2009 में इम्तियाज़ अली ने एक फिल्म बनाई थी ‘लव आज कल’. 2020 में दूसरी ‘लव आज कल’ लेकर आए हैं. लेकिन नाम में ये बताने का जहमत नहीं उठाया कि ये दूसरी ‘लव आज कल’ है. इम्तियाज़ का ये भी मानना है कि अगर वो इस सीरीज़ को कभी आगे बढ़ाते भी हैं, तो उसका नाम ‘लव आज कल’ ही होगा. क्योंकि उनकी वो फिल्म उस दौर में घटने वाले प्रेम की बात करेगी. अब जब शेक्सपियर की ‘What’s in a name?’ यानी नाम में क्या रखा है को ‘अनकोट’ कर ही दिया है, तो इस फिल्म के नाम से जुड़ी एक और बात जान ही लेते हैं. ये वाली ‘लव आज कल’ भी आज और बीते हुए कल में हुए लव की बात करती है. ओरिजिनल/पहली फिल्म की ही तरह.
कहानी
‘लव आज कल’ की कहानी दो कपल्स के बारे में बारे है. आज के टाइम में ज़ोई और वीर. दिल्ली में. और 90 के दशक में उदयपुर में रघु और लीना. इन दोनों जोड़ों की लव स्टोरी कभी बाहरी, तो कभी भीतरी वजहों से खटाई में पड़ती रहती है. दुनिया, दिमाग और करियर इनके प्रेम कहानी पर ब्रेक मारती रहती है. और फाइनली इसमें से एक लव स्टोरी अधूरी ही रह जाती है. जब मैंने ‘रॉकस्टार’ देखी थी, उसके ठीक बाद कहीं से मेरे सोशल मीडिया टाइमलाइन पर ‘सिंपल प्लॉट. कॉम्लेक्स कैरेक्टर्स’ लिखी हुई टाइप की एक चीज़ दिखी. मैंने उसका स्क्रीनशॉट निकाला और अपने डेस्क पर लगा लिया. घेर-घार के जैसे-तैसे निकलने वाली लाइफ इतनी जल्दी अपना घेरा पूरा करके वहीं लौट आएगी, ये तो मैंने कतई नहीं सोचा था. और शायद इम्तियाज़ ने भी नहीं. इस फिल्म के किरदार हर समय इमोशनली चार्ज्ड रहते हैं. हमेशा भारी-भरकम बातें ही करते हैं. बस उन्हें देखकर आपको ये नहीं लगता कि वो वाकई ये फील कर रहे हैं. बस यहीं ये फिल्म मैच हार जाती है.
परफॉरमेंस
और इसके ज़िम्मेदार हैं फिल्म के एक्टर्स और खुद इम्तियाज़ अली. कार्तिक ने डबल रोल किया है. 90 के दशक में स्कूलबॉय रघु वाला हिस्सा अगर छोड़ भी दें, तब भी कार्तिक फिल्म को हल्का और कम विश्वास करने लायक बनाते हैं. क्योंकि वीर वाले टाइम में उनकी इंटेंसिटी फर्जी लगती है. उन्होंने बहुत कोशिश की है लेकिन उस कोशिश का दिखाई देना, उनके खिलाफ चला गया. दूसरी तरफ हैं सारा अली खान. उनकी वजह से खिंचती हुई फिल्म चलने लायक बन पाती है. मुंहफट और मॉडर्न लेकिन कंफ्यूज़्ड. क्योंकि एक तरफ वो करियर की बात करती है और दूसरी तरफ प्रेम की. प्यार को हमेशा अपनी सेकंड प्रायोरिटी मानने वाली लड़की उसकी वजह से अपने करियर के साथ कॉम्प्रोमाइज़ कर लेती है. आरुषी शर्मा बहुत सिंपल लगती हैं और मजबूत भी. अगर उनसे स्टॉकिंग को रोमैंटिसाइज़ नहीं करवाया गया होता, तो मामला थोड़ा और बेहतर होता. अब आते हैं फिल्म की सबसे बड़ी कास्टिंग गूफ अप पर. फिल्म में रणदीप हुड्डा ने राज/रघु नाम के एक जीवन देख चुके अनुभवी आदमी का रोल किया है. और फिल्म में उनकी हालत ये है कि उनका रोल भी कार्तिक आर्यन ही कर रहे हैं. खैर, वो जितने भी सीन में हैं, वो फिल्म का बेस्ट एक्टिंग वाला चंक है. खासकर क्लाइमैक्स में, जब वो अपनी लव स्टोरी का क्लाइमैक्स बता रहे होते हैं.
डायलॉग्स
इम्तियाज़ की फिल्में हम क्यों देखने जाते हैं. क्योंकि हमें लगता है कि कोई आदमी है, जो थोड़ा-बहुत इंसानों को समझता है. क्योंकि उन्होंने अपनी फिल्मों में बहुत सारी बातें कही हैं, जिससे सुनने या देखने वाला कनेक्ट कर पाता है. ‘लव आज कल’ से ये वाली चीज़ ही गायब है. आप रुमी और कबीर को कोट करिए लेकिन उनकी भाषा में बात मत करिए. आपकी लाइनें इतनी भारी हैं कि एक्टर ही उसके नीचे दबा हुआ फील कर रहा है. 10 साल में प्यार इतना बदल गया कि उसे दिखाने के लिए पिक्चर बनानी पड़ी. कुछ बदलाव तो भाषा में भी आया ही होगा.
म्यूज़िक
अगर आप एक बार को भूलने की कोशिश करते हैं कि ‘लव आज कल’ का 2009 में आई किसी फिल्म से कोई लेना-देना नहीं है. आपको ये फिल्म ही बार-बार याद दिलाती रहती है कि इसका हमारे साथ कुछ पुराना है. यहां इसकी नीयत पर शक होने लगता है. इसका उदाहरण हैं फिल्म के गाने, जो दिखने को तो चार हैं लेकिन ‘शायद’ एक मात्र ऐसा गाना है, जो ओरिजिनल है और अच्छा लगता है. हालांकि उसके लिरिक्स यूनिवर्सल न होकर सिर्फ फिल्म के लिए हैं. ‘ये दूरियां’ और ‘ट्विस्ट’ पिछली फिल्म में भी थे, यहां भी हैं. नया क्या है? बीट्स. और थोड़े से एक्ट्रा लिरिक्स. जो अच्छे लगते हैं. खासकर ‘हां मैं गलत’ वाली बात. बैकग्राउंड में भी यही बजते हैं. मतलब फिल्म के म्यूज़िक के बारे में सिर्फ यही कहा जा सकता है कि ‘नादान परिंदे’ इम्तियाज़, ‘फिर से उड़’ नहीं पाए हैं.
अच्छी बातें
फिल्म की सबसे अच्छी बात है कि ये अच्छी दिखती है. फुल चकाचक. आधी से ज़्यादा फिल्म एक कैफे में निकलती है और बाकी खत्म होने के इंतज़ार में. लेकिन इस दौरान कुछ चीज़ें ऐसी भी रहती हैं, जो आपका ध्यान खींचती हैं. जैसे फिल्म में सारा अली खान का एक सीक्वेंस है, जब वो एक इंटरव्यू अपनी शर्ट का एक बटन खोलकर जाती हैं और उसे डिफेंड कर ले जाती हैं. वो कहती हैं-
”शर्ट का बटन खोलना मुझे अट्रैक्टिव लगता है. और जब मैं अट्रैक्टिव लगती हूं, तो कॉन्फिडेंट फील करती हूं.”
फेयर एनफ. ये वाली चीज़ सुनकर थोड़ी लॉजिकल लगती है. रोहित शेट्टी कार से खेलते हैं और इम्तियाज़ प्यार से. इसलिए इनकी फिल्मों में लॉजिक ढूंढना पड़ता है. ये लोग रखते नहीं हैं.
बुरी बातें
फिल्म में आज से ज़्यादा इंट्रेस्टिंग 90 के दशक वाली लव स्टोरी है. उसके बारे में आप थोड़ा और जानना चाहते हैं. लेकिन फिल्म को मिलेनियल्स की कहानी में ज़्यादा इंट्रेस्ट है. इसलिए फोकस भी वहीं. बहुत सारी दिक्कत वाली बातें भी हैं, जिन्हें प्यार कहकर साइड कर देना खतरनाक है. इसमें स्टॉकिंग एक बड़ी समस्या है, जो फिल्म में दोनों ही दौर के नायक करते हैं. फिल्म फिलॉसफी वाले लेवल को बहुत ऊपर लेकर जाना चाहती है. लेकिन फिल्म और उसके किरदारों के बीच सामंजस्य की भारी कमी है. आप फिल्म के साथ कनेक्ट नहीं फील करते क्योंकि ये बहुत कॉम्प्लिकेटेड है. बेसिकली ये ‘रॉकस्टार’ और ‘तमाशा’ की मिक्सचर है, जिसे ‘लव आज कल’ वाले फॉर्मैट में बनाया गया है. लेकिन उन फिल्मों के पास परफॉरमेंसेज़ थीं, जिन्हें आप बार-बार देख सकते हैं. मच्योरिटी और डेप्थ की सही मात्रा थी. यहां नहीं है.
”जो तुम न हो, रहेंगे हम नहीं. जो तुम न हो, तो हम भी हम नहीं.”.
‘शायद’ गाने की ये लाइनें दो फिल्मों के मिक्सचर वाली बात की तस्दीक कायदे से करती हैं. इस एक लाइन में ही जॉर्डन और वेद दोनों को समेट लिया गया है. लेकिन पिक्चर नई है!
ओवरऑल एक्सपीरियंस
ये फिल्म अच्छे नोट पर शुरू होती है. और उसी स्टाइल में बढ़ती चली जाती है. ये चीज़ आगे दिक्कत का सबब बन जाती है. हालांकि आपको इसमें इम्तियाज़ का रेगुलर फ्लेवर भी मिलेगा. जैसे सही-गलत, अच्छा-बुरा जैसी चीज़ें दुनियावी हैं. वो अंदर से आने वाला कनेक्शन. प्रेम के सहारे खुद को ढूंढना. एक-दूसरे को कंप्लीट करना. और वो बने रहना, जो हैं. बस इसमें फील की थोड़ी सी कमी रह गई. अब जो फिल्म खुद ही इन कॉन्सेप्ट्स को ही तज कर बैठी है, उसके बारे में आप वही बात कैसे कर सकते हैं. फिल्म के बारे में जो चीज़ थी, वो आपको बता दी गई है. बाकी अपने विवेक और इम्तियाज़ प्रेम के हिसाब से सोच-समझकर फैसला लें.
दुनिया में कम ही लोग कुछ मज़ेदार पढ़ने के शौक़ीन हैं। आप भी पढ़ें। हमारे Facebook Page को Like करें – www.facebook.com/iamfeedy