1965 की वो जंग में जब एयर मार्शल अर्जन सिंह ने 1 घंटे में तय कर दी थी PAK की हार

0


26 फरवरी को भारतीय वायुसेना की ओर से पाकिस्तान के बालाकोट में किए हमले ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देकर एक बार फिर साबित कर दिखाया कि भारतीय वायु सेना कितनी ताकतवर है. वहीं ऐसा पहली बार नहीं है जब भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया हो. इससे पहले वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह के नेतृत्व में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी.

मार्शल ऑफ इंडियन एयरफोर्स अर्जन सिंह भारतीय एयरफोर्स के इतिहास में पहले प्रमुख थे, जिन्होंने पहली बार देश के किसी युद्ध में वायु सेना का नेतृत्व किया. वो भारत के ऐसे तीसरे अफसर थे जिन्हें राष्ट्रपति भवन में सेना का दुर्लभ सम्मान मिला था. आपको बता दें, 1 अगस्त 1964 को अर्जन सिंह एयर मार्शल की पदवी के साथ चीफ ऑफ एयर स्टाफ बनाए गए थे.

1965 में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ “ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम” को अंजाम दिया था और पाकिस्तानी टैंकों ने अखनूर शहर पर धावा बोल दिया. एयर चीफ अर्जन सिंह की यह सबसे बड़ी चुनौती थी. जिसके बाद उन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया और 1965 में पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई में निर्णायक भूमिका निभाई थी.

 

(ये तस्वीर 1965 की है जिसमें अर्जन सिंह साथी सैनिकों के साथ)

अर्जन सिंह का जन्म पंजाब के लयालपुर में 15 अप्रैल 1919 को हुआ था, जो अब पाकिस्तान के फैसलाबाद के नाम से जाना जाता है. अर्जन सिंह भारतीय वायुसेना के एकमात्र फाइव स्टार रैंक ऑफिसर थे. अर्जन सिंह को जो सर्वोच्‍च सम्‍मान मिला, वो अब तक सेना में केवल 3 अफसरों को ही मिला है. सैम मानेक शा को ये सम्‍मान दिया गया था. उन्‍हीं की तरह केएम करियप्‍पा को भी ये सम्‍मान दिया गया. फिर एयरफोर्स में अर्जन सिंह को ये सम्‍मान मिला. अर्जन सिंह के सम्मान में पश्चिम बंगाल के पानागढ़ एयरबेस को ‘अर्जन सिंह एयरबेस’ का नाम दिया गया है.

 

 

(साथी सैन्य अधिकारियों के साथ मार्शल अर्जन सिंह)

अर्जन सिंह ही केवल ऐसे चीफ ऑफ एयर स्टॉफ थे जिन्होंने एयरफोर्स प्रमुख के तौर पर लगातार पांच साल अपनी सेवाएं दी थी. आपको बता दें, 1950 में भारत के गणराज्य बनने के बाद अर्जन सिंह को ऑपरेशनल ग्रुप का कमांडर बनाया गया. यह ग्रुप भारत में सभी तरह के ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार होता है. वायुसेना के इतिहास में एयर वाइस मार्शल के पद पर सबसे लंबे समय तक सेवा देने का रिकॉर्ड अर्जन सिंह के पास है. 16 सितंबर 2017 में दिल्ली के आर्मी अस्पताल में उनका निधन हो गया था.

 

उड़ाए थे 60 विमान

सर्वोच्च रैंक हासिल करने के बाद भी सेवानिवृत्त होने से ठीक पहले तक अर्जन सिंह विमान उड़ाते रहे और कई दशकों के अपने सैन्य जीवन में उन्होंने 60 तरह के विमान उड़ाए, जिनमें द्वितीय विश्व युद्ध से पहले के तथा बाद में समसामयिक विमानों के साथ-साथ परिवहन विमान भी शामिल हैं.

 

1965 की लड़ाई में पाक की हार

अर्जन सिंह न केवल निडर पायलट थे, बल्कि उन्हें एयर फोर्स की गहरी जानकारी थी. पाकिस्तान के खिलाफ 1965 में हुई लड़ाई में अर्जन सिंह ने भारतीय वायु सेना की कमान संभाली. जहां उनके  नेतृत्व में  पाकिस्तान के भीतर घुसकर भारतीय वायुसेना ने कई एयरफील्ड्स तबाह कर डाले और पाकिस्तानी वायुसेना को जीत हासिल नहीं करने दी, जबकि अमेरिकी सहयोग के कारण पाकिस्तानी वायु सेना बेहतर सुसज्जित थी.

मार्शल अर्जन सिंह ने अराकान अभियान के दौरान 1944 में जापान के खिलाफ एक स्क्वाड्रन का नेतृत्व किया था , इम्फाल अभियान के दौरान हवाई अभियान को अंजाम दिया और बाद में यांगून में अलायड फोर्सेज का काफी सहयोग किया.

 

एक घंटे का वक्त मांगा और पाकिस्तान की हार तय कर दी

पाकिस्तान से 1965 युद्ध में अर्जन सिंह ने बड़ी भूमिका निभाई थी. जब 1965 में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ “ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम” को अंजाम दिया और पाकिस्तानी टैंकों ने अखनूर शहर पर धावा बोल दिया. उस समय अर्जन सिंह ने की भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया था. आपको बता दें, पाकिस्तानी हमले की खबर मिलते ही जब रक्षा मंत्रालय ने सभी सेना प्रमुखों को तलब किया और कुछ मिनटों की इस मुलाकात में अर्जन सिंह से पूछा गया कि वह कितनी जल्दी पाकिस्तान के बढ़ते टैंकों को रोकने के लिए एयर फोर्स का हमला कर सकते हैं.

अर्जन सिंह ने रक्षा मंत्रालय से हमला करने के लिए सिर्फ 1 घंटे का समय मांगा था. वहीं  अर्जन सिंह अपनी बात पर खरे उतरे और अखनूर की तरफ बढ़ रहे पाकिस्तानी टैंक और सेना के खिलाफ पहला हवाई हमला 1 घंटे से भी कम समय में कर दिया. इसके बाद पूरे युद्ध के दौरान अर्जन सिंह ने वायु सेना के नेतृत्व किया जिसके बाद पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी.

 

क्या था ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम

ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम के तहत पाकिस्तानी राष्ट्रपति और जनरल अयूब खान ने जबरन कश्मीर पर कब्जा करने की योजना बनाई. जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान का यह हमला कश्मीर पर कब्जा करने के लिए सक्षम था. लेकिन जनरल अयूब खान ने भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना की क्षमता के बारे में मालूम नहीं था. लिहाजा, हमले के पहले घंटे में ही हुए भारतीय वायुसेना के हमले से पाकिस्तान का पूरा प्लान फेल हो गया. जिसके बाद उनके हाथ कुछ न लगा.




दुनिया में कम ही लोग कुछ मज़ेदार पढ़ने के शौक़ीन हैं। आप भी पढ़ें। हमारे Facebook Page को Like करें – www.facebook.com/iamfeedy

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Contact

CONTACT US


Social Contacts



Newsletter