रेप विक्टिम से अगर आरोपी शादी कर ले, तो क्या उसे सज़ा में छूट मिल जाती है?

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कई साल पहले एक फिल्म आई थी. राजा की आएगी बारात. हीरोइन थीं रानी मुखर्जी. उनके किरदार माला का रेप हो जाता है. रेपिस्ट को सज़ा होने ही वाली होती है कि माला कोर्ट में भावुक दलील देती हैं कि रेपिस्ट को तो सज़ा मिल जाएगी. लेकिन उसे जो सज़ा मिलेगी, उसका क्या? उसकी तो अब कभी शादी नहीं होगी. फिर क्या. न्याय के नाम पर कोर्ट रेपिस्ट से माला की शादी का फैसला सुना देता है. साथ ही रेपिस्ट को बरी भी कर देता है. इसी से कुछ मिलता जुलता केस पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में आया है. यहां एक नाबालिग का सालभर पहले गैंगरेप हुआ. चार आरोपी थे. इनमें से एक ने ज़मानत के लिए याचिका लगाई. कहा कि उसने विक्टिम के साथ शादी कर ली है. जेल में. कोर्ट ने उसे ज़मानत दे दी. पर बाकी तीन आरोपियों की याचिका खारिज़ कर दी.

कोर्ट ने जमानत इस चेतावनी के साथ दी कि अगर आरोपी ने लड़की को तलाक दिया तो उसकी ज़मानत रद्द हो जाएगी. और अगर आरोपी आने वाले समय में शादी तोड़ेगा तो भी उसके खिलाफ उचित आपराधिक कार्यवाही भी की जाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जब ये घटना हुई थी, तब पीड़िता की उम्र 17 साल पांच महीने थी. आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 306 डी, 506 और पॉक्सो की धारा 6 के तहत केस दर्ज हुआ था. चार में से एक ने दिसंबर, 2019 में जमानत के लिए अप्लाई किया था. और ये बताया था कि उसने पीड़िता से जेल में निकाह कर लिया है. रेप का केस अभी कोर्ट में लंबित है.

पर अब सवाल ये है कि किसी रेप विक्टिम से उसके रेप का आरोपी शादी कर ले, तो उसकी सजा का क्या होता है? यानी शादी के बाद क्या रेप की सजा में कोई बदलाव आएगा, क्या रेप के आरोपी को सजा में रियायत मिलेगी या फिर रेप की सजा से आरोपी को मुक्त कर दिया जाएगा, क्योंकि उसने पीड़िता से शादी कर ली है, इस तरह के तमाम सवालों के लिए हमने हमने सुप्रीम कोर्ट के दो उन वकीलों से बात की, जो इस तरह के मामले हैंडल करते हैं.

सुप्रीम कोर्ट की वकील विजया ने बताया

अगर आरोपी ने रेप विक्टिम से शादी कर ली, तो उससे केस पर कोई असर नहीं होगा. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का भी ये स्टेटमेंट है कि शादी करने से रेप की सज़ा कम या खत्म नहीं हो जाती. अपराध, अपराध ही रहता है. हालांकि अगर रेप के मामले में पीड़िता को ट्रायल के दौरान ही समझा-बुझाकर दूसरा बयान देने को कहा जाए, मतलब उसके पहले बयान में बदलाव कर दिया जाए, जिससे आरोपी को बचाया जा सके, तो इस केस में कोर्ट आरोपी को बरी कर सकता है. 

शादी रेप के बाद हुई. तो ऐसे केस में पीड़िता के ऊपर होता है कि वो अपना बयान बदलना चाहती है या नहीं. और कई दफे तो कोर्ट इन मामलों में पीड़िता की सुरक्षा को देखते हुए भी शादी की हामी भर देता है, पर कुछ शर्तों के साथ.

विजया ने हमें बताया कि कुछ ऐसे मामले भी आते हैं जिनमें आपसी सहमति से संबंध बनाने के बाद लड़का शादी से इनकार कर देता है. ऐसे में लड़की उस पर रेप का आरोप लगा देती है. इस तरह के कई मामलों में केस फाइल करने के बाद लड़का शादी के लिए तैयार हो जाता है, और ट्रायल में लड़की बयान बदल देती है. इससे लड़का बरी हो जाता है.

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वकील केबी उपाध्याय ने बताया

शादी भले आरोपी कर ले, पर अपराध तो रहेगा ही. क्योंकि जब आरोपी ने रेप किया, तब पीड़िता उसकी पत्नी नहीं थी. आरोपी ने बाद में शादी की. और अधिकतर केसों में यही होता है. और सुप्रीम कोर्ट का भी यही कहना है कि अपराध किया, तो किया. हां अगर पीड़िता अपनी बात से मुकर जाए, कोर्ट में ये बोल दे कि उसने किसी दबाव में आकर रेप का आरोप लगाया था, तो धारा 376 कमज़ोर पड़ सकती है. 

ट्रायल कोर्ट आरोपी को बरी कर सकता है. और अगर ट्रायल के बाद पीड़िता मुकरती है, तो आरोपी को केस में सजा होनी ही है, तब कुछ नहीं हो सकता. और शादी करने से केस पर कोई असर नहीं होता है. वो केस चलता रहता है. शादी के बाद अगर बच्चा हो जाता है, तो कोर्ट के ऊपर है कि वह सजा में रियायत देना चाहता है या नहीं. वरना सात से 10 साल की सज़ा होती ही है.

वकीलों का कहना है कि अगर धारा 376 डी है, यानी गैंगरेप किया है. और इसमें एक को ज़मानत मिली, क्योंकि उसने शादी की. पर बाकी अन्य उसी केस के आरोपियों को जमानत नहीं मिली, तो वह सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. हालांकि केस चलता रहेगा.

 




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