हम लॉकडाउन से अनलॉक फेज़ में आ गए हैं. और रुके हुए काम अब धीरे-धीरे शुरू हो रहे हैं. फिल्मों की शूटिंग भी शुरू हो रही है. इसके लिए अक्षय कुमार भी पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं. उन्होंने सोशल मीडिया के ज़रिए बताया कि उनकी फिल्म ‘बेल बॉटम’ की शूटिंग अगस्त से शुरू हो जाएगी.
अक्षय ने फिल्म से जुड़े लोगों के साथ तस्वीर भी शेयर की. लिखा,
‘जो हम सबसे अच्छे से करते हैं, वो करने के लिए उत्साहित हूं. काम पर वापस जाने का वक्त आ गया है. ‘बेल बॉटम’ अगले महीने फ्लोर पर आएगी.’
Looking forward to doing what we do best! Time we get back to work! #Bellbottom to go on floors next month @vashubhagnani @vaaniofficial @humasqureshi @LaraDutta @ranjit_tiwari @jackkybhagnani @honeybhagnani @monishaadvani @madhubhojwani @nikkhiladvani @EmmayEntertain @poojafilms pic.twitter.com/QmqTLFtnG3
— Akshay Kumar (@akshaykumar) July 6, 2020
फिल्म एनालिस्ट तरण आदर्श ने भी इस पर ट्वीट किया. बताया कि फिल्म की शूटिंग यूनाइटेड किंगडम (UK) में होगी. लिखा,
‘UK में अगस्त से ‘बेल बॉटम’ की शूटिंग होगी. लॉकडाउन के बाद देश के बाहर शूट होने वाली ये पहली फिल्म है.’
कौन-कौन हैं फिल्म में?
अक्षय कुमार, वाणी कपूर, लारा दत्ता और हुमा कुरैशी अहम रोल में हैं. रंजीत एम. तिवारी डायरेक्ट कर रहे हैं. वासु भगनानी, जैकी भगनानी, दीपशिखा देशमुख, मोनिशा आडवाणी, मधु भोजवानी और निखिल आडवाणी प्रोड्यूस कर रहे हैं. फिल्म 2 अप्रैल, 2021 को रिलीज़ होगी. ये सारी जानकारी तरण आदर्श ने दी.
FILMING TO BEGIN… #BellBottom will begin filming in Aug 2020 in #UK… Will be the first *Hindi film* to commence shooting at an international destination, after the #lockdown… Stars #AkshayKumar, #VaaniKapoor, #HumaQureshi and #LaraDutta… Directed by Ranjit M Tewari. pic.twitter.com/Oms3TLMln0
— taran adarsh (@taran_adarsh) July 6, 2020
अब जैसे ही फिल्म की शूटिंग की जानकारी सामने आई, ट्विटर पर #Bellbottom ट्रेंड करने लगा. फिल्म जब आएगी, तब आएगी. इस वक्त हम आपको फिल्म के बहाने से उस पैंट की कहानी बताएंगे, जिसके नाम पर इस फिल्म का नामकरण हुआ है.
क्या है बेल बॉटम?
एक पैंट है. ऐसा पैंट, जिसका घेर घुटनों के बाद से चौड़ा होता जाता है, और मोहरी तक, यानी टखनों तक पहुंचते-पहुंचते ये काफी ज्यादा घेर वाला हो जाता है.
ये पैंट ट्रेडिशनल बेल यानी घंटी की तरह दिखता है. जैसे कि एक घंटी धीरे-धीरे चौड़ी होती जाती है, वैसे ही इस पैंट का घेर भी चौड़ा होता जाता है. इसी घंटी के आकार की तरह दिखने की वजह से इसका नाम बेल बॉटम पड़ा.
फैशन में कब और कैसे आया?
शुरुआत 200 साल पहले हुई. अमेरिका और ब्रिटेन से. 19वीं सदी की शुरुआत में यूनाइटेड स्टेट्स नेवी में काम कर रहे जहाजियों ने बेल बॉटम पहनना शुरू किया था. ‘दी गार्डियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जहाजियों ने कामकाज में सहुलियत के मकसद से बेल बॉटम पहनना शुरू किया था. पहला अगर काम करते वक्त कोई व्यक्ति गिर जाए, तो उसके पैंट के ज़रिए उसे पकड़ने में आसानी होती थी. दूसरा अगर ये पैंट गीला हो जाए, तो उतारने में भी आसानी होती थी.
‘यूरोपियन फैशन हेरिटेज एसोसिएशन’ के मुताबिक, जहाजियों का बेल बॉटम पहनने के पीछे एक और कारण था, ये कि वो आसानी से नीचे से फोल्ड हो जाते थे. बेल बॉटम पहनने का चलन बाद में ब्रिटिश रॉयल नेवी ने भी अपना लिया था. 19वीं सदी में ही.
आम जनता तक कब पहुंचा?
19वीं सदी में बेल बॉटम केवल नेवी की यूनिफॉर्म बना रहा. आम लोगों के बीच ये 1960 के दशक में पॉपुलर हुआ. यूरोप और US में लोग शान से इसे पहनने लगे. इसका क्रेडिट काफी हद तक अमेरिकी रॉक कपल सोनी एंड चेर (Sonny & Cher) को जाता है.
कौन हैं सोनी एंड चेर और क्या किया था?
सोनी बोनो अमेरिकन सिंगर और एक्टर थे. उनकी पत्नी थीं चेर. वो भी एक्ट्रेस और सिंगर थीं. 1970 के दशक में दोनों का एक कॉमेडी शो आता था. दोनों ने अपने इस शो में बेल बॉटम पहना था, जिसकी वजह से ये पैंट काफी पॉपुलर हो गया था.
70 के दशक में जितने भी म्यूज़िकल बैंड थे, उनमें शामिल लोग ज्यादातर बेल बॉटम पहनते थे. इसी दशक के आखिर तक इस पैंट की कुछ और वैरायटी सामने आईं. जैसे लून पैंट्स और एलिफेंट बेल्स.
लून पैंट्स- इसमें और भी ज्यादा घेर दिया जाने लगा.
एलिफेंट पैंट्स- ये लून पैंट्स की तरह ही थे, लेकिन उनसे ज्यादा लंबे होते थे. आमतौर पर इनके साथ हाई-हील्स पहने जाते थे. और ये पैंट्स हील्स को पूरी तरह ढक देते थे.
बेल बॉटम का जाना और लौटकर आना
1980 का दशक. फैशन बदल गया. स्किन-टाइट ट्राउज़र्स का चलन बढ़ा. लेकिन बेल बॉटम ने वापसी की. 90 के दशक के आखिरी के बरसों में. नए नाम के साथ, ‘बूट कट’. इसमें मोहरी की चौड़ाई बेल बॉटम से थोड़ी कम कर दी गई. फिर जीन्स भी बूट-कट स्टाइल के आने लगे. साल 2006 तक बूट-कट लड़के और लड़कियों के बीच काफी पॉपुलर रहा.
2006 में फिर से स्किन टाइट जीन्स का चलन आ गया. दस साल तक इन जीन्स ने जमकर राज किया, लेकिन 2015 के आस-पास से फिर से बेल बॉटम के विकसित रूपों ने वापसी की. अब लड़कियां जो पलाज़ो पहनती हैं उन्हें बेलबॉटम का एक प्रकार माना जा सकता है.
इंडिया में बेल बॉटम कब आया?
जैसा हमने वैश्विक स्तर पर बेल बॉटम के फैशन को देखा, इंडिया में भी इसका फैशन मिलता जुलता रहा. 60 और 70 के दशक में फिल्मों में हीरो और हीरोइन्स ने शान से बेल बॉटम पहना. चलन आम जनता तक पहुंचा. उन्होंने भी इसे अपना लिया.
एक फैशन ब्लॉगर हैं तान्या सचदेव. वो अपने ब्लॉग में लिखती हैं कि 1980 के दशक में इंडिया में डिस्को कल्चर बढ़ा. और बेल बॉटम्स की जगह नेरो बॉटम्स ने ले ली. फिर इस दौरान इंडस्ट्रीज़ भी विकसित हो रही थीं, ऐसे में फैक्ट्री में, मेकेनिकल इंडस्ट्री में और दुकानों में काम करने वाले लोग बेल बॉटम्स की वजह से दिक्कत महसूस करने लगे. इसलिए नेरो बॉटम्स का चलन बढ़ गया.
2000 के शुरुआती दिनों में बेल बॉटम ने वापसी की. कई वैरायटी में ये आए. फिर चले गए. फिर स्किन-टाइट जीन्स का सीज़न आया. फिर 2015 के आस-पास दोबारा बेल बॉटम्स ने वापसी की. अगर आज की बात करें तो मार्केट में अगर शॉपिंग करने जाओ, तो चौड़ी मोहरी वाले कई सारे पैंट्स, जीन्स दिखते. ये अभी भी फैशन में बने हुए हैं. तान्या सचदेव के शब्दों में कहें, तो फैशन मौसम की तरह है, जो कुछ-कुछ समय के अंतर के बाद रिपीट होता है.
मेरे आस-पास के लोगों ने बेल बॉटम्स को लेकर कहते हैं कि ये वो पैंट है, जिसकी मोहरी अक्सर साइकिल की चेन में फंस जाती थी.
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