भान सिंह जस्सी से जो स्लम में रहने वाले 1000 बच्चों को दिला रहे एजुकेशन

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पंजाब के संगरूर जिले के परोपकारी व्यक्ति भान सिंह जस्सी ऐसे ही एक इंसान हैं, जो पिछले पंद्रह सालों से गरीबों और समाज के उपेक्षितों को शिक्षित करने की हर कोशिश कर रहे हैं।

 

शिक्षित समाज के बगैर यह देश तरक्की नहीं कर सकता, लेकिन फिर भी देश की एक बड़ी आबादी शिक्षा से वंचित है। खासतौर पर स्लम इलाकों में रहने वाले लोग पढ़ाई की अहमियत नहीं समझ पाते और इस वजह से उनके बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं। पंजाब के संगरूर जिले के परोपकारी व्यक्ति भान सिंह जस्सी ऐसे ही एक इंसान हैं दो पिछले पंद्रह सालों से गरीबों और समाज के उपेक्षितों को शिक्षित करने की हर कोशिश कर रहे हैं।

भान सिंह जस्सी ने गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए 6 स्कूल चलाते हैं, जिनमें 20 अध्यापक पढ़ते हैं। ये स्कूल शेरपुर, बरनाला, लोंगेवाला, संगरूर, धुरी और पटियाला में हैं। खास बात ये है कि भानसिंह सरकार से किसी भी तरह की मदद नहीं लेते हैं। वे गुरूनानक देव चैरिटेबल स्लम सोसाइटी के नाम से एक एनजीओ भी चलाते हैं जो गुरू नानक की शिक्षा देने के साथ ही गरीब बच्चों के भविष्य को संवारने का काम करता है। बच्चों को कॉपी किताबें देने से लेकर टीचर की तनख्वाह तक की व्यवस्था भान सिंह ही कररते हैं।

 

 

इस प्रयास की शुरुआत 2003 में हुई थी। भान सिंह बताते हैं कि उन्होंने संगरूर में ही देखा कि बच्चे नंगे पांव स्कूल जा रहे हैं, उनके पास पर्याप्त कपड़े नहीं हैं। अधिकतर बच्चे स्कूल जाने के बजाय इधर-उधर के क्रियाकलाप में लगे हुए हैं। द स्टेट्समैन अखबार से बात करते हुए भान सिंह कहते हैं, ‘इतनी बुरी हालत में बच्चों को देखकर मुझसे रहा नहीं गया। एक दिन मैं उन बच्चों की बस्ती में गया और वहां रहने वाले लोगों से कहा कि वे अपने बच्चों को स्कूल क्यों नहीं भेजते हैं। इस पर उन लोगों का कहना था कि पढ़ाई-लिखाई उनके भाग्य की बात नहीं है। उनकी किस्मत में को कूड़ा बीनना ही लिखा है।’

 

भान सिंह इन सब बच्चों के लिए कुछ करना चाहते थे इसलिए उन्होंनें उन सभी बच्चों का दाखिला नजदीकी स्कूल में कराया और उनकी पढ़ाई का सारा खर्च भी खुद ही वहन किया। इस समय उस स्टडी सेंटर में लगभग 125 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने अपने इस काम को और भी विस्तार दिया और दूसरे इलाकों में भी ऐसे ही प्रयास किए गए। इस वक्त इस संगठन के जरिए 1,000 बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी निभाई जा रही है। लोग भान सिंह को काफी कुछ पढ़ने-लिखने की चीजें दान कर देते हैं जिससे कि वे इस काम को अच्छी तरीके से चला सकें। बच्चे भी पढ़ाई में अच्छा कर रहे हैं जिससे भान सिंह को भी काम करने का हौसला मिल रहा है।

 

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