बिल गेट्स की ये बात मान लेते, तो कोरोना वायरस से बच जाते

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बिल गेट्स. माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर. फिलेन्थ्रॉपिस्ट. और कभी अमीरों की लिस्ट में टॉप पर रहने वाला नाम. इनके बारे में ज़्यादा नहीं बताएंगे. क्योंकि फिलहाल हमारा फोकस इनकी एक टेड टॉक पर है. आज जब हम कोरोनावायरस आउटब्रेक झेल रहे हैं, तब उनकी ये टॉक सही साबित हो रही है. शायद उन्हें आउटब्रेक से पहले सुन लेना ज़्यादा बेहतर होता. लेकिन अब ये बातें सुनकर आप बिल गेट्स की दूरदर्शिता को सराह सकते हैं. और साथ ही इन्हें अमल में न लाने का मलाल भी पाल सकते हैं.

ये टेड टॉक बिल गेट्स ने 2015 में दी थी. इससे एक साल पहले दुनिया ने इबोला से लड़ाई लड़ी थी. इस टेड टॉक को यूट्यूब और टेड की वेबसाइट पर अंग्रेज़ी में सुना जा सकता है. हिंदी में इसका निचोड़ हम आपको बताएंगे. इस टेड टॉक का टाइटल है – The next outbreak? We are not ready

 

अगला आउटब्रेक? हम तैयार नहीं हैं

गेट्स पुराने और नए खतरों में फर्क करने से शुरुआत करते हैं. ‘पहले न्यूक्लियर वॉर एक बड़ा खतरा हुआ करता था. इसलिए हम अनाज से भरा एक कैन अपने बेसमेंट में रखते थे. ताकि किसी न्यूक्लियर अटैक के दौरान मदद मिल सके. लेकिन अब खतरे की सूरत बदल गई है. अगर कोई चीज़ अगले दशकों में करोड़ों लोगों को मार सकती है, तो वो कोई वायरस होगा, न कि कोई युद्ध. मिसाइल्स नहीं माइक्रोब्स हमारे लिए बहुत बड़ा खतरा हैं. हमने न्यूक्लियर डेटेरेंट्स में भारी निवेश किया है. और महामारी रोकने के लिए बहुत कम. हम अगली महामारी के लिए तैयार नहीं हैं.’

गेट्स ने चेताया कि अगर हम तैयार नहीं हुए तो अगला आउटब्रेक इबोला से भी खतरनाक होगा. इबोला से करीब 10,000 लोगों की मौत हुई, वो भी सिर्फ तीन पश्चिमी अफ्रीकी देशों में. इबोला ज़्यादा क्यों नहीं फैला बिल गेट्स ने इसके तीन कारण बताए –

1. हेल्थ वर्कर्स का हीरोइक काम.
2. वायरस की पृवत्ति. इबोला हवा के ज़रिए नहीं फैलता. और ज़्यादातर लोग जो इससे इन्फेक्ट होते हैं, वो बिस्तर पकड़ने की हद तक बीमार हो जाते हैं. इससे ये ज़्यादा लोगों में नहीं फैलता.
3. ये ज़्यादा शहरी इलाकों में नहीं पहुंच पाया. लेकिन ये सिर्फ किस्मत की बात थी. अगर ये शहरों में पहुंचता, तो आंकड़े कुछ और होते.

आगे उन्होंने कहा –

‘शायद अगली बार किस्मत हमारा साथ न दे. हो सकता है अगली बार इन्फेक्शन वाले लोग स्वस्थ महसूस करें. और कोई फ्लाइट पकड़ लें या किसी बाज़ार चले जाएं.’

ये बातें कोरोना वायरस के केस में कितनी सही साबित हो रही हैं.

1918 में आई स्पेनिश फ्लू का ज़िक्र भी होता है, जिसने 3 करोड़ लोगों की जान ले ली थी.

इसके बाद बिल गेट्स उम्मीद भरते हैं कि ‘ऐसा दोबारा नहीं होने देना है. हम इन चीज़ों को बेहतर कर सकते हैं. हमारे पास साइंस और टेक्नॉलजी है. सेल फोन्स, सैटेलाइट मैप्स और एडवांस बायॉलजी जैसा कितना कुछ है. बस हमें इन सब चीज़ों को ग्लोबल हेल्थ सिस्टम में फिट करना होगा.’

गेट्स NATO से सीख लेने को कहते हैं. North Atlantic Treaty Organization कई देशों का मिलाजुला मिलिटरी अलाएंस हैं. ‘NATO की कुछ फुल-टाइम और कुछ रिज़र्व्ड फोर्स होती है. उनका एक मोबाइल यूनिट होता है जिसे कहीं भी फटाक से भेजा जा सकता है. उनकी वॉर गेम्स के ज़रिए ट्रेनिंग होती है. फ्यूल, लॉजिस्टिक्स और रेडियो फ्रीक्वेंसी. सारी तैयारियां होती हैं. महामारी से निबटने के लिए ऐसी ही तैयारी करनी होगी.’

 

क्या तैयारियां करनी थीं?

इसके बाद बिल गेट्स अगली महामारी से निबटने के लिए ज़रूरी चीज़ें बताते हैं. पांच ज़रूरी चीज़ें –

1. कमज़ोर देशों में बेहद मज़बूत हेल्थ सिस्टम्स तैयार होंगे.
2. मेडिकल रिज़र्व कॉर्प्स. बहुत सारे लोग जिनकी अच्छी ट्रेनिंग हो, एक्सपर्टीज़ हो. और जिन्हें तुरंत भेजा जा सके.
3. मेडिकल और मिलिटरी एक्पर्ट्स को साथ जोड़ना होगा. ताकि मिलिटरी इन हेल्थ वर्कर्स को फुर्ती से और सुरक्षित ठिकानों तक पहुंचा सके.
4. जैसे मिलिटरी वालों के लिए वार गेम्स होते हैं. वैसे ही हमें अपनी तैयारी चेक करने के लिए जर्म गेम्स जैसे सिमुलेशन तैयार करने होंगे.
5. वैक्सीन और डायग्नॉस्टिक्स के क्षेत्र में बहुत सारे R&D यानी रीसर्च एंड डेवेलपमेंट की ज़रूरत है.

 

आप सोच रहे होंगे कि ये सब करने में तो बहुत पैसा खर्च होता. इतना पैसा कोई सरकार तैयारी में क्यों खर्च करेगी? इसलिए आखिरी में गेट्स ने बड़े मारके की बात कही – ‘मुझे नहीं पता इसके लिए कितना पैसा लगेगा. लेकिन महामारी से जितना नुकसान होगा, ये पैसा उससे तो काफी कम ही लगेगा.’

जैसा कि हम देख रहे हैं, कोरोना वायरस से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है. और उससे ज़्यादा बुरा ये है कि कितने सारे लोगों ने अपनी जान गंवा दी.

जाते-जाते गेट्स ने उम्मीद भरने की कोशिश की. लेकिन अब वो उम्मीद पछतावे में भी बदल सकती है. गेट्स कहते हैं –
‘ये तैयारियां हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. और डरने की बिलकुल ज़रूरत नहीं है.’

‘इबोला से अगर कोई एक पॉज़िटिव चीज़ निकलकर आती है, तो वो यही है कि इससे हमें अर्ली वार्निंग मिल गई है. ये तैयार होने के लिए एक वेकअप कॉल है. अगर हम अभी शुरू करते हैं, तो हम अगली महामारी रोक सकते हैं. ‘

 

 

इतना तो आप समझ ही गए होंगे कि हमने ऐसी कोई तैयारी नहीं की. दरअसल, हमारा ऐटीट्यूड उन कॉलेज स्टूडेंट्स जैसा ही है, जो एग्ज़ाम की एक रात पहले पढ़ने बैठते हैं. और उन्हें सही ढंग सीखने के लिए कई बार फेल होना पड़ता है. कॉलेज में ऐसा किया जा सकता है, क्योंकि कॉलेज सीखने की जगह होती है. लेकिन असल दुनिया में ऐसे फेलियर्स आपकों घरों में कैद कर सकते हैं. फिलहाल बस यही उम्मीद की जा सकती है कि हम कोविड19 से कुछ सीखेंगे और भविष्य में हमारी तैयारियां दुरुस्त होंगी.




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