प्रत्येक धर्म और संप्रदाय में नवजात शिशु का नामकरण किया जाता है। शिशु जिस धर्म के परिवार के जन्म लेता है, उसके अनुसार ही उसका नाम रखा जाता है। हालांकि नाम रखने की रीति सभी समाजों की अलग-अलग होती है। आइये जानते हैं कि किस धर्म में नाम रखने का क्या रिवाज होता है और नाम रखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिये।
हिंदुओं में होता है नामकरण संस्कार
हिंदू धर्म में इसे नामकरण संस्कार के तौर पर जाना जाता है। हिंदुओं के पुरोहित बच्चे के नाम का पहला अक्षर बताते हैं, जिस आधार पर अभिभावक अपनी पसंद के अनुसार बच्चे का नाम रख सकते हैं। इसके लिए ज्योतिष एवं अंक शास्त्र का अध्ययन करके गणना की जाती है एवं उसके अनुसार प्रथम वर्ण निकाला जाता है।
सिख धर्म में श्लोक के आधार पर
सिख धर्म के ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब के एक श्लोक के अनुसार ही शिशु के नाम का पहला अक्षर तय किया जाता है। इस पहले अक्षर का उपयोग करने के बाद ही संबंधित शिशु के परिजन अपनी पसंद के अनुसार नाम रख सकते हैं।
नाम रखने का यह होता है प्रभाव
समस्त धर्मों में नाम के पहले अक्षर के अनुसार ही पूरा नाम रखा जाता है। मान्यता है कि इसका भी उस बच्चे के पूरे जीवन एवं उसकी प्रकृति पर असर पड़ता है। इसलिए नाम रखते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिये।
अंग्रेजी के शब्दों में दोहराव का ये होता है असर
यदि हम अपने हिंदी नामों को अंग्रेजी में लिखते हैं और उसमें किसी अक्षर का दोहराव होता है तो इसका हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है।
यदि हम सुखबीर को अंग्रेजी में SUKHBEER लिख रहे हैं तो इसमें E अक्षर दो बार आया है। ऐसी मान्यता है कि नाम दोहराने का पाजिटिवी और निगेटिव दोनों प्रभाव पड़ता है।
A,I,J,Q या Y के दोहराव का अर्थ होता है कि जातक निडर प्रवृत्ति का है। B, K, R के दोहराव का अर्थ है कि संबंधित व्यक्ति संवेदनशील है।
C, G, L, S के दोहराव आने पर माना जाता है कि व्यक्ति कलात्मक गुणों से युक्त होगा। D, M, T के दोहराव का अर्थ होता है कि व्यक्ति प्रगतिशील एवं सकारात्मक विचारों का है।
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