स्पेशल ट्रेन चल रही है, फिर भी पैदल ही क्यों घर चले जा रहे हैं लाखों मजदूर?

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मज़दूर. लॉकडाउन में उनके लिए स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है. फिर भी हज़ारों मज़दूर अभी भी सैकड़ों किलोमीटर पैदल यात्रा कर रहे हैं. पटरियों पर थककर सो रहे हैं. ट्रेन से कट रहे हैं. कोई सुनने वाला नहीं है. तमाम मज़दूरों के पास ट्रेन से जाने के लिए ज़रूरी डॉक्यूमेंट नहीं हैं. कई मामलों में उन्हें ले जाने वाली ट्रेनों को गृह राज्य ने अप्रूव नहीं किया है. वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है. हेल्पलाइन नंबर पर मदद नहीं मिल रही है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मोहम्मद इमरान कहते हैं कि उन्होंने बुधवार, 6 मई को राजस्थान के अजमेर से उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के लिए चलना शुरू किया. उनकी पत्नी प्रेगनेंट है. साथ में बच्चे भी हैं. 600 किमी दूर घर है. बस, ट्रेन कुछ मिली नहीं. वो कहते हैं कि अगर कोई वाहन मिलता है तो ठीक वरना हम पैदल ही जाएंगे. भूखे मरने से अच्छा है, चलते जाना.

 

आईडी कार्ड नहीं, हेल्पलाइन नंबर बिजी

कई लोग साइकिल से गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश जा रहे हैं. इनमें से कईयों ने कहा कि उन्होंने वापस इसलिए चलना शुरू कर दिया क्योंकि उनका ट्रेन के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया. उनके पास आईडी और डॉक्यूमेंट नहीं हैं.

झारखंड के सूरज भान सिंह कहते हैं कि उनके पास आधार नहीं है इसलिए रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया. लुधियाना में काम करने वाले यूपी के मज़दूर राज सिंह ने कहा कि रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया, क्योंकि यूपी सरकार का हेल्पलाइन नंबर हमेशा बिजी रहता है. वो एक हफ्ते से ट्राई कर रहे हैं.

राजस्थान के जोधपुर में काम करने वाले यूपी के नीरव कुमार ने कहा कि उन्होंने कुछ दिनों पहले 1500 रुपए में एक साइकिल खरीदी ताकि घर जा सकें. वो कहते हैं कि भूखे मरने की नौबत आ सकती थी. हमने राजस्थान सरकार की वेबसाइट पर रजिस्टर किया, लेकिन किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आई. केरल, गुजरात और कर्नाटक के रेलवे स्टेशन में बहुत से मजदूरों ने प्रोटेस्ट भी किया. मैंगलोर के रेलवे स्टेशन में शुक्रवार, 8 मई को तीन हज़ार मज़दूर जमा हो गए.

 

 

अधिकारियों का क्या कहना है

अधिकारी कई तरह की वजहें गिना रहे हैं. उनका कहना है कि कुछ राज्य ट्रेनों को परमीशन नहीं दे रहे हैं. वो कहते हैं कि कई मज़दूरों के पास यात्रा के लिए ज़रूरी दस्तावेज नहीं हैं. फैक्ट्रियां पूरी तरह शुरू नहीं हुई हैं.

शुक्रवार, 8 मई को कर्नाटक से यूपी और बिहार के लिए तीन स्पेशल ट्रेन चलीं. कर्नाटक के अधिकारियों ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल जैसे राज्य मज़दूरों को आने नहीं दे रहे. उनका कहना है कि कर्नाटक में पश्चिम बंगाल के 18,800 मज़दूर हैं लेकिन पश्चिम बंगाल की तरफ से कोई सुनवाई नहीं है. वहीं, पश्चिम बंगाल के अधिकारियों का कहना है कि वो उन ज़िलों के मज़दूरों को ले रहे हैं, जो ऑरेंन्ज और ग्रीन ज़ोन में हैं. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का कहना है कि कर्नाटक से कोई ट्रेन नहीं रोकी गई है.

ये ब्लेम गेम जारी है. मज़दूरों को अभी भी ठीक-ठीक पता नहीं है कि उन्हें घर कैसे लौटना है. इसलिए पैदल उनका सफर भी जारी है.

 




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