नई दिल्ली। राज बब्बर बॉलीवुड के ऐसे कलाकार रहे हैं, जो अपने अलग अभिनय के लिए जाने जाते हैं। उनकी गंभीर पर्सनालिटी ही उनके अभिनय की खास पहचान रही है। राज बब्बर ने अपनी मेहनत, प्रतिभा और लगन से हिंदी सिनेमा में अलग जगह बनाई। 23 जून 1952 को राज बब्बर का जन्म उत्तर प्रदेश के टुंडला में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई आगरा कॉलेज से की थी।
उसके बाद राज बब्बर देश की राजधानी दिल्ली चले गए। दिल्ली में रहते हुए उनका रुझान रंगमंच की ओर हो गया और उसके बाद साल 1975 में उन्होंने देश के प्रतिष्ठित एनएसडी (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) में दाखिला ले लिया। राज बब्बर एनएसडी के एक होशियार छात्र रहे थे। यहां उन्होंने मेथड एक्टिंग की बारीकियां सीखीं। एनएसडी से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह दिल्ली के कई थियेटर ग्रुप से जुड़े।
अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा करने का सपना लिए राज बब्बर मुंबई चले गए। लंबे संघर्ष के बाद उन्होंने साल 1977 में फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ से से बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि यह फिल्म सिनेमाघरों में खास कमाल नहीं दिखा सकी लेकिन दर्शकों ने उनके अभिनय को पसंद किया। आगे जाकर राज बब्बर ने निकाह, आज की आवाज, आप तो ऐसे ना थे, कलयुग, हम पांच, दाग, जिद्दी सहित बॉलीवुड की कई शानदार फिल्मों में काम किया। राज बब्बर ने फिल्मों में निगेटिव और पॉजिटिव हर तरह के किरदार निभाए हैं।
फिल्मों के अलावा राज बब्बर अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी काफी सुर्खियों में रहे हैं। कभी अभिनेत्री स्मिता पाटिल से अपने प्रेम-प्रसंग की वजह से चर्चा में रहने वाले राज बब्बर ने दो शादियां की हैं। उनकी पहली पत्नी का नाम नादिरा है। नादिरा से राज बब्बर के दो बच्चे हैं आर्य बब्बर और जूही बब्बर। राज बब्बर ने दूसरी शादी अपनी प्रेमिका स्मिता पाटिल से की लेकिन, यह शादी अधिक दिनों तक टिक नहीं पाई और अपने पहले बच्चे को जन्म देने के कुछ ही घंटों में स्मिता पाटिल की मौत हो गई। स्मिता पाटिल के बेटे अभिनेता प्रतीक बब्बर हैं।
फिल्मों के साथ राज बब्बर की राजनीति में भी काफी रूचि रही है। वह काफी समय से राजनीति में सक्रिय है। आज वह अपने बेबाक राय देने वाले नेता माने जाते हैं। गौरतलब है कि राज बब्बर 14वीं लोकसभा चुनाव में वह फिरोजाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद चुने गए, लेकिन साल 2006 में समाजवादी पार्टी से निलंबित होने के बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली।
2021 एक सही नोट पर शुरू हुआ है. कम से कम कपिल शर्मा के फैंस के लिए तो. कपिल अपना डिजिटल डेब्यू करने जा रहे हैं. और वो भी नेटफ्लिक्स के साथ. कपिल ने खुद इसकी जानकारी अपने ट्विटर पर दी. अपनी इस कौलेबोरेशन का एक छोटा सा प्रोमो शेयर किया.
कैप्शन में लिखा,
रूमर्स पर भरोसा मत कीजिए, सिर्फ मुझपे कीजिए. मैं आ रहा हूं जल्द ही नेटफ्लिक्स पर. ये शुभ समाचार है.
1 मिनट 8 सेकंड का वीडियो कपिल से शुरू होता है. जहां वो अपने अंदाज़ में अंग्रेज़ी शब्द ‘auspicious’ बोलने की कोशिश कर रहे हैं. अंग्रेज़ी में बोलने लगते हैं पर इस शब्द पर आकर अटक जाते हैं. फिर अपनी बात हिंदी में कहना शुरू करते हैं. कहते हैं कि नेटफ्लिक्स खुद देसी है तो अपने को क्या ज़रूरत है इंग्लिश बोलने की.
कपिल ने अपने डिजिटल डेब्यू पर एक स्टेट्मेंट भी रिलीज़ किया. कहा,
नेटफ्लिक्स के साथ पहली बार काम करने को लेकर मैं बहुत खुश हूं. 2020 सबके लिए उथल-पुथल भरा रहा है. मेरा मोटिव यही है कि लोग अपने दुख और परेशानियों को भूल जाएं. इस नए साल का स्वागत प्यार, हंसी और पॉज़ीटिविटी के साथ करें. मैं हमेशा से नेटफ्लिक्स पर आना चाहता था पर मेरे पास इनका नंबर नहीं था. ये प्रोजेक्ट मेरे दिल के बेहद करीब है और मैं इससे जुड़ी जानकारी शेयर करने के लिए बेताब हूं.
कपिल ने कल भी एक ट्वीट किया था. पूछा था कि शुभ समाचार को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
बता दें कि प्रोजेक्ट को लेकर अभी कोई भी बात बाहर नहीं आई है. ये एक सीरीज़ है या स्टैंड अप स्पेशल, इसपर भी कुछ नहीं कहा गया. उनकी ‘दी कपिल शर्मा शो’ की टीम का कोई सदस्य इसका हिस्सा होगा या नहीं, ये भी अभी साफ नहीं. कपिल पिछले कुछ महीनों से अपने शो पर एक वेब प्रोजेक्ट का ज़िक्र करते रहे हैं. शायद इसी प्रोजेक्ट की बात कर रहे थे. जब तक कोई ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं आ जाता, कुछ भी बता पाना मुश्किल है.
साल 1974 में एक फिल्म आई थी. नाम था ‘कोरा कागज़’. अब साल 2021 में एक फिल्म आने वाली है, जिसका नाम होगा ‘कागज़’. ये सरकारी कागज़ है. इसमें जो शब्द लिखे हैं, उससे एक आदमी की पूरी ज़िंदगी जुड़ जाती है. इसी एक कागज़ पर एक जीते-जागते इंसान को मरा हुआ करार दे दिया जाता है. खुद को ज़िंदा साबित करने की इसी कहानी को पर्दे पर बयान करेगी ये नई फिल्म. जिसका ट्रेलर रिलीज़ हुआ है. क्या है इसकी कहानी, कैसा है ट्रेलर, फिल्म में कौन-कौन है, सब बताएंगे.
1. क्या है फिल्म की कहानी
‘कागज़’ की कहानी है भरत लाल की. जिसकी एक प्यारी सी बीवी है और बच्चा है. बारातों में बैंड-बाजा बजाने का काम करता है. फिर एक दिन अचानक ही उसे पता चलता है कि सरकारी कागज़ों में उसे मृत घोषित कर दिया गया है. यहीं से शुरू होती है उसके ज़िंदा होने की कहानी. कितने पापड़ बेलते हुए, कोर्ट रूम और वकीलों के चक्कर काटता है. एक जीता जागता इंसान खुद के जीवित होने का सबूत देता है. संघर्ष करता है. इसी की कहानी है ‘कागज़’.
सच्ची घटना से प्रेरित है कहानी
इस फिल्म में पंकज त्रिपाठी ने आज़मगढ़ के रहने वाले भरत लाल उर्फ लाल बिहारी का रोल अदा किया है, जिन्हें सिस्टम ने मृतक घोषित कर दिया था, जबकि वो ज़िंदा थे. इसके बाद उन्होंने छोटी-मोटी नहीं बल्कि लंबी लड़ाई सालों तक लड़ी. खुद को ज़िंदा साबित किया. फिल्म में उन्हीं के संघर्ष की कहानी को बखूबी दिखाया जाएगा. इसकी झलक ट्रेलर में साफ दिखाई देती है.
2. कैसा है ट्रेलर?
ठीक-ठाक है. ना बहुत अच्छा कहा जा सकता है, और ना ही खराब. शुरुआत होती है गांव के एक घर से, जहां लोगों की भीड़ जमा है. किसी के मर जाने का मातम मनाया जा रहा है. जब एक शख्स, भरत लाल से पूछता है कि कौन मर गया तो वो कहते हैं, ‘हम ही मर गए’. इसके बाद शुरू होती है लड़ाई, खुद को ज़िंदा साबित करने की. पहले वो सरपंच के पास जाता है, और कहता है कि उन्हें पेपर पर ज़िंदा कर दीजिए. तो उन्हें वहां से रवानगी दे दी जाती है. फिर कोर्ट पहुंचता है तो वकील यहां-वहां घुमाकर पैसा ऐंठते नज़र आता है. बच्चे और गांव वाले उन्हें मरा हुआ और भूत बोलकर चिढ़ाने लगते हैं. फिर इस मामले में मीडिया आगे आती है. आदमी से ज्यादा कागज़ को दी गई अहमियत को इस फिल्म में दिखाया गया है. 2 मिनट 39 सेकेंड के ट्रेलर के सेंकेड हाफ में पंकज त्रिपाठी कुछ शानदार डायलॉग बोलते दिखाई देते हैं. जैसे एक सीन में कोर्ट रूम के अंदर वो बोलते हैं-
”कुछ लोगों ने हमारे साथ गलत किया है तो उनको बताना है कि वो गलत किए हैं. धर्मयुद्ध है अब, मान, सम्मान, पहचान की लड़ाई है.”
”आप कागज़ की सुनेंगे या इंसान की सुनेंगे, दिल इंसान के धड़कत है या कागज़ में धड़कत है. बाल, बच्चा, मेहरारू कागज के होत हैं कि इंसान के होत हैं.”
जिंदा बने रहने की इसी लड़ाई को लेकर वो संसद तक पहुंच जाते हैं. आखिर में उन्हें उनका नाम वापस मिलता है. लेकिन कागज़ पर वो फिर से ज़िंदा होते हैं या नहीं, ये तो फिल्म की रिलीज़ के बाद ही पता चलेगा.
3. कौन-कौन हैं फिल्म में?
पंकज त्रिपाठी
ये फिल्म के लीड किरदार हैं. मगर हाल ही में ‘मिर्ज़ापुर 2’ रिलीज़ हुई थी. उसमें कालीन भईया के दबंग किरदार से पंकज त्रिपाठी का ये भरत लाल का किरदार बिल्कुल अलग है. ना वो इसमें तड़-तड़ गोलियां चलाएंगे, और ना ही उनके एक इशारे पर गुंडे खड़े हो जाएंगे. एक्टिंग की यही वर्सटैलिटी इस फिल्म में नज़र आएगी.
मोनाली गज्जर
पंकज त्रिपाठी के अपोज़िट फिल्म में नज़र आएंगी मोनाली गज्जर. जो गुजराती, तेलगू और तमिल एक्ट्रेस हैं. उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत मलयालम फिल्म ड्रैकुला से की थी. इस साल उन्होंने बिग बॉस तेलगु के चौथे सीज़न में भी एंट्री ली थी. इससे पहले मोनाली साल 2013 में आई आशा भोंसले की फिल्म माई में स्पेशल अपीयरेंस दे चुकी हैं.
अमर उपाध्याय
ट्रेलर देखकर पता चलता है कि मूवी में अमर उपाध्याय एक दबंग नेता के किरदार में हैं. अमर कई सारी फिल्मों और टीवी शोज़ में नज़र आ चुके हैं. देख भाई देख, मेंहदी तेरे नाम की, क्योंकि सास भी कभी बहू थी, कलश, साथिया प्यार का, नया एहसास जैसे कई सारे शोज़ भी कर चुके हैं.
सतीश कौशिक
फिल्म में सतीश कौशिक भी दिखाई देंगे, जो वकील के किरदार में होंगे. इसके पहले सतीश कौशिक हंसल मेहता की फिल्म ‘छलांग’ में भी दिखाई दिए हैं.
4. किसने बनाई है?
सतीश कौशिक. जो फिल्म के डायरेक्टर भी हैं और लिखी भी उन्होंने ही है. फिल्म को प्रोड्यूस किया है सलमान खान, निशांत कौशिक, विकास मालु और विशाल वत्स ने. सलमान खान ने अपने सोशल मीडिया पर फिल्म का ट्रेलर भी शेयर किया है.
5. कब और कहां देख सकेंगे?
कोरोना के दौर में पंकज त्रिपाठी की ये फिल्म भी डिजिटली रिलीज़ होगी. 7 जनवरी 2021 को इसे जी 5 प्लेटफॉर्म पर देखा जा सकता है. उत्तर प्रदेश के कुछ चुनिंदा शहरों में इसे थिएटर में भी रिलीज़ किया जाएगा. हालांकि वो शहर कौन से होंगे, अभी इसकी जानकारी नहीं मिली है.
साउथ का एक कलाकार ऐसा है जिसने स्टारडम को नए स्तर तक पहुंचाया है. जिसकी कॉपी दुनियाभर के लोग करते हैं. जिसकी स्टाइल पर सभी फिदा हैं. जिसे साउथ में भगवान का दर्जा मिला है. नाम है रजनीकांत.
साउथ फिल्म इंडस्ट्री में स्टार्स की फैन फॉलोइंग बहुत तगड़ी है. साउथ के स्टार्स को दुनियाभर में पसंद किया जाता है. मगर इनमें से एक कलाकार ऐसा है जिसने स्टारडम को नए स्तर तक पहुंचाया है. जिसकी कॉपी दुनियाभर के लोग करते हैं. जिसकी स्टाइल पर सभी फिदा हैं. जिसे साउथ में भगवान का दर्जा मिला है. नाम है रजनीकांत. एक्टर 12 दिसंबर, 2020 को अपना 70वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस खास मौके पर बता रहे हैं एक्टर के जीवन से जुड़े कुछ किस्सों के बारे में.
जब कंडक्टर हुआ करते थे रजनीकांत
रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर, 1950 को बंगलुरु में हुआ था. रजनीकांत ने अपने शुरुआती जीवन में बस कंडक्टर और कुली का काम किया. मगर किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. रजनीकांत की स्टाइल हमेशा से बड़ी ही यूनिक रही है और वे बस कंडक्टर होने के दौरान भी अपने आस-पास के लोगों को काफी इंप्रेस किया करते थे. रजनीकांत का फिल्मों में भी शुरुआती सफर लीड एक्टर के रोल में नहीं था. उन्हें शुरुआत में सिर्फ निगेटिव रोल ही मिले. मगर रजनीकांत ने अपने सभी रोल्स के साथ पूरा इंसाफ किया.
साल 1977 में आई फिल्म भुवन ओरु केल्वीकुरी में वे पहली बार हीरो के रोल में कास्ट किए गए. एसपी मुत्थुरमन ने उन्हें रोल दिया. यहां से रजनीकांत की किस्मत पलटनी शुरू हुई. रजनी और मुत्थुरमन दोनों की जोड़ी जम गई और 90 का दशक आते-आते दोनों ने करीब 24 फिल्मों में साथ काम किया जिसमें से ज्यादातर सुपरहिट रहीं.
हिंदी फिल्मों में चला जादू
उन्हें अपनी यूनिक स्टाइल की वजह से अन्य भाषाओं में भी काम मिलने लगे और पॉपुलैरिटी बढ़ती गई. उन्हें 80 के दशक में हिंदी फिल्मों में भी काम मिले. उन्होंने अंधा कानून, गिरफ्तार, वफादार, बेवफाई, भगवान दादा, असली नकली, इंसाफ कौन करेगा और तमाचा जैसी फिल्मों में काम किया. बढ़ती उम्र का भी एक्टर पर कोई असर नजर नहीं आता है. वे लगातार सुपरहिट फिल्में दे रहे हैं जिसे दुनियाभर में लोग देखना पसंद करते हैं. पिछले कुछ समय में उन्होंने काबिल, लिंगा, 2.0 पेटा और दरबार जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में काम किया है. उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे सम्मानों से नवाजा जा चुका है.
एक्टर प्रभास फिल्म इंडस्ट्री के बाहुबली के नाम से जाने जाते हैं. वह साउथ इंडस्ट्री के सबसे मशहूर और बिजी एक्टर्स में से एक हैं. फिल्मी प्रोजेक्ट्स की बात की जाए तो भी प्रभास का जवाब नहीं है. वह इस समय के सबसे बिजी सेलेब्स में से एक हैं. प्रभास के पास कई बड़े बजट वाली फिल्में हैं.
प्रभास आदिपुरुष, राधे श्याम और डायरेक्टर नाग आश्विन की साइंस फिक्शन फिल्म में काम कर रहे हैं. खबरों की मानें तो इन सभी को मिलाकर प्रभास के आने वाले प्रोजेक्ट्स की कीमत लगभग 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा हैं. जी हां, अकेले प्रभास पर इंडस्ट्री के 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा लगे हुए हैं.
प्रभास फिल्म राधे श्याम में एक्ट्रेस पूजा हेगड़े संग काम कर रहे हैं. यह एक पीरियड ड्रामा और रोमांस फिल्म है, जिसे 250 करोड़ रुपये के बड़े बजट में बनाया जा रहा है. फिल्म के पोस्टर्स को हाल ही में रिलीज किया गया था, जिन्हें जनता का काफी अच्छा रिएक्शन मिला है. राधे श्याम को डायरेक्टर राधा कृष्णा कुमार बना रहे हैं.
प्रभास का दूसरा और काफी बड़ा प्रोजेक्ट फिल्म आदिपुरुष है. डायरेक्टर ओम राउत की इस फिल्म को रामायण की महागाथा पर बनाया जा रहा है. खबर है कि प्रभास इसमें राम और सैफ अली खान रावण के रोल में नजर आ सकते हैं. खबरों के मुताबिक इस फिल्म का बजट 450 करोड़ रुपये है. यह फिल्म 11 अगस्त 2022 को रिलीज होने तय हुई है.
दीपिका पादुकोण के साथ भी बाहुबली प्रभास एक फिल्म करने जा रहे हैं. डायरेक्टर नाग आश्विन की साइंस फिक्शन फिल्म का नाम अभी नहीं रखा गया है, लेकिन इसे लेकर बज काफी बन गया है. खबर है कि इस बेनाम फिल्म का बजट 300 करोड़ है. यह तेलुगू फिल्मों में दीपिका पादुकोण का डेब्यू होगी.
इन तीन बड़े प्रोजेक्ट्स के अलावा अभी प्रभास तेलुगू फिल्मकार कोरतला शिवा के साथ भी बातचीत कर रहे हैं. खबर है कि दोनों के नए प्रोजेक्ट को शुरू होने में लगभग दो साल का समय लगेगा. इससे पहले प्रभास और शिवा ने साथ में तेलुगू एक्शन ड्रामा फिल्म मिर्ची में काम किया था.
फिलहाल प्रभास फिल्म राधे श्याम की शूटिंग कर रहे हैं. वह एक हाथ पढ़ने वाले के किरदार को निभाएंगे जिसका नाम विक्रमादित्य है. पूजा हेगड़े इस फिल्म में म्यूजिक टीचर बनी नजर आएंगी. राधे श्याम हिंदी, तमिल और मलयालम भाषा में भी रिलीज होगी.
भूमि पेडणेकर. बॉलीवुड की जानी मानी एक्ट्रेस हैं. ‘टॉयलेट-एक प्रेम कथा’, ‘बाला’ और ‘शुभ मंगल सावधान’ जैसी फिल्मों में नज़र आ चुकी हैं. अब भूमि की एक और फिल्म आ रही है जिसका नाम है ‘दुर्गामती द मिथ’. जिसका ट्रेलर आज रिलीज़ हो गया है. पहले इस मूवी का नाम ‘दुर्गावती’ रखा गया था. मगर बाद में इसे बदल दिया गया. ऐसा क्यों किया गया इस बात की कोई ऑफिशियल जानकारी नहीं मिली.
‘दुर्गामती’ फिल्म साल 2018 में आई तेलुगु फिल्म ‘भागमती’ का हिंदी रीमेक है. जिसमें लीड रोल प्ले किया था ‘बाहुबली’ की देवसेना यानी अनुष्का शेट्टी ने. तो आइए आपको बताते हैं ‘दुर्गामती’ का ट्रेलर कैसा है, उसमें क्या खास है, कौन-कौन से कलाकार नज़र आएंगे ये सब.
1) क्या है कहानी?
‘दुर्गामती’ की कहानी चंचल चौहान और दुर्गामती हवेली के ईर्द-गिर्द घूमती है. चंचल चौहान यानी भूमि पेडणेकर. जिसे एक मर्डर केस में जेल की सज़ा हुई है. चंचल को ईश्वर प्रसाद यानी अरशद वारसी को फंसाने के लिए जेल से बाहर निकाला जाता है. ईश्वर एक राजनेता है जो लोगों की मदद करता है और लोगों के हित में काम करना चाहता है. इसी को फंसवाने और मरवाने के लिए चंचल को जेल से बाहर लाया जाता है.
किसी को शक ना हो इसलिए चंचल को इंवेस्टिगेशन के लिए एक सुनसान जगह ले जाया जाता है. वो जगह होती है दुर्गामती हवेली. इसी हवेली में चंचल पर रानी दुर्गावती की आत्मा चढ़ जाती है. अब चंचल, इस दुर्गामती की आत्मा से कैसे छुटकारा पाती है और राजनेता ईश्वर का क्या होता है इसी की कहानी है दुर्गामती.
2) कैसा है ट्रेलर?
इंट्रस्टिंग तो है. ट्रेलर की शुरुआत होती है ईश्वर प्रसाद से. जो लोगों को ये समझाने की कोशिश करता है कि लोगों की ताकत, सत्ता में बैठे लोगों से ज़्यादा होती है. उसके इसी अच्छे स्वभाव और राजनीति में बढ़ते कदम को रोकने के लिए ऊपर बैठे सत्ताधारी लोग ईश्वर के खिलाफ साजिश रचना चाहते हैं. इसके बाद एंट्री होती है भूमि पेडणेकर की.
ईश्वर को फंसाने के लिए जेल में मर्डर की सज़ा काट रही चंचल चौहान को बाहर निकाला जाता है. जांच के लिए उसे दुर्गामती महल ले जाते हैं. दर्गामती महल का पूरा सेटअप और उसका वीएफएक्स शानदार है. हवेली को फुल स्क्रीन पर देखकर ही आपको फिल्म देखने का मन कर जाएगा. इसके अलावा भूमि पेडणेकर की एक्टिंग आपका दिल जीत लेगी. इस हॉरर फिल्म में भूमि आपको डराएंगी तो नहीं मगर निराश भी नहीं करेंगी.
तीन मिनट 20 सेकेंड के इस ट्रेलर के अंत में जब भूमि दुर्गामती के रूप में दिखती हैं तो प्रभावी लगती हैं. हो सकता है भूमि का ये रूप देकखर आपको ‘भुल-भुलैया’ की मंजुलिका यानी विद्या बालन याद आ जाए. ट्रेलर का म्यूज़िक भी आपको पूरा टाइम बांध कर रखेगा. ओवरऑल ‘दुर्गामती’ फिल्म का ट्रेलर अच्छा है. जिसे देखकर पूरी पिक्चर देखने का मन कर जाएगा.
3) कौन-कौन है?
1.भूमि पेडणेकर
भूमि पेडणेकर, दुर्गामती में लीड रोल में हैं. भूमि इससे पहले भी हॉरर जॉनर की फिल्म में काम कर चुकी हैं. वो विक्की कौशल के साथ ‘भूत’ फिल्म में नज़र आई थीं. ‘दुर्गामती’ में भी भूमि का रोल शानदार है और उनकी एक्टिंग भी कमाल की लग रही है.
2. अरशद वारसी
अरशद वारसी ‘दुर्गामती’ में ईश्वर प्रसाद का रोल प्ले कर रहे हैं. अरशद वारसी का किरदार वही है जिसे फंसाने या मारने के लिए चंचल चौहान को जेल से बाहर लाया जाता है और इंवेस्टिगेशन के लिए दुर्गामती महल में ले जाया जाता है.
3. माही गिल
माही गिल ने इस फिल्म में आईपीएस ऑफिसर का किरदार निभाया है. जो चंचल चौहान से पूछताछ करती हैं. माही गिल अपनी एक्टिंग के लिए जानी जाती हैं. इस फिल्म में भी उनको देखना शानदार होगा.
4. जीशू सेनगुप्ता
‘बर्फी’, ‘पीकू’ और कई सारी बंगाली फिल्मों में काम कर चुके जीशू सेनगुप्ता भी ‘दुर्गामती’ फिल्म में नज़र आएंगे. जीशू फिल्म में एक पुलिस वाले का किरदार निभाएंगे.
5. करण कपाड़िया
फिल्म में करण कपाड़िया भी दिखाई देंगे. इससे पहले करण साल 2019 में आई फिल्म ‘ब्लैक’ फिल्म में नज़र आए थे.
4. किसने बनाई है?
‘दुर्गामती’ फिल्म को बनाया है साउथ के जाने माने डायरेक्टर अशोक ने. जिन्होंने ‘भागमती’ को भी बनाया था. अशोक ने इससे पहले साउथ की कई सुपरहिट फिल्में बनाई हैं. जिसमें ‘प्रस्थानम’, ‘सागर संगमम’, ‘गीतांजली’ जैसी फिल्में हैं. फिल्म टी-सीरीज़ के बैनर तले बन रही है. जिसे प्रॉड्यूस किया है अक्षय कुमार और भूषण कुमार ने. म्यूज़िक दिया है शंकर एहसान लॉय और तनिष्क बागची ने.
5. कब आ रही है?
‘दुर्गामती’ फिल्म पहले थिएटर में रिलीज़ होने वाली थी. मगर बाद में कोरोना और लॉकडाउन की वजह से ये फिल्म लटक गई. अब ये फिल्म 11 दिसंबर को अमेजॉन प्राइम पर रिलीज़ होगी. अक्षय कुमार ने ‘दुर्गामती’ का ट्रेलर अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया था.
मुंडया थकता नहीं कर-कर के, तेरियां तरीफां, जी करदा दिला दूं तैनूं बुर्ज़ ख़लीफ़ा. ओ तैनूं बुर्ज़ ख़लीफ़ा…
अक्षय कुमार की लेटेस्ट मूवी, ‘लक्ष्मी’ का ट्रेंडिंग गाना. ‘लक्ष्मी’ 09 नवंबर, 2020 को रिलीज़ हुई. डिज़्नी हॉटस्टार पर. पहले आप गीत ही देख लीजिए, फिर आगे की बात करते हैं. या फिर आप ड्रीम इलेवन में टीम बना लीजिए, गीत भी हम ही देख लेते हैं. (ये था इस स्टोरी का पहला पीजे.)
देखा गीत? इस गीत में सब कुछ बड़ा अच्छा-अच्छा और हरा-हरा सा है न? 5 ट्रिलियन वाली इकॉनमी के सरकारी आंकड़ों सा. पर एक छोटी सी चीज़ मिसिंग है. वही ‘छोटी सी चीज़’ जिसका ट्रम्प के ट्वीट और बयानों में मिसिंग रहने का लंबा इतिहास है- ‘वास्तविकता’. और वो हम आपको बताते हैं. वास्तविकता ये है कि बुर्ज़ ख़लीफ़ा की दीवारों पर 3 मिनट के विज्ञापन की कॉस्ट पड़ती है 50 लाख से एक करोड़ रुपए के बीच. यानी अपनी प्रेयसी को बुर्ज़ ख़लीफ़ा दिलाने की बात तो छोड़ ही दें, अगर आप उसकी तस्वीर भी 3 मिनट तक बुर्ज़ ख़लीफ़ा की दीवारों पर लगाएंगे, तो आपकी लव-कॉस्टिंग, आउट ऑफ़ बजट चली जाएगी. और जहां तक हमें सूचना है, वित्त मंत्री ने प्रेम के लिए कोई ‘राहत पैकेज’ की बात आज तक नहीं की है. बेशक उनके बजट में 100 दर्द हों, 100 राहतें…
रही बात पूरे बुर्ज़ ख़लीफ़ा की, तो उसका कुल मूल्य ठहरा- डेढ़ बिलियन डॉलर. मने 1,50,00,00,000 डॉलर. मने 1,10,75,76,75,000 रूपये. बोले तो, ग्यारह हज़ार पिचहत्तर करोड़ रुपए.
और ये तो इसकी कॉस्ट है. प्राइस की बात तो हमने की ही नहीं. न GST जोड़ा, न एजुकेशन सेस.
कितना हुआ ये अमाउंट वैसे? गणित के बदले हिंदी में बोलें तो, बहुत-बहुत ज़्यादा. इतने रुपयों में भारत के एक-एक जीवित व्यक्ति को एक दिन, सुबह-शाम का भोजन, विद ब्रेकफास्ट एंड टी मिल जाए. या फिर अगर ‘कौन बनेगा करोड़पति’ रोज़ आता रहे और हर दिन एक व्यक्ति करोड़पति बने, तो भी ये धारावाहिक 30 साल तक अबाध्य रूप से चल सकता है. वो भी तब, अगर इंट्रेस्ट ऑन इन्वेस्टमेंट की बात न की जाए. चलिए उससे अमिताभ बच्चन का भुगतान कर दिया जाएगा.
तुलसीदास के ‘हनुमंत जी की पूंछ में लगन न पाई आग…’ वाले कथन से क्यू लेकर अगर बात करें, तो इतने रुपयों में न केवल गंगा-जमुना स्वच्छ हो जाएंगी, बल्की सरस्वती भी धरती पर अवतरित हो जाएंगी.
लब्बोलुआब ये कि बुर्ज़ ख़लीफ़ा दिलाने की बात कहकर अक्षय कुमार कुछ ज़्यादा ही आगे बढ़ गए. जिस तरह ‘लक्ष्मी’ मूवी का पुराना नाम धार्मिक भावना को चोट करता था, उसी तरह फ़िल्म का ये गीत आर्थिक भावना को करता है. कुछ लोगों को ये आम्रपाली और जेपी की याद दिलाता है. तू छेड़ न मेरे दर्दां नूं…
मतलब अक्षय सा’ब, तब तक तो ठीक था, जब तक आप चंडीगढ़ में फ़्लैट दिलाने की बात कर रहे थे. कनाडा में भी दिला देते, तो मान लेते. चल जाता. पर बुर्ज़ ख़लीफ़ा? सीरियसली?
कुछ और फ़ैक्ट्स, जो बुर्ज़ ख़लीफ़ा से जुड़े हैं, वो ये कि 4 जनवरी, 2009 को बनकर तैयार हुई 820+ मीटर की इस बिल्डिंग में कुल 168 मंज़िलें हैं. ये इतनी ऊंची है कि 100 किलोमीटर दूर से भी दिखाई दे जाती है.
बाई दी वे, वो कौन मासूम लोग हैं, जो इसे युगल गीत, यानी दो गाना, यानी ड्यूएट बता रहे हैं. अरे मासूमों, ये दरअसल एक विज्ञापन है. प्रोडक्ट प्लेसमेंट. रियल एस्टेट वालों का. जो पहले खुल्ले में प्रॉमिस करते थे. 3-4 BHK. लग्ज़री अपार्टमेंट. अलां लोकेशन. फ़लां बिल्डर्स. ढिमका फ़ैसिलिटी. लेकिन फिर मोदी जी ने एक तरफ़ ढेर सारे शौचालय खोले और दूसरी तरफ़ रेरा लाए. तो शौच और रियल एस्टेट बिल्डर्स की प्रॉमिस, दोनों ही खुले में होना बंद हो गईं. गोया शराब, सिगरेट के विज्ञापन या ऑल्ट बालाजी का सब्सक्रिप्शन या गूगल क्रोम की इंकोगनिटो विंडो.
प्लान ये था कि जब-जब आपके प्रेमी या प्रेमिका बुर्ज ख़लीफ़ा के सामने अक्षय कुमार को गाते हुए देखेंगे, तो उनके मन में कसक जगेगी. कि कियारा अगर ‘बुर्ज डिजर्विंग ब्यूटीफ़ुल’ हैं, तो हम भी कुछ नहीं भी तो 2-3 BHK इन ग़ाज़ियाबाद, नोएडा एक्सटेंशन वाला हुस्न तो रखते ही हैं. और सदियों पहले गुलाब के फूल से शुरू हुआ गिफ़्ट का ये सिलसिला, ‘इंफ़्लेशन’ की फ़ास्ट लेन से होता हुआ फ़्लैट या पैंट हाउस तक जा पहुंचेगा. ऑफ़ कोर्स, ताजमहल जैसे इक्का-दुक्का एक्सेप्शन्स को छोड़कर.
इसलिए इस गीत के नीचे वैधानिक चेतावनी होनी चाहिए- ‘कमज़ोर दिल वाले, जो उस मकान की किश्त भर रहें हैं, जिसका पोज़ेशन उन्हें सन 2075 में मिलेगा, या जो प्राइम लोकेशन पर फ़्लैट नहीं एफ़ोर्ड कर सकते, इस गीत को न देखें.’
और बाकी लोग अगर देख रहे हैं, तो जान लीजिए कि नायक, नायिका से कोई वादा नहीं कर रहा. बस अपने मन की इच्छा बता रहा है. ‘जी करता दिला दूं…’
जैसे माया सारभाई की इच्छा थी अपनी मिडिल क्लास बहू मोनीशा का क़त्ल करने की. या जैसे कुछ लोगों कि इच्छा है, US में कमल खिलाने की. और अगर आपने इंटर में प्रायिकता पढ़ी है, तो यक़ीन कीजिए US में कमल खिलने की ज़्यादा संभावना है, प्रेमी द्वारा प्रेमिका के लिए बुर्ज़ ख़रीद लाने की तुलना में. बल्कि सुनने में आ गया है ‘कमला’ तो वहां खिल भी गई हैं. और वैसे, POTUS-LOTUS के बीच भी तो एक टाइपो भर का ही अंतर है.
पर मुझे ‘बुर्ज़ ख़लीफ़ा’ की इच्छाभर से भी आपत्ति है. क्यों है? एक ट्रेजिक चुटकुला सुनिए:
कुछ भिखारी लाइन से बैठे थे. लॉकडाउन के चलते उनका धंधा, मंदा चल रहा था. फटे कपड़ों और क़रीने से पिचकाए गए कटोरों और उस पर खुद से ही रख दिए गए कुछ सिक्कों पर भी ‘रिटर्न ऑन इंवेसमेंट’ ज़ीरो था. ऐसे में एक भिखारी जिसने दो दिन से कुछ नहीं खाया, वो खाने की एक्टिंग करने लगा. उसे बग़ल के एक भिखारी ने टोका- पहला भिखारी: अबे! क्या कर रहा है? दूसरा भिखारी: खाने की एक्टिंग कर रहा हूं. पहल भिखारी: क्या खा रहा? दूसरा भिखारी: खिचड़ी. प्याज़ और अचार. पहला भिखारी: जब एक्टिंग ही करनी है, तो कुछ अच्छा खा. मलाई कोफ्ता. दाल मखनी. दम पुख्त. दूसरा भिखारी: मैं खा तो लूं ये सब. पर इतना सब पचाएगा कौन? तू?
तो इस चुटकुले से ये शिक्षा मिलता है कि अगर सोते हुए सपना भी सोने का आ रहा है, तो उस सपने में भी ‘तेते पांव पसारिए, जेते लंबी सौर.’ मतलब सपना भी औक़ातानुसार देखना चाहिए. ग़लत कहते हैं वो विज्ञापन वाले. मेक इट लार्ज. वैसे भी वो ‘मेगा म्यूज़िक’ का विज्ञापन है. ये ‘मेगा म्यूज़िक’ क्या होता है, पता नहीं. पर ये पता है कि ये शराब नहीं होती.
और हां. अगर मेक इट लार्ज करना ही है, तो बता देते हैं कि मानवों द्वारा बनाई गई सबसे महंगी बिल्डिंग, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन है. आउट ऑफ़ दी वर्ल्ड. शब्दशः ये ‘है ही नहीं इस दुनिया की.’ पृथ्वी की अंदरूनी कक्षा में स्थित है. और इसका कुल मूल्य? 150 बिलियन अमेरिकन डॉलर. मतलब इस अमाउंट का अनुवाद ‘बुर्ज़ ख़लीफ़ा’ में करो तो, कुल 10 बुर्ज़ ख़लीफ़ा.
वैसे गाना क्या होता फिर:
मुंडया थकता नहीं कर-कर के, तेरियां इमेजिनेशन, जी करदा दिला दूं तैनूं इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन. ओ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन…
ये स्टोरी हल्के-फुल्के ढंग से लिखी गई है, जिसमें ढेर सारी क्रिएटिव लिबर्टी ले ली गई है. बोले तो इसको एक आंख से पढ़ें और दूसरे से निकाल दें.
बॉलीवुड में अपना जगह बनाना बहुत मुश्किल है. लेकिन फिर भी कई एक्टर्स इंडस्ट्री में अपनी किस्मत आजमाने के लिए आते हैं. बॉलीवुड ने हमें कई बढ़िया और बेहद क्यूट सील्ड आर्टिस्ट दिए हैं. उन्हीं में से एक है अली हाजी, जो सालों से फैन्स का दिल रहे हैं.
अली हाजी ने साल 2006 में अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार स्टारर फिल्म फैमिली से अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था. लेकिन उन्हें पहचान आमिर खान और काजोल स्टारर फिल्म फना से मिली.
फिल्म फना भी 2006 में आई थी. इस फिल्म में अली हाजी ने काजोल और आमिर खान के किरदार जूनी और रेहान के बेटे का किरदार निभाया था. अली के किरदार का नाम भी रेहान था, जो उसकी मां (काजोल) उसे देती है. इस फिल्म के लिए अली हाजी को खूब प्यार मिला और वो फेमस हो गए.
फना के बाद अली हाजी ने सलमान खान और गोविंदा के साथ काम किया था. अली फिल्म पार्टनर में लारा दत्ता के बेटे रोहन बने थे, जो सलमान खान को तंग करता है. इस फिल्म में भी नन्हें अली का अंदाज दर्शकों को खूब पसंद किया गया.
लेकिन अली ने हमेशा से एक एक्टर ही नहीं बल्कि फिल्ममेकर बनने का सपना भी देखा था. अब उन्होंने इस सपने को पूरा कर लिया है. इस बारे में बताते हुए अली हाजी ने एक पोस्ट भी लिखी थी. उन्होंने बताया था कि कैसे वो चाहते थे कि 21 साल का होने से पहले वह एक फिल्मकार बन जाएं.
अली ने अपनी पहली फीचर फिल्म के सेट्स की फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘मैंने 10 साल की उम्र में फैसला किया था कि मैं 21 साल का होने से पहले अपनी पहली फीचर फिल्म बनाऊंगा. अब कड़ी मेहनत, लोगों के सपोर्ट और टीम की मदद से मैंने अपनी पहली फीचर फिल्म बना ली है.’
इसके अलावा अली हाजी म्यूजिक वीडियोज की शूटिंग भी कर रहे हैं. उन्होंने एक पोस्ट के जरिए इस बारे में भी बताया था. फिल्मों में एक्टिंग की बात करें तो उन्हें पिछली बार ऋतिक रोशन की फिल्म सुपर 30 में देखा गया था. इसके अलावा उन्होंने शाहिद कपूर संग पाठशाला, टा रा रम पम और द्रोणा जैसी फिल्मों में भी काम किया है.
मिर्जापुर 2 में अपनी एक्टिंग से फैंस को प्रभावित करने वाली एक्ट्रेस ईशा तलवार पिछले कई सालों से साउथ इंडस्ट्री में सक्रिय हैं. इस लोकप्रिय वेबसीरीज में यूपी की सीएम और मुन्ना त्रिपाठी की पत्नी का रोल करने वाली ईशा का बैकग्राउंड भी फिल्मी रहा है और उनके पिता विनोद तलवार भी एक्टर रह चुके हैं.
ईशा तलवार का जन्म मुंबई में ही हुआ है और वे टेरेंस लुईस डांस स्कूल से कई डांस फॉर्म्स सीख चुकी हैं जिनमें जैज, हिपहॉप, साल्सा शामिल है. ईशा इसके अलावा चालीस से अधिक विज्ञापनों में नजर आ चुकी हैं. ईशा तलवार ने साउथ इंडस्ट्री से अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने साल 2012 में मलयालम फिल्म से डेब्यू किया था. इस फिल्म के लिए उन्होंने वॉइस ट्रेनिंग क्लास और लैंग्वैज क्लास ली थी.
ईशा की ये फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई. ईशा ने इसके बाद कुछ सालों तक साउथ इंडस्ट्री में ही काम किया और उन्होंने इस इंडस्ट्री में काफी लोकप्रियता हासिल की. इसके बाद वे साल 2017 में फिल्म ट्यूबलाइट में भी कुछ देर के लिए नजर आईं लेकिन उन्होंने साल 2018 में सैफ अली खान की फिल्म कालाकांडी से सही मायनों में अपना बॉलीवुड डेब्यू किया था.
फरहान के साथ भी फिल्म कर रही हैं ईशा
इसके बाद से ईशा आयुष्मान खुराना की फिल्म आर्टिकल 15, संजय मिश्रा की फिल्म कामयाब और हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म गिन्नी वेड्स सनी में विक्रांत मैसी और यामी गौतम के साथ भी दिखी थीं. ईशा ने हालांकि मिर्जापुर 2 में अपनी एक्टिंग से सभी को प्रभावित किया है. उनकी अपकमिंग फिल्मों में राकेश ओमप्रकाश मेहरा की तूफान शामिल है. इस फिल्म में ईशा के साथ फरहान अख्तर और मृणाल ठाकुर भी काम कर रहे हैं.
दीया मिर्ज़ा और सोनू सूद जल्द ही एकसाथ एक शो में नज़र आने वाले हैं. इस शो के दोनों को-होस्ट होंगे. शो का नाम ‘भारत के महावीर’ है, जो COVID-19 महामारी के दौरान देश के लोगों के लिए निस्वार्थ काम करने वाले हीरोज़ की कहानी पर बेस्ड होगा. ये सीरीज़ संयुक्त राष्ट्र में भारत और NITI Aayog और डिस्कवरी चैनल की साझेदारी में बन रही है. तीन पार्ट की इस सीरीज़ में महामारी की 12 कहानियां दिखाई जाएंगी, जिसने महामारी के बीच ‘ताक़त और एकजुटता’ की मिसाल पेश की है.
NDTV के अनुसार, दीया मिर्ज़ा, जो संयुक्त राष्ट्र महासचिव के SDG की वक़ील हैं इन्होंने कहा,
भारत के लोगों ने दुनिया को दिखाया है कि लोगों की एकजुट शक्ति से किसी भी मुश्क़िल और परेशानी को दूर किया जाता है. अपने हित के बजाय, हमने महामारी के दौरान एकजुटता को देखा है. लोग अपने कामों के माध्यम से प्यार, करुणा और सकारात्मकता फैलाने के लिए एकजुट हो रहे हैं. मुझे इस पहल का हिस्सा बनने पर बहुत गर्व है.
COVID-19 में ज़रूरतमंदों का मसीहा बनकर उभरे सोनू सूद ने कहा,
महामारी का वक़्त सभी के लिए बहुत दर्दनाक रहा है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम एक-दूसरे के लिए खड़े न हों. भगवान की ही कृपा थी, जो मैं लोगों की मदद कर पाया और मैंने अपने छोटे-छोटे प्रयासों से मदद की. मगर जिन हीरोज़ की कहानी इस शो में कही गई है उनके पास बहुत ही सीमित साधन थे फिर भी इन्होंने लोगों की मदद की. भारत के महावीर के माध्यम से दुनिया इन नायकों के बारे में अधिक जान पाएगी.
NITI Aayog के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा,
सीरीज़ का उद्देश्य उन लोगों पर प्रकाश डालना है, जिन्होंने भारी चुनौतियों के बावजूद दूसरों की मदद के लिए कदम बढ़ाया. इस वैश्विक संकट के दौरान, हमने देश भर में व्यक्तियों की अनगिनत कहानियां देखी हैं, जिन्होंने अपनी सीमाओं से आगे निकलकर लोगों की मदद और कर्तव्य को निभाया.
‘भारत के महावीर’ सीरीज़ डिस्कवरी चैनल और डिस्कवरी प्लस पर नवंबर में टेलीकास्ट होगी.