जानिए कोरोना के समय पीएफ पर कितना प्रतिशत ब्याज मिलने वाला है

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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ वित्त वर्ष 2019-20 के लिए EPF पर 8.5 फीसदी ब्याज देगा. ईपीएफओ बोर्ड ने मार्च में ही 2019-20 के लिए 8.5 प्रतिशत ब्याज देने का फैसला लिया था. बुधवार, 9 सितंबर को संगठन ने ग्राहकों के खाते में पिछले वित्त वर्ष के लिए 8.15 फीसदी ब्याज देने का फैसला किया. बाकी 0.35 फीसदी ब्याज दिसंबर के महीने में मिलेगा. इसका असर छह करोड़ करोड़ लोगों पर पड़ेगा. मार्च में EPFO ने कमाई का जो अनुमान लगाया था, कोरोना वायरस की वजह से उस पर असर पड़ा है.

एक साल पहले यानी वित्त वर्ष 2018-19 की बात करें, तो EPF पर 8.65 फीसदी ब्याज मिला था. वित्त वर्ष 2017-18 में भी 8.55, जबकि 2016-17 में 8.65 फीसदी ब्याज मिला था.

करोना के समय इस साल अप्रैल से अगस्त तक ईपीएफओ ने 94.41 लाख क्लेम सेटल किए. 35,445 करोड़ रुपए का भुगतान किया. कोरोना और लॉकडाउन के दौरान अपने सदस्यों को कैश संकट से बचाने के लिए सेटलमेंट का फास्ट ट्रैक तरीका अपनाया.


क्या होता है ईपीएफओ?

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ साल 1951 में बना. कर्मचारियों के लिए. इसके ऑफिस में ऐसी सभी कंपनियों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है, जहां 20 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. हर कंपनी के लिए ये ज़रूरी होता है कि वो कर्मचारियों का एक पीएफ खाता खुलवाए. और फिर उसमें कुछ पैसा जमा कराए. इसका मकसद निजी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को एक सामाजिक सुरक्षा देना है. मतलब ये कि इस पैसे से कर्मचारियों के भविष्य की जरूरतों के लिए कुछ पैसों की बचत हो जाती है.

 

कैसे जमा होता है पैसा?

किसी भी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी का हर महीने कुछ पैसा काटा जाता है. ये बेसिक सैलरी का 12 फीसदी होता है. इसमें इतना ही योगदान यानी 12 फीसदी पैसा कंपनी की तरफ से दिया जाता है. कर्मचारी के हिस्से की 12 फीसदी रकम उसके ईपीएफ खाते में जमा हो जाती है. जबकि कंपनी के हिस्से में से केवल 3.67 फीसदी ही कर्मचारी के ईपीएफ खाते में जमा होता है. बाकी 8.33 परसेंट रकम कर्मचारी पेंशन योजना यानी ईपीएस में जमा हो जाती है. कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी में से 12 फीसदी से ज्यादा रकम भी कटा सकता है. इस पर भी टैक्स छूट मिलती है. मगर कंपनी केवल 12 फीसदी का ही योगदान करती है. ईपीएफ में बैंक की तरह नामांकन की भी सहूलियत होती है. कर्मचारी के साथ कैजुअल्टी की दशा में नॉमिनी को सारा पैसा मिल जाता है.

 

कितनी पेंशन मिलती है?

जैसा पहले बताया कि कंपनी के हिस्से की 8.33 फीसदी रकम पेंशन स्कीम में जाती है. कर्मचारी को 58 साल के उम्र के बाद पेंशन मिलती है. इसके लिए 10 साल नौकरी ज़रूरी है. पेंशन 1000 रुपए से 3250 रुपए महीने तक हो सकती है. ये पेंशन खाताधारक को आजीवन मिलती है.

 

एडवांस पैसा निकालने का क्या तरीका है?

पीएफ खाते से पैसा निकाला भी जा सकता है. कर्मचारी खुद की या परिवार में किसी की बीमारी पर सैलरी का छह गुना पैसा निकाल सकते हैं. कर्मचारी अपनी शादी में या परिवार में किसी की शादी या पढ़ाई के लिए जमा रकम का 50 फीसदी निकाल सकता है. होम लोन चुकाने के लिए सैलरी का 36 गुना पैसा पीएफ से मिल जाता है. घर की मरम्मत के लिए सैलरी का 12 गुना और घर खरीदने के लिए भी पैसा निकाल सकते हैं.




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