावा शैंपेन की सबसे पुरानी बोतलें 200 साल पुरानी हैं जिनका ज़ायक़ा आज भी लज़ीज़ है.
मांस को अगर काफ़ी कम तापमान में ठंड और बर्फ में रखा जाए तो ये काफ़ी लंबे समय तक खाने योग्य रह सकता है.
पहाड़ों की बर्फ़ में ऐसे बहुत से विशालकाय हाथियों, मैमथ और अन्य जीवों के शव मिले हैं जो कई सदियों से बर्फ़ में ही दबे रहे. और जब उन्हें निकाला गया तो उनका मांस बिल्कुल सही था. यहां तक कि उसका रंग भी नहीं बदला था लेकिन जैसे ही बर्फ़ पिघल कर हटी, उसमें परिवर्तन होने लगा.
मछली को बर्फ़ में लंबे समय तक रख पाना ज़रा मुश्किल होता है.
बर्फ़ में ज़्यादा समय तक जमे रहने पर मछली की मांसपेशियों में कई तरह के रसायनिक परिवर्तन होने लगते हैं. जो उसके स्वाद को नष्ट कर देते हैं. लेकिन आज तकनीक का दौर है, तो इसे भी तकनीक की मदद से लंबे समय के लिए संरक्षित रखा जा सकता है.
वर्तमान में दुनिया जिस दौर से गुज़र रही है वो एक मुश्किल दौर है. फिर भी ज़िंदगी चल रही है.
अगर कभी भविष्य में ऐसी ही स्थिति पैदा हो जाए और ताज़ा खाने की आपूर्ति पूरी तरह बंद हो जाए तो घर में रखा सूखा खाना या किसी भी सुपरमार्केट से पैक्ड फूड लेकर पेट भरा जा सकता है. भले ही वो लंबे समय से रखा हो.