आयुर्वेद में पोस्टग्रेजुएट करने वाले डॉक्टर्स भी जनरल सर्जरी कर सकेंगे. इसमें ऑर्थोपेडिक सर्जरी के साथ आंख, कान, गले और दांतों से जुड़ी सर्जरी शामिल है. सरकार ने इंडियन मेडिकल सेंट्रल काउंसिल (पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेद एजुकेशन) रेग्युलेशन 2016 में संशोधन किया है. इसका मकसद जनरल सर्जरी और आंख, नाक, कान गले से जुड़ी बीमारियों के बारे में पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स के लिए फॉर्मल ट्रेनिंग शुरू करना है.
क्या है नोटिफिकेशन में?
आयुर्वेद के छात्र सर्जरी के बारे में पढ़ाई तो करते थे, लेकिन उनके सर्जरी करने के अधिकारों को सरकार की ओर से स्पष्ट नहीं किया गया था. 19 नवंबर को जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन के मुताबिक, आयुर्वेद के सर्जरी में पीजी करने वाले छात्रों को आंख, नाक, कान, गले के साथ ही जनरल सर्जरी के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा.
पारंपरिक दवाओं की सर्वोच्च नियामक संस्था सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (CCIM) का कहना है,
उसके डॉक्टर पिछले 25 सालों से आयुर्वेद संस्थानों और अस्पतालों में सर्जरी कर रहे हैं. यह नोटिफिकेशन सिर्फ इसकी वैधानिकता के सवालों को स्पष्ट करना है.
CCIM ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा है,
आयुर्वेद के डॉक्टर कुल 58 तरह की सर्जरी करेंगे. उन्हें जनरल सर्जरी (सामान्य चीर-फाड़), ईएनटी (नाक, कान, गला), ऑप्थेलमॉलजी (आंख), ऑर्थो (हड्डी) और डेंटल (दांत) से संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए जरूरी सर्जरी कर पाएंगे.
विशेषज्ञों का क्या कहना है?
केंद्र सरकार के आयुर्वेद के पूर्व सलाहकार डॉ. एस.के. शर्मा ने एक मीडिया हाउस से बातचीत में कहा,
यह पहल मील का पत्थर साबित होगा. इससे देश में कुशल सर्जनों की कमी दूर होगी. देश के दूरदराज इलाकों के मरीजों को भी उच्च स्तर का इलाज मिल सकेगा. आयुर्वेद के विद्यार्थियों को प्रसव, गर्भपात, गर्भाशय की सर्जरी का भी अधिकार दिया जाना चाहिए.
IMA ने विरोध जताया
इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने CCIM के इस फैसले को एकतरफा बताया है. आयुर्वेदिक डॉक्टरों को सर्जरी के अयोग्य बताते हुए कड़ी आलोचना की है. संस्था की तरफ से जारी बयान में कहा गया है,
आईएमए ने लक्ष्मण रेखा खींच रखी है जिसे लांघने पर घातक परिणाम सामने आएंगे. आईएमए काउंसिल को सलाह देता है कि वो प्राचीन ज्ञान के आधार पर सर्जरी का अपना तरीका इजाद करे और उसमें आधुनिक चिकित्सा शास्त्र पर आधारित प्रक्रिया से बिल्कुल दूर रहे.
इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने फैसले को मेडिकल संस्थानों में चोर दरवाजे से एंट्री का प्रयास बताते हुए कहा कि ऐसे में NEET जैसी परीक्षा का कोई महत्व नहीं रह जाएगा. संस्था ने इस नोटिफिकेशन को वापस लेने की मांग की है.
इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने आरोप लगाए हैं कि CCIM की पॉलिसी में छात्रों के लिए मॉर्डन मेडिसिन से जुड़ी किताबें मुहैया कराने को लेकर भेद है. संस्था दोनों सिस्टम को मिलाने की कोशिश का विरोध करेगी.
असोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रघुराम का कहना है,
जनरल सर्जरी आधुनिक मेडिकल साइंस का हिस्सा है. इसे आयुर्वेद के साथ मुख्य धारा में नहीं लाया जा सकता. आयुर्वेद की पढ़ाई में पोस्टग्रेजुएट सिलेबस में इस तरह की ट्रेनिंग मॉड्यूल के जरिए डॉक्टरों को एमएस (आयुर्वेद) की उपाधी देना मरीजों की सुरक्षा के बुनियादी मानकों से खिलवाड़ करने जैसा होगा.
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