लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव बरकरार है. इसे कम करने के मकसद से भारत और चीन की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत का छठा दौर 21 सितंबर को मोल्दो में शुरू हुआ. कोर कमांडर स्तर की बातचीत में भारत की तरफ से 14वीं कोर (वाइट नाइट्स) के GOC लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह होते हैं और चीन की तरफ से होते हैं साउथ ज़िनजियांग मिलिटरी रीजन के कमांडर मेजर जनरल लिउ लिन. साथ में इन दोनों की टीमें होती हैं. लेकिन भारत ने इस बार दो नए चेहरों को भी भेजा है. आइए इन दोनों के बारे में जानें और ये भी कि इन्हें ही बैठक में हिस्सा लेने के लिए क्यों चुना गया.
फौजी – लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन
इस बैठक में भारत की तरफ से दो लेफ्टिनेंट जनरल शामिल होंगे. लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह का मुख्यालय तो लेह में ही है. दूसरे अफसर को थोड़ी लंबी यात्रा करनी पड़ी – दिल्ली से चुशूल तक. इनका नाम है लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन. लेफ्टिनेंट जनरल मेनन को सेना मुख्यालय के प्रतिनिधि की हैसियत से भारतीय दल में शामिल किया गया है. वो अगले महीने (अक्टूबर 2020) में 14 वीं कोर के GOC (मुखिया) बनने वाले हैं. ये उन्हें बैठक में भेजने की एक वजह हो सकती है.
लेफ्टिनेंट जनरल मेनन जनवरी 2020 से सिख रेजिमेंट के ‘कर्नल ऑफ रेजिमेंट’ हैं. माने सिख रेजिमेंट की सभी बटालियनों में सबसे वरिष्ठ सेवारत अफसर. रक्षा मामलों पर नज़र रखने वाले पत्रकार शिव अरूर ने इंडिया टुडे वेबसाइट पर छपी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि लेफ्टिनेंट जनरल मेनन पहले भी चीन की सेना के साथ होने वाली बैठकों में हिस्सा ले चुके हैं. नवंबर 2018 में उन्होंने बुम-ला में हुई पहली मेजर जनरल स्तर की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. जैसे लद्दाख में भारत-चीन की सेनाएं चुशूल-मोल्दो (चुशूल भारत की तरफ है और मोल्दो तिब्बत की तरफ) में बैठक करती हैं, वैसा ही इंतज़ाम अरुणाचल प्रदेश में भारत-तिब्बत सीमा पर बुम-ला में किया गया है. मेनन तब मेजर जनरल थे और असम में तैनात 71 इंफ्रेंट्री डिविज़न के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) थे. तब चीन की तरफ से मेजर जनरल ली ज़ी ज़ोंग बैठक के लिए आए थे.
लेफ्टिनेंट जनरल मेनन फिलहाल सेना मुख्यालय के कंप्लेंट्स अडवाइज़री बोर्ड में एडिशनल डायरेक्टर जनरल हैं. वो सीधे सेनाध्यक्ष एमएम नरवणे को रिपोर्ट करते हैं. सेना मुख्यालय का कंप्लेंट अडवाइज़री बोर्ड सेना में शिकायतों के निवारण का काम करता है.
राजनयिक- नवीन श्रीवास्तव
दिल्ली से चुशूल की यात्रा करने वाला दूसरा नाम है नवीन श्रीवास्तव का. ये भी अफसर हैं, लेकिन फौज के नहीं. नवीन श्रीवास्तव विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव हैं और पूर्वी एशिया का काम देखते हैं. विदेश मंत्रालय का ईस्ट एशिया डिविज़न मुख्य रूप से चीन, जापान, मंगोलिया, दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया से संबंधित मामलों पर काम करता है. विदेश सेवा के 1993 बैच से आने वाले श्रीवास्तव भारत-चीन मामलों पर काम करने के लिए बने Working Mechanism for Consultation and Coordination (WMCC)का हिस्सा भी रहे हैं. उन्होंने चीन में भी सेवाएं दी हैं. जून 2015 में कंबोडिया में भारत के राजदूत बनाए जाने से पहले वो शंघाई में भारत के काउंसुल जनरल थे.
इन दो नए अधिकारियों के बैठक में शामिल करने का मकसद यही है कि लंबी और बेनतीजा बैठकों के चक्र को तोड़ा जाए. शुरुआती बैठकों में कुछ सफलता हासिल हुई थी लेकिन चौथे और पांचवे दौर की बातचीत कमोबेश बेनतीजा रही थी. गलवान घाटी को छोड़कर चीन कहीं पूरी तरह पीछे नहीं हटा है. अगस्त के आखिर में भारत की सेना ने पैंगोंग सो के दक्षिणी किनारे पर सामरिक महत्व की चोटियों पर कब्ज़ा कर लिया था. तब से चीन दक्षिणी किनारे पर विवाद को प्राथमिकता से सुलझाना चाहता है. लेकिन भारत की कोशिश है कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा LAC पर जहां-जहां तनाव है, उन सब जगहों की बात हो – गोगरा पोस्ट, हॉट स्प्रिंग्स, और सबसे प्रमुख – पैंगोंग सो (उत्तरी और दक्षिणी किनारा). अब तक की सैनिक बातचीत में देपसांग के मैदानों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया है. क्योंकि वहां चल रहे विवाद को अलग माना गया था. लेकिन चूंकि ये बैठक ‘नए माहौल’ (अगस्त की हलचल के बाद) में हो रही हैं, ये अटकलें लगाई गईं कि देपसांग पर भी बात हो सकती है.
और कौन कौन था बैठक में?
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर की हैसियत से भारतीय दल के मुखिया हैं. लेफ्टिनेंट जनरल मेनन और नवीन श्रीवास्तव के बारे में हम आपको बता चुके हैं. बाकी नाम ये रहे –
मेजर जनरल अभिजीत बापट
मेजर जनरल पदम शेखावत
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के महानिरीक्षक दीपम सेठ
इनके अलावा सेना के कुछ और वरिष्ठ अधिकारी भी भारतीय दल का हिस्सा थे.
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