मेन ऑफ द मैच बना मेन ऑफ़ द इलेक्शन

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शत्रुदेश पाकिस्तान चूंकि पडौसी देश भी है लिहाजा वहां की हर गतिविधि पर हमारी नजर रहना स्वाभाविक है। वहां आम चुनाव हुए और क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और इमरान का पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनना तय है।

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ऑल राउंडर रहे इमरान राजनीति के खेल में भी इतने ऑलराउंडर निकलेंगे यह यकीन नहीं था। लेकिन जो हुआ वह सामने है। वैसे पाकिस्तान की हुकूमत में जो आतंकवादी और सेना चाहती है, वही होता है। नवाज शरीफ और भुट्टो की पार्टी इन आकाओं की कसौटी पर नहीं थी तो इमरान पर दांव खेला गया। इलेक्शन केम्पेन में मोदी के नाम की माला जप-जप कर इमरान ने मतदाताओं को खूब लुभाया। पाक की नापाक सियासत की बुनियाद में ही हिंदुस्तान का विरोध है। इमरान का भी यही फार्मूला था।

इमरान पाकिस्तान के ऐसे पहले प्रधानमंत्री बनेंगे जो क्रिकेट के बहाने ही सही भारत के दौरे पर खूब आएं हैं, यहां के कई शहरों में वे टेस्ट मैच खेले हैं। भारत की जनता के मिजाज को वे अच्छी तरह जानते समझते हैं।

उनके समकालीन क्रिकेटर कपिल देव ने भी यह बात कही है और इमरान से यह उम्मीद जताई है कि वे भारत-पाक के रिश्तों को सुधारेंगे किन्तु कपिल की शायद यह महज खुश फहमी है। इमरान ऐसा करेंगे या कर पाएंगे, इसकी संभावना क्षीण है। जब वहां की सियासत के डीएनए में ही भारत का विरोध रचा-बसाहै तो इमरान क्या कर लेंगे।और तासीर में भारत के प्रति कोई सॉफ्ट कॉर्नर होता तो वहां के आका उन्हें यह तौफ़ीक़ नवाजते ही नहीं कि वे वजीरेआजम की हैसियत तक पहुंच पाते।किसी अन्य देश का एक अच्छा क्रिकेटर यदि प्रधानमंत्री बनता तो उससे खेल भावना की उम्मीद रखी जा सकती थी लेकिन इमरान से तो कतई नहीं क्यों कि वह पाकिस्तानी है।

इमरान ने पाकिस्तान को विश्वकप क्रिकेट की पहली ट्राफी बतौर कप्तान दिलाई थी। वह अपने आकाओं को खुश करने भारत के खिलाफ कोई सियासी खिताब हासिल करने की कोशिश जरूर करेगा।हालांकि मोदी के सामने उसकी हसरतें परवान नहीं चढ़ने वाली है शिकस्त ही मिलेगी। क्योंकि विश्व समुदाय में इमरान की हैसियत फिलहाल मोदी की तुलना में इंच व फुट में भी नहीं है न होगी।क्रिकेट में कई मर्तबा मेन आफ द मैच का खिताब पाने वाला यह क्रिकेटर एक आतंकी देश की बदनाम छवि के अपने देश में मेन आफ़ द इलेक्शन जरूर बन गया किन्तु सियासत के मैदान में वह कितना कामयाब होगा अभी यह कहना मुश्किल है।

 

(ब्रजेश जोशी)




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