परमानेंट लिपस्टिक लगवाने वाली ये तकनीक कौन सी है?

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रितिका की आईब्रोज बहुत हलकी थीं. उसे बार-बार तैयार होते समय पेन्सिल से उन्हें भरना पड़ता था. कभी ऊंच नीच हो जाती, तो कभी लाइन टेढ़ी हो जाती.उसे ये चीज़ बहुत खटकती थी.  ऐसे में एक दिन उसने ये बात अपनी सहेली निधि को बताई. निधि ने उसे एक आइडिया दिया. परमानेंट आईब्रोज़ बनवा लेने का. रितिका के कान खड़े. उसने पूछा,

‘ये क्या बला है?’

फिर निधि ने उसे समझाया, कि परमानेंट मेकअप आजकल बेहद पॉपुलर हो रहा है. इसमें आईब्रोज की शेपिंग करवाना, और लिप कलर करवाने जैसी चीज़ें शामिल हैं. रितिका ने इस पर और सर्च किया, तो उसे कई बातें पता चलीं.

इसे बेहतर समझने के लिए हमने बात की डॉक्टर प्रभा सिंह से. एस्थेटिक फिजिशियन हैं. बोले तो आपकी स्किन का ध्यान कैसे रखना है, उसकी पूरी साइंस इनको मालूम है. 15 साल से प्रैक्टिस कर रही हैं. उनसे हमने पूछे कुछ ज़रूरी सवाल.

 

क्या होता है परमानेंट मेकअप?

इसमें आइब्रो फिल करना, लिप्स पर टैटू से कलर करवाना, तिल बनवाना, आईलाइनर बनवाना जैसी चीज़ें शामिल हैं. आईलाइनर वाला प्रोसीजर चूंकि आंखों के बेहद करीब किया जाता है, और पलकों के ऊपर नाज़ुक एरिया में परमानेंट टैटू बनाया जाता है लाइनर की शेप में, इसलिए ये बहुत ज्यादा पॉपुलर नहीं है.

 

इसके लिए क्या प्रोसीजर इस्तेमाल किया जाता है?

आइब्रो फिल करने का जो पॉपुलर तरीका है आजकल, वो है माइक्रोब्लेडिंग. इसमें बालों के नैचरल रंग से मिलती-जुलती इंक से बालों जैसे पतले स्ट्रोक बनाए जाते हैं. इससे आइब्रो की शेप आ जाती है. इंक दो तरह की इस्तेमाल होती है. ऑर्गनिक और इनऑर्गनिक. ऑर्गनिक वाली इंक में पेड़-पौधों से मिलने वाला रंग इस्तेमाल होता है. इनऑर्गनिक में आयरन या मेटल बेस वाले रंग का इस्तेमाल होता है. लिप वाले ट्रीटमेंट में भी बेसिकली टैटू ही होता है लिप्स के ऊपर. जो रंग क्लाइंट्स पसंद करते हैं, उस रंग से लिप्स को भरा जाता है.

 

कौन लोग ये करवा सकते हैं?

आइब्रो वाला प्रोसीजर उन लोगों के लिए अच्छा रहता है जिनकी उम्र हो गई है, और वो बार बार आइब्रो नहीं बनवा सकते. या फिर जिनकी आइब्रो बेहद हलकी होती है. उनके लिए ये प्रोसीजर फायदेमंद होता है. कम उम्र की लड़कियों को ये प्रोसीजर करवाने से बचना ही चाहिए. वो नैचरली अपने आइब्रो और पलकों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए उपाय कर सकती हैं. इसके लिए बाज़ार में ऑइल और सीरम आते हैं. डॉक्टर आपको सजेस्ट कर सकते हैं.

 

फायदा क्या है इसका?

जिन लोगों की आइब्रो हलकी होती है, उन्हें बार-बार फिल करने की ज़रूरत नहीं पड़ती. कुछ लोगों के लिप्स डार्क होते हैं, उन्हें उनका कलर पसंद नहीं आता, और वो बार-बार लिपस्टिक नहीं लगाना चाहतीं. क्योंकि वो खाते-पीते हुए उतर जाती है. या फिर वो नैचरली अपने लिप्स को एक खास लुक देना चाहती हैं. उनके लिए ये फायदेमंद है. एक प्रोसीजर होता है तिल बनाने का. वो भी लोग करवाते हैं.

 

नुकसान क्या हैं?

टैटू की तरह ही इसमें भी आपके शरीर में बाहरी इंक जाती है. तो एलर्जी या रिएक्शन का खतरा बना रहता है. परमानेंट मेकअप सुनकर कई लोगों को लगता है कि ये जिंदगी भर रहेगा. लेकिन ऐसा नहीं है. टच अप के लिए छह महीने से लेकर साल डेढ़ साल में जाना ही पड़ता है. नहीं तो रंग हल्का पड़ने लगता है. लिप कलर के प्रोसीजर के लिए जब इंक डाली जाती है, तो एक दो दिन सूजन रहती है होठों में. कुछ खा नहीं सकते, लिक्विड ही ले सकते हैं आप.

 

किन्हीं और वजहों से भी ये मेकअप करवाते हैं लोग?

कई बार ऐसा होता है कि लोगों की आइब्रो पर कट लग जाता, तो वहां पर जगह खाली रह जाती है, बाल नहीं आते. ऐसे में लोग वहां माइक्रोब्लेडिंग करवाकर जगह फिल करवा लेते हैं. या फिर चेहरे पर कोई स्पॉट होता है. तो लोग स्किन से कलर से मिलते-जुलते रंग को वहां भरवा लेते हैं.




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