कुर्सी पर बैठते वक्त कहीं आप तो नहीं करते ये गलती, जानें क्या है सही तरीका?

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लॉकडाउन खुलने के बाद काफी जगहों पर ऑफिस खुल चुके हैं और कर्मचारियों ने ऑफिस जाना भी शुरू कर दिया है. जबकि कुछ लोग अभी भी वर्क फ्रॉम होम में घंटों तक घर कुर्सी पर जमकर काम कर रहे हैं.

ऑफिस में काम करने वाले लोग यह बखूबी जानते होंगे कि एक ही जगह लम्बे समय तक बैठकर काम करने में कितनी दिक्कत होती है. आप एक ही जगह 8 से 9 घंटे बैठकर बिना हिले एक ही पोजिशन में काम बिल्कुल नहीं कर सकते. लॉकडाउन के बाद ज्यादातर लोगों को घर से ही ऑफिस का काम संभालना पड़ रहा है. ज्यादा देर तक बैठकर काम करने वालों को कुर्सी और उस पर बैठने के तरीके को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए. इस पर ध्यान ना देने के कारण आपकी सेहत को बड़ा नुकसान हो सकता है.

ऑफिस का काम करने के लिए इंसान का कम्फर्टेबल जोन में होना बहुत जरूरी है. इसलिए जल्द ही अपने लिए एक वर्क फ्रेंडली चेयर का इंतजाम कर लीजिए. साधारण कुर्सी पर घंटों तक बैठे रहने से आपको कमर दर्द की समस्या हो सकती है. लंबे वक्त तक बैठकर काम करने के लिए एक कम्फर्टेबल चेयर का होना बहुत जरूरी है. ऐसे काम के लिए हमें लकड़ी या प्लास्टिक की कुर्सी की जगह एर्गोनॉमिक्स या किसी फ्लेक्सिबल चेयर का इस्तेमाल करना चाहिए.

एक फ्लेक्सिबल चेयर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को हल करने के अलावा कर्मचारियों में तनाव से राहत के लिए भी जानी जाता है. आप एक नॉर्मल चेयर की जगह मैश चेयर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.यह चेयर काफी कम्फर्टेबल होती है. इंडो इनोवेशन के सीईओ आशीष अग्रवाल कहते हैं कि एक कम्फर्टेबल चेयर से आपकी बैक को पूरा सपोर्ट मिलता है.

इसके तीन खास हिस्से होते हैं जिन्हें रोलरब्लेड स्टाइल केस्टर, कम्फर्टेबल सीट, वॉटरफॉल सीट कहा जाता है. चेयर की सबसे खास बात ये है कि इसे आप 140 से 150 डिग्री तक आसानी से ओपन कर सकते हैं. चेयर को इस पोजिशन पर करने के बाद आप काफी सुकून महसूस करेंगे. इससे बॉडी को काफी रिलैक्स मिलेगा.

 

क्या है कुर्सी पर बैठने का सही तरीका?

कुर्सी पर बैठते वक्त रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें. दोनों पैरों को हमेशा जमीन पर ही रखें. अक्सर लोग कुर्सी की ऊंचाई बढ़ा देते हैं और पैर हवा में लटका लेते हैं, जो सही नहीं है. हवा में पैर लटकाने से कमर की हड्डी पर दबाव पड़ता है जिससे घुटनों औप पैरों में दर्द शुरू हो जाता है. स्क्रीन को देखने के लिए भी सही एंगल नहीं बन पाता जिससे आंखों पर भी बुरा असर पड़ता है.

 




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