वेब सीरीज रिव्यू: आर्या

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साल 2010 में फिल्म ‘नो प्रॉब्लम’ में नज़र आने के 10 साल बाद सुष्मिता सेन फिर से किसी हिंदी प्रोजेक्ट में नज़र आई हैं. लीड रोल में सुष्मिता और चंद्रचूड़ सिंह के साथ ‘आर्या’ नाम की वेब सीरीज डिज्नी+हॉटस्टार पर रिलीज हो चुकी है. शुक्रवार, 19 जून को.

 

क्या है ‘आर्या’ की कहानी?

जयपुर का एक दबंग परिवार है, जिसका बहुत बड़ा बिजनेस है. फार्मास्यूटिकल कंपनी के मालिक हैं ये लोग. लेकिन ये सिर्फ एक बहाना है. इसके पीछे एक बहुत बड़ा ड्रग बिजनेस चल रहा है. कंपनी के मालिक हैं जोरावर राठौर (जयंत कृपलानी). इनकी पत्नी हैं राजेश्वरी (सोहैला कपूर), उनके तीन बच्चे हैं – सबसे बड़ी- आर्या (सुष्मिता सेन). बेटा संग्राम (अंकुर भाटिया). और सबसे छोटी बेटी सौंदर्या (प्रियाशा भारद्वाज). आर्या अपनी शादी के बाद से ही फैमिली बिजनेस से निकल चुकी है. लेकिन जोरावर राठौर को पैरालिसिस का अटैक आने के बाद से आर्या के पति तेज सरीन (चंद्रचूड़ सिंह) संग्राम के साथ मिलकर बिजनेस संभाल रहे हैं. इसमें उनकी मदद करता है जवाहर (नमित दास). सरीन और राठौर परिवार को प्रोटेक्शन देने वाला और उनके काम में हाथ बंटाने वाला है दौलत (सिकंदर खेर).

 

आर्या और सौंदर्या इस ‘बिजनेस’ से दूर ही रहते हैं. लेकिन तेज, संग्राम और जवाहर एक बड़े मसले में फंस जाते हैं. उनकी जान खतरे में पड़ जाती है. अब वो मसला क्या है, ये जानने के लिए आपको सीरीज देखनी पड़ेगी. लेकिन होता ये है कि सरेआम तेज सरीन को गोली मार दी जाती है. इस वजह से तेज, संग्राम और जवाहर के ऊपर तलवार लटक रही होती है. वो मसला अब पूरी तरह से सरीन परिवार और उसके आस-पास फ़ैल जाता है. बारिश के बादल की तरह. अब इस सिचुएशन से आर्या कैसे डील करती है, क्या वो अपने परिवार को बचाने में सफल होती है, ये सब आने वाले एपिसोड्स में साफ़ होता है. 17 साल पहले ड्रग्स बिजनेस को तिलांजलि दे देने वाली आर्या राठौर, क्या अपने पुराने रूप में वापस आएगी? क्या मामले की जांच करता नारकोटिक्स डिपार्टमेंट का ACP खान (विकास कुमार) कोई सुराग ढूंढ पायेगा?

 

आर्या सरीन और उनके तीनों बच्चे. (तस्वीर साभार: डिज्नी + हॉटस्टार)

 

कैसी है परफॉर्मेंस?

आर्या सरीन के रोल में सुष्मिता बेहद कंट्रोल में दिखाई देती हैं. कई ऐसे सीन हैं, जहां पर सुष्मिता सेन को अपने-आप को संभालना है, क्योंकि वो अपने बच्चों के सामने आपा नहीं खो सकतीं. उनके तीन बच्चे, जिनमें से दो टीनेजर हैं, वो भी काफी नेचुरल लगे हैं सीरीज में. चाहे वो सबसे बड़ा बेटा वीर (वीरेन वज़ीरानी) हो, बेटी अरु (अरुंधती- वीर्ति वघानी) हो, या आदी (आदित्य- प्रत्यक्ष पंवार), तीनों अपने किरदार से कहीं भी बाहर आते हुए नहीं दिखते. इमोशनल सीन्स के दौरान आर्या अपने बच्चों को बच्चा कहते हुए बुलाती हैं और वो सीन्स बेहद अच्छे बन पड़े हैं.

तेज सरीन के किरदार में चंद्रचूड़ सिंह बड़े दिनों बाद स्क्रीन पर दिखे. माचिस और दाग वाले दिन याद आ गए उन्हें देखकर. और उनका पुराने गानों के लिए प्यार. जब भी स्क्रीन पर ‘बड़े अच्छे लगते हैं’ प्ले होगा, आपको भी तेज की याद आएगी. उन्होंने कुछ ऐसा बांधा है.

 

कुछ लोग तो सीरीज देखने के बाद ये भी कह रहे हैं कि शशि थरूर के ऊपर अगर कोई फिल्म बनी तो उसमें थरूर का किरदार चंद्रचूड़ सिंह को ही निभाना चाहिए. 

 

सिकंदर खेर पर दौलत जैसे रोल सूट करते हैं. गंभीर, ज्यादा न बोलने वाला, काम से काम रखने वाला नो नॉनसेंस कैरेक्टर. वही आर्या को मोटिवेट भी करता है कि सिचुएशन को अपने हाथों में ले.

ACP खान को देखते हुए कहीं-कहीं आपको कहानी फिल्म के DIG खान की याद आएगी. मैनेरिज्म से लेकर एटीट्यूड तक. सब कुछ उनकी याद दिलाता हुआ सा लगता है. लेकिन सबसे तगड़े सीन्स में वो संभाल ले जाते हैं खुद को. और यही उनकी यूनिक बात है.

एक बड़ा बिजनेस. जिसका ड्रग का व्यापार नारकोटिक्स वालों को भी खींच ला रहा है. बार-बार घर की तलाशी हो रही है. ऐसे में आर्या अपने बच्चों को इस ट्रॉमा से कैसे बचाती है. कैसे पता लगाती है कि तेज को किसने मारा. और इस पूरे सफ़र में किस-किस को खो देती है. ये सब कुछ कवर करती है ये सीरीज.

 

एक पल में जो हितैषी है, अगले पल उसे पाला बदलते देर नहीं लगती. (तस्वीर साभार: डिज्नी + हॉटस्टार)

 

टांका कहां फंसता है?

सीरीज कहीं-कहीं पर चीज़ें दोहराती हुई सी लगती है. हो सकता है ये डायरेक्टर ने एम्फेसिस देने के लिए किया हो, लेकिन फिर भी ये आउट ऑफ़ प्लेस लगता है. कहीं पर सीरीज बहुत स्लो होती हुई लगती है. लगता है बस इसे खींचने के लिए खींचा जा रहा है, वरना कब की खत्म हो जाती. लेकिन ऐसे पल बहुत कम हैं. यही वजह है कि सीरीज पूरी देखने का इंटरेस्ट बना रहता है. कहीं-कहीं पर डबिंग खलती है शुरुआत में. लेकिन इसे नज़रंदाज़ किया जा सकता है, क्योंकि सीरीज का पोस्ट प्रोडक्शन लॉकडाउन के समय किया गया. लोगों की टीम अपने-अपने घरों में बैठ कर काम कर रही थी.

कई तार हैं, जो कई जगहों से जुड़े हैं. किसी पर भी भरोसा करना अपनी मौत को दावत देना है. बार-बार एपिसोड में रेफरेंस सुनने को मिलता है कि 17 साल पहले वाली आर्या कुछ और थी. इससे हिंट मिलता है कि आर्या की शादी से पहले की जिंदगी बहुत इंटरेस्टिंग थी. ड्रग्स के बिजनेस में उसका रुतबा था. लेकिन उसने परिवार के लिए सब कुछ छोड़ दिया. अब उसके पति की मौत ने उसे जबरन उसी बिजनेस में ला धकेला है. सीरीज जहां पर एंड होती है, वहां इस बात की पूरी गुंजाइश दिखाई देती है कि एक और सीज़न आएगा.

सुष्मिता सेन अपने किरदार में काफी कन्विंसिंग लगी हैं. (तस्वीर साभार: डिज्नी + हॉटस्टार)

और हो सकता है आए भी. जिस डच टीवी शो का ये रीमेक बताया जा रहा है, पेनोज़ा, उसके भी पांच सीजन आ चुके हैं. इसी डच सीरीज पर अमेरिका में भी एक टीवी शो बन चुका है रेड विडो (लाल विधवा) के नाम से. लेकिन वो एक सीजन के बाद कैंसिल कर दिया गया था.

 

देखें तो किसलिए?

इस सीरीज की ख़ास बात ये लगती है कि इसके कैरेक्टर्स चाहे एक छोटे रोल में ही क्यों न हों, उन्हें अपनी साइड एस्टेब्लिश करने का मौका मिलता है. चाहे वो संग्राम की पत्नी हिना (सुगंध गर्ग) हो या फिर जवाहर की पत्नी माया (माया सराव). ड्रग्स बिजनेस का डॉन शेखावत (मनीष चौधरी) हो या उसका गुर्गा संपत (विश्वजीत प्रधान). आम तौर पर थ्रिलर कहानियों में एक विलेन होता है. एक हीरो होता है. कुछ लोग इस तरफ होते हैं, कुछ लोग उस तरफ. ‘आर्या’ देखते हुए वो लाइन ब्लर हो जाती है. जो कि एक बहुत इंटरेस्टिंग टेक है.

सीरीज को लिखा है अनु सिंह चौधरी और संदीप श्रीवास्तव ने. डायरेक्शन है राम माधवानी (नीरजा फेम), संदीप मोदी और विनोद रावत ने. इसे आप डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर देख सकते हैं.




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