Top 10 Most Dangerous Road Of India
आरंभ से ही सड़क मार्ग को यात्रा-परिवहन के लिए सबसे सुगम माना जाता हैं. दुनियां में बहुत सारे ऐसे जगह हैं. जहां आप ना तो हवाई-जहाज़ से ना ही शिप से पहुंच सकते हैं, लेकिन आप वहां सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं. सड़क-मार्ग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसपर मौसम व भगौलिक स्थिति का ज्यादा असर नहीं पड़ता हैं. लेकिन दुनियां में कुछ सड़कें ऐसे है, जिन्हें “नर्क का रास्ता” कहा जाता हैं. उनमें से कुछ सड़कें भारत में भी मौजूद हैं. निचे हम आपको बता रहे हैं, भारत के 10 सबसे खतरनाक सड़कों के बारे में.
1. पतरातू घाटी के खतरनाक रास्ते :
भारतीय राज्य झारखंड में यूं तो पहाड़ी पर बहुत सारे घुमावदार रास्ते मिल जाएंगे लेकिन रामगढ़ से रांची के बीच की 35 किलोमीटर लंबी पतरातू घाटी का घुमावदार मोड़ जानलेवा है। हरे-भरे पेड़ों से घिरी घाटी की इस सड़क से नीचे उतरते हुए दो दर्जन से ज्यादा खतरनाक, घुमावदार मोड़ आते हैं। इस घाटी रास्ते में हरियाली के लिए लगाए गए लगभग 39 हजार पेड़ हैं।
इन घुमावदार रास्ते के एक किनारे पर हरे भरे वृक्ष और पहाड़ी है तो दूसरी किनारे पर गहरी खाई, इसकी वजह से यहां हमेशा बहुत सुरक्षित ड्राइविंग करनी पड़ती है। यहां एक भी चूक भारी पड़ सकती है। यह रोड पिठोरिया होते हुए पतरातू डैम साइट तक जाती है। घाटी के रास्ते में बरसाती नदियां और कुछ मौसमी झरने भी पड़ते हैं। बरसात में पूरी घाटी हरियाली की चादर में लिपटी है।
2. गंगटोक-नाथुला रोड :
नाथुला दर्रा भारत के सिक्किम में डोगेक्या श्रेणी में स्थित है। यह दर्रा हिमालय के अंतर्गत पड़ता है। नाथूला दर्रा भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है। यह 14 हजार 200 फीट की ऊंचाई पर है। इसी रास्ते से होकर कैलाश मानसरोवर जाया जा सकता है। हाल ही में चीन ने इसका रास्ता खोल दिया है। यह दर्रा प्राचीन रेशम मार्ग (सिल्क रूट) का भी एक हिस्सा है।
यह दर्रा गंगटोक के पूर्व की ओर 54 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। गंगटोक से नाथुला दर्रा तक जो रोड जाती है वह विश्व की खतरनाक सड़कों में से एक है। नाथूला दर्रे से निकटतम रेलवे स्टेशन ‘न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन’ है। गंगटोक भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित सिक्किम की राजधानी है। गंगटोक देश के प्रमुख महत्त्वपूर्ण हिल स्टेशनों में एक है।
3. मसूरी रोड :
देहरादून से मसूरी तक का रास्ता ऊंची ऊंची पहाड़ियों से होकर गुजरता है। लगभग 333 किलोमीटर का यह खतरनाक रास्ता हरे भरे वृक्षों से लदा हुआ है। रोमांच की चाह रखने वालों के लिए यह बहुत ही शानदार सफर है। यदि आप पुणे की पहाड़ियों से होकर मसूरी पहुंचते हैं तो रास्ते का रोमांच आप जिंदगी भर याद रखेंगे।
धनोल्टी से मसूरी का सफर भी बहुत ही खतरनाक और रोमांच भरा है। यहां के घाट और रास्ते में पड़ने वालों गांवों की सकरी गलियों में सफर करना बहुत ही सुखदायक है। घने वृक्षों, बर्फ की पहाड़ी और जंगलों से भरे इस रास्ते के अनुभव यादगार रहेंगे। पहाड़ों पर विहंगम दृश्यों को देखकर आप उसे कभी नहीं भूल पाएंगे। देवभूमि उत्तराखंड तो वैसे ही प्राकृतिक संपदा से भरपूर है, लेकिन यहां के रास्ते बहुत ही खतरों से भरें हुए हैं।
4. रोहतांग दर्रा
रोहतांग दर्रा समुद्री तल से 4111 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हैं. उत्तर में मनाली, दक्षिण में कुल्लू शहर से ५१ किलोमीटर दूर यह स्थान मनाली-लेह के मुख्यमार्ग में पड़ता है। इसे लाहोल और स्पीति जिलों का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। पूरा वर्ष यहां बर्फ की चादर बिछी रहती है। इस सड़क पर अक्सर ट्रैफिक जाम रहती हैं. यह सड़क मई से नवंबर तक आम तौर पर खुला है।
5. किलाड़-किश्तवाड़ रोड :
भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर में स्थित किलाड़ से किश्तवाड़ के बीच की सड़क दुनिया की सबसे खतरनाक सड़कों से एक है। यहां कार से जाने का मतलब सीधे-सीधे आत्महत्या करने जैसा है। हिमाचल और जम्मू एवं कश्मीर में स्थित पांगी घाटी में स्थित है यह घाटी मार्ग।
जम्मू क्षेत्र से कश्मीर जाने के लिए तीन रास्ते हैं- पहला जम्मू-श्रीनगर हाईवे, दूसरा है मुगल रोड और तीसरा है किश्तवाड-अनन्तनाग मार्ग। बटोड से डोडा-किश्तवाड 110 किलोमीटर है। पुलडोडा से किश्तवाड लगभग 55 किलोमीटर है। श्रीनगर के रास्ते में सिंथन टॉप दर्रा पडता है जो लगभग 3800 मीटर ऊंचा है। सिंथन टॉप रोहतांग का ‘सहोदर’ है। दोनों ही दर्रे पीर पंजाल की श्रंखला में स्थित हैं। किश्तवाड से आगे चेनाब के साथ-साथ यही सड़क पद्दर, पांगी होते हुए लाहौल भी जाती है।
बाइक से इसका सफर भी मौत के मुंह में जाने जैसा है। यदि बाइक से आप रोड पार कर जाओ तो फिर किसी मंदिर या दर्गा पर जाकर माथा जरूर टेक देना। इसके अलावा उदयपुर-पांगी-किश्तवाड़ सड़क मार्ग भी बेहद ही खतरनाक है। यहां वही व्यक्ति जाए जो खतरों का खिलाड़ी हो।
6. तिरुपति
तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में दर्शनार्थी यहां आते हैं। समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थित तिरुमला की पहाड़ियों पर बना श्री वैंकटेश्वर मंदिर यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है। कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अदभूत उदाहरण हैं। तिरुपति के सड़कें काफी जोखिम भरे है और यहां दुर्घटनाओं का खतरा रहता हैं। यह सड़क काफ़ी ज्यादा घुमावदार, मोड़ एवं खड़ी हैं. जो इसे खतरनाक सड़कों में से एक बनाता हैं.
7. मुन्नार रोड़
मुन्नार रोड़ 130 km का दर्रा हैं, जो कोच्चि को मुन्नार से जोड़ती हैं. मुन्नार केरल का एक हिल स्टेशन हैं. यह समुद्र तल से 1700 मीटर के ऊंचाई पर स्थित हैं. यह सड़क खड़ी, घुमावदार व संकीर्ण हैं. कुछ जगहों पर ऐसी मोड़ है कि सामने कुछ दिखाई नहीं देता हैं. शाम ढलते ही काफ़ी धुंध गिरने लगती हैं अगर आपके वाहन में फाँग लाइट नहीं हो तो आप इस सड़क पर नहीं चल सकते हैं.
8. माउंट आबू
समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माउण्ट आबू राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी नगर है। यह अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर, जैनियों का प्रमुख तीर्थस्थान हैं. माउंट आबू तक पहुंचने के लिए 28 km के दर्रे से जाना पड़ता है जो आबू रोड़ से शुरु होता हैं. यह सड़क कुछ जगहों पर बहुत खतरनाक हो जाती है. जहां एक बार में एक ही वाहन सड़क पर चल सकता हैं.
9. खारदोंग ला दर्रा :
हिमालय का एक प्रमुख दार्रा खारदोंग ला दर्रा है। यहां की सड़क को दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित सड़क माना जाता है। समुद्र तल से 5359 मीटर के ऊंचाई पर स्थित है यह दर्रा। यह भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में पड़ता हैं। यहां की जलवायु काफी ठंड होती हैं और ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां ऑक्सीजन की कमी होती हैं।
खारदोंग ला दर्रा की संकीर्ण सड़क के एक किनारे विशालकाय पहाड़ है तो दूसरी तरफ गहरी खाई है। इस सड़क पर सफर करने के पहले एक बार सोच जरूर लें और अपने वाहन को चेक जरूर कर लें, क्योंकि अक्सर यहां बर्फ जमी रहती है, जिससे वाहन चालकों की गाड़ी फिसलती रहती है।
10. किन्नौर रोड़ :
हिमाचल प्रदेश के प्रमुख जिले किन्नौर पहुंचने के लिए कई तरह के जोखिम उठाने पड़ते हैं। देश के अलग हिस्सों से किन्नौर को जोड़ने के लिए एक सड़क का निर्माण किया गया। इस सड़क को पहाड़ों को काट कर बनाया गया हैं।
यहां की सड़क में बहुत सारे अंधे मोड़ हैं, जिसके कारण आगे कुछ भी नहीं दिखाई देता हैं। यदि आपका ध्यान जरा भी चूका तो आप सीधे नीचे गहरी खाई में जाएंगे। किन्नौर जिला तिब्बत से भी जुड़ा हुआ हैं।
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