मुंबई में समुद्र का पानी ऐसा नीला हुआ कि लाइट मारने लगा; काहे, जान लीजिए

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हनी सिंह लंबे समय से लाइमलाइट से बाहर हैं, लेकिन उनका एक गाना है, जो अब भी खूब बजता है.

 

आज ब्लू है पानी, पानी पानी पानी पानी पानी…

तो माजरा यह है कि मुंबई के जुहू बीच पर रात में लहरें ऐसी नीली हुईं कि लाइट मारने लगी हैं. ये हनी सिंह का नहीं बल्कि नेचर का कारनामा है. इसे कहते हैं ब्लू टाइड. क्या है यह ब्लू टाइड और कैसे समंदर का पानी रात में फ्लोरेसेंट नीले रंग में चमकता है, आइए जानते हैं.

 

 

हम आज काहे ‘ब्लू पानी’ की बात कर रहे हैं?

असल में दुनिया में प्रकृति के कई तरह के नजारे देखने को मिलते हैं, इनमें से ही एक नजारा है ब्लू टाइड. यह आजकल मुंबई के समुद्र तट पर देखने को मिल रहा है. बुधवार की रात मुंबई के जुहू बीच के अलावा रत्नागिरी के देवगढ़ और वेलास बीच पर भी ऐसी नीली लहरें देखी गईं. इस तरह का ब्लू टाइड मुंबई में पहली बार 2016 में रिपोर्ट हुई थी. सिर्फ मुंबई ही नहीं, भारत के कई और समुद्र तटों पर नवंबर से जनवरी के बीच इन्हें देखा जा सकता है. इंडियन एक्सप्रेस अखबार से बात करते हुए कोस्टल कंजर्वेशन फाउंडेशन के डायरेक्टर शौनक मोदी ने बताया-

ये लगातार होने वाली घटना है, लेकिन शहर के समुद्र तटों पर इन्हें देखना मुश्किल होता है. इसका सबसे बड़ा कारण शहरी समुद्र तटों पर मौजूद प्रकाश प्रदूषण है. इसकी वजह से समंदर के पानी में पैदा हुई नीली चमक देखना मुश्किल हो जाता है.

 

आखिर कहां से आया ये नीला रंग?

समंदर के पानी में यह नीला कारनामा दरअसल पानी में मौजूद कुछ समुद्री खरपतवार की वजह से होता है. ये खरपतवार इतनी महीन होती है कि इसे माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है. इसी वजह से इसे माइक्रोस्कोपिक मरीन प्लान्ट कहते हैं. वैज्ञानिकों ने इसे फाइटोप्लैंक्टॉन नाम दिया है, लेकिन आमतौर पर इन्हें डाइनोफ्लैगिलेटस कहा जाता है. समंदर के पानी में मौजूद ये महीन पौधे प्रोटीन के साथ मिलकर खास तरह की नीली रोशनी निकालते हैं. जब लहरें उठती हैं तो डाइनोफ्लैगिलेटस में भी उथल-पुथल होती है. और नीली रोशनी पानी पर फैल जाती है. यही नजारा समुद्र तटों पर नीली लहरों की तरह दिखाई देता है.

 

क्या सिर्फ भारत में ब्लू टाइड होता है?

भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई समुद्र तटों पर इसे देखा जा सकता है. मालदीव, वियतनाम, इंडोनेशिया, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित बहुत से देशों के तटों पर ऐसी नीली लहरें दिखती है. यह उन जगहों पर ज्यादा देखने को मिलता है, जहां शहरी आबादी कम है और ज्यादा चमक-दमक नहीं है.

 

कहीं ये खतरनाक तो नहीं?

देखने में भले ही यह नजारा खूबसूरत लगे लेकिन यह खतरनाक भी हो सकता है. जिस डाइनोफ्लैगिलेटस की वजह से नीला रंग पैदा होता है, उसकी कुछ प्रजातियां जहरीली होती हैं. यह बहुत तेजी से बढ़ती हैं. इन्हें खाकर या इनके प्रभाव में आकर कई समुद्री जानवरों की मौत भी हो सकती है. इसके अलावा, कई तरह के दूसरे असर जैसे लकवा मार जाना और शरीर के दूसरे अंगों पर भी जहरीली एल्गी का असर हो सकता है.

 

किसी और रंग में भी चमक सकता है समंदर?

ब्लू टाइड की तरह ही दुनिया के कई समंदरों में रेड टाइड भी देखी जाती है. इनमें फर्क इतना होता है कि ये रात में नहीं बल्कि दिन के उजाले में ही समुद्री पानी को लाल कर देते हैं. इसे साइंस की भाषा में एलगाला बूम भी कहते हैं. इस तरह का लाल पानी एक खास एल्गी के जमा होने की वजह से होता है. हालांकि यह लगातार तेज लहरों वाले समुद्र तटों पर नहीं बल्कि ऐसे तटों पर होता है, जहां पानी ठहरा हो. यह भी कई बार समुद्री जीवन के लिए नुकसानदायक साबित होता है.

हालांकि समंदर में ये लहरें कब और कहां दिखेंगी, इसकी भविष्यवाणी करने का कोई सिस्टम अभी नहीं बना है. लेकिन मुंबई में समुद्री जीवन के एक्सपर्ट्स का मानना है कि अभी कई और रात इसी तरह के नजारे देखे जा सकते हैं.




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