एक टूटी हुई दीवार, खाली बैंक अकाउंट और क्रैश पड़ी वेबसाइट: कुछ ऐसी है पेपरफ्राई की कहानी

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एक बिजनेस प्लान, समय लेती फंडिंग, ग्राहकों से अकल्पनीय प्रतिक्रिया, और एक केन्द्रबिन्दु – ये पेपरफ्राई (Pepperfry) की आठ साल की यात्रा को परिभाषित करते हैं। आप में से बहुत से लोग यह नहीं जानते होंगे कि – ऑनलाइन फर्नीचर क्षेत्र में अग्रणी पेपरफ्राई (Pepperfry) ने फैशन और लाइफ स्टाइल पर ध्यान केंद्रित करते हुए ऑनलाइन मार्केटप्लेस के रूप में शुरुआत की थी। यह वह समय था जब अमेजॉन भारत में मौजूद नहीं था, और फ्लिपकार्ट को अपनी पकड़ बनाना बाकी था। ईबे (eBay) इंडिया में फिलीपींस, भारत, और मलेशिया के लिए बतौर कंट्री मैनेजर के रूप में एक दशक के अनुभव के साथ, बिक्री और संचालन की कमान संभाल रहे अंबरीश मूर्ति और आशीष शाह ने 2011 की शुरुआत में स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया था। दोनों के बीच व्यक्तिगत समझदारी काफी थी। 

शुरुआत में कई सारे लोग शामिल थे, जिसमें मार्केटिंग, तकनीक, फाइनेंस और एडमिन से जुड़े कुछ पूर्व सहयोगी थे। शुरू करने के एक सप्ताह के भीतर, उनके पास अपना काम स्थापित करने के लिए वरिष्ठ पेशेवरों सहित छह लोगों की एक टीम थी! हालांकि आशीष और अंबरीश ने शुरुआत में कुछ वीसी (Venture capital) से 5 मिलियन डॉलर के निवेश की मौखिक बात कर रखी थी। लेकिन, जल्द ही उन्हें महसूस होने लगा कि पूंजी (कैपिटल) के बिना कुछ भी संभव नहीं है। आशीष कहते हैं, “उसी साल अगस्त तक, हम बिना किसी ब्रांड नाम के 25 लोगों की टीम बन चुके थे।” हालांकि तब उनके पास निवेशकों से पैसे नहीं थे क्योंकि वीसी प्रक्रिया में समय लगता है। उस समय, आशीष और अंबरीश के पास केवल टर्म शीट थी, और उनकी लाइफ-सेविंग पहले से ही वे अपने उद्यम में निवेश कर चुके थे। 

तब इस उद्यमी-जोड़ी ने कुछ ऐसा किया, जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा: वे अपनी पूरी टीम को गोवा के लिए छुट्टी पर ले गए। आशीष एक मुस्कान के साथ याद दिलाता हैं, ‘जून-अगस्त में सैलरी देने के बाद हमारे पास मुश्किल से 10 लाख रुपये बचे थे। इसलिए, हमने इस ट्रिप में सभी 25 लोगों को साथ ले लिया। भले ही हम पैसे खो रहे थे, लेकिन हम फन के लिए उस आखिरी मौके पर समझौता नहीं करना चाहते थे। वैसे भी आप और क्या कर सकते हो?”

चमकी किस्मत

जैसा कि किस्मत को मंजूर था, कुछ हफ्तों के भीतर, चीजों ने काम किया और पेपरफ्राई ने सीरीज-ए में 5 मिलियन डॉलर जुटाए। डेडिकेटेड और एक्टिव होकर, टीम वापस काम पर लग गई, और शुरूआत में उन्होंने सप्लाई बिल्ड करने पर ज्यादा ध्यान किया; जिसके बाद एक टीम पहले सोर्सिंग और कैटेगरी मैनजमेंट के लिए बनाई गई। मार्केटिंग की टीम छह महीने बाद बनी क्योंकि वह आपनी दुकान को पहले माल से भर लेना चाहते थे तभी वह प्रासंगिक होती। एक साल तक बैकएंड प्रोसेस के निर्माण के बाद, अगस्त 2012 में, पेपरफ्राई को अंततः ग्राहकों के लिए लॉन्च किया गया। 

आशीष को एक दिन पहले मिले सरप्राइज की याद आती है। वे कहते हैं, ‘थैंक्स टू एफिलिएटेड-बेस्ड प्रमोशन, हमें कुछ घंटों में ही 1,400 ऑर्डर मिल गए। हम इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं कर रहे थे; हमारी योजना छह महीने में प्रति दिन 40-50 ऑर्डर प्राप्त करने की थी! लेकिन लॉन्च के दिन, देर रात तक, हमारी वेबसाइट हाई ट्रैफिक के कारण क्रैश हो गई! पूरी पेपरफ्राई टीम को अपने सभी ग्राहकों को फोन करना पड़ा और उन्हें आश्वस्त करना पड़ा कि हमें उनका भुगतान मिल गया है और उनके ऑर्डर भेज दिए जाएंगे। हमारी आकांक्षाएं एक दिन में बदल गईं!’

 

पहले साल के लिए, टीम ने पोवाई (मुंबई) के रेनाइसेन्स (Renaissance) होटल में एक बिजनेस सेंटर खोला, जिसकी लागत प्रति दिन 4,500 रुपये थी। (को-वर्किंग स्पेस तब बहुत आम नहीं था।) हंसते हुए अंबरीश कहते हैं, “हायरिंग के लिए हमनें लोगों का इंटरव्यू कैफेटेरिया या होटल के लाउंज में किया था। एक बड़े होटल में लोगों को बुलाकर इंटरव्यू करने से हमें एक बड़ी कंपनी की छवि मिली।”

पेपरफ्राई का पहला फॉर्मल ऑफिस 2012 में कोहिनूर कॉमर्शियल कॉम्पलैक्स खोला गया। ये एक 25-सीटर था। आशीष याद करते हैं, “अधिकांश लोग उस समय स्टार्टअप को लेकर उलझन में थे और जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं थे, हालांकि हमने जल्दी डिपोजिट करने का वादा किया था। हम तेजी से बढ़ रहे थे, और पांच महीनों के भीतर, हम उस ऑफिस के बगल में भी स्पेस किराए पर लेने में सक्षम थे जोकि हमारे लिए जरूरी भी था। सच कहें तो, हमने पूरा ऑफिस एक करने के लिए बीच में बनी दीवार को तोड़ दिया और ग्राफिक पेंटिंग का रूप देने के लिए हमने इसे अधूरा ही छोड़ दिया।” पेपरफ्राई अभी भी उस स्पेस का मालिक है।

 

दोबारा शुरूआत

2013 की शुरुआत में, आशीष और अंबरीश ने फर्नीचर और होम की दुनिया में कदम रखा। क्योंकि होरिजेंटल एक्सपेरीमेंट से लाभ नहीं मिल रहा था। दूसरी ओर, फर्नीचर कैटेगरी से काफी हद तक लाभ मिल रहा था – इसमें लगभग 45 प्रतिशत मार्जिन मिलता है और ग्राहक छूट भी ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती। अंबरीश ने स्वीकार किया कि “बतौर उद्यमी उनके लिए यह एक बड़ी कॉल थी।” शुरुआत में पेपरफ्राई ने एक दिन में अपने बिजनेस का 35 प्रतिशत तक मुनाफा छोड़ा। वे कहते हैं, “हमने विक्रेताओं से बात की और जो भी पैसा उनका हम पर था, हमने उन्हें दे दिया। हमने ग्राहकों को ट्रांसफॉर्मेशन के बारे में भी ईमेल किए। हमारे टार्गेट बदल गए, हमारी विकास दर बदल गई; लेकिन हमारे निवेशकों ने हमारे फैसले का समर्थन किया और ग्राहकों ने भी हमें बहुत अच्छी प्रतिक्रिया दी।”

बेशक, वे ऑनलाइन फर्नीचर बिजनेस के शुरुआती दिन थे। ग्राहक अक्सर शिकायत करते थे कि उन्हें सेकेंड हैंड पीस मिलता है, और टीम को यह समझाने में काफी दिक्कत आती थी कि यह एक विंटेज कलेक्शन होता है। आशीष का कहना है कि उन्होंने इस पर खुद ग्राहकों से बात की है। वे कहते हैं, “मैंने एक ग्राहक को समझाया कि हम वास्तव में आइटम को धूप में रखते हैं और फर्नीचर पर सही लुक पाने के लिए पेंट को छीलते हैं। इसके बाद भी, वे चाहें तो इसे रिजेक्ट या रिटर्न कर सकते हैं। कुल मिलाकर, हमें अपने ग्राहकों को एजुकेट करना था, उन्हें यह समझाना था कि जो आप हमारी वेबसाइट पर देखते हैं वही प्रोडक्ट हम आपको देते हैं।”

टीम के लिए डिलीवरी एक और समस्या थी। वे कहते हैं, “कूरियर पार्टनर हमारी डिलीवरी को ग्राहक के टॉप फ्लोर पर नहीं ले जाते; वे इसे बिल्डिंग के बेसमेंट में ही छोड़ देते थे। इससे फर्नीचर को नुकसान भी हो सकता है। इसलिए, अप्रैल 2013 में, हमने अपने फर्नीचर डिलीवरी एक्सपीरेंस को कंट्रोल करने के लिए 10 ट्रक लिए। अब हमारे पास लगभग 400 ट्रक हैं। इससे फायदा ये हुआ कि हमें अब एक प्रतिशत से भी कम नुकसान होता है।

 

eBay से मिला सबक

चाहे वह एक ऑपरेटिंग रिदम हासिल करना हो या एचआर आस्पेक्ट को बिल्ड करना, ईबे ने इन दोनों को बहुत कुछ सिखाया। शुरुआती दिनों से, उन्होंने पेपरफ्राई की वीकली प्रोग्रेस को ध्यान से देखा, बाधाओं और उनके समाधानों का पता लगाया और शुक्रवार को हर टीम से वीकली प्लान लेते थे। सीएक्सओ हर 15 दिनों में मीटिंग करते थे। वे कहते हैं, “यह सब कंपनी को चलाने के लिए एक स्ट्रक्चर तैयार करने में मदद करता है। हमारे यहां कल्चर इन्टेंसिटी और अनुशासन का था जिसे हमने बहुराष्ट्रीय कंपनियों से सीखा था। हम मीटिंग कभी नहीं छोड़ते। हम हमेशा अपनी टीम को प्रेरित करने के लिए उत्सुक थे, और यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि वे क्या कर रहे हैं।” 2013 में एक समय, उनकी फंडिंग खत्म सी हो गई थी। अंबरीश याद करते हैं कि कैसे टॉप मैनेजमेंट में शामिल 15 लोगों ने अपनी सैलरी का 50 प्रतिशत हिस्सा अनिश्चित काल के लिए कटौती करने का फैसला किया ताकि उन्हें जूनियर स्तर पर लोगों को छोड़ना न पड़े। वे सभी 15 लोग अभी भी पेपरफ्राई के साथ हैं।

यह स्टार्टअप पिछले आठ वर्षों में लगभग 200 मिलियन डॉलर कमाने में कामयाब रहा है। पेपरफ्राई के संस्थापकों का मानना है कि अगर आपको लगता है कि आपके पास सही रणनीति है, तो आपको इसे नहीं बदलना चाहिए। अंबरीश कहते हैं, “नाम, कैटलॉग और बिजनेस मॉडल पर सभी का अपना प्वाइंट ऑफ व्यू होता है। लेकिन आप खुद अपने बिजनेस के सबसे करीब हैं।” फिलहाल आठ साल बाद भी पेपरफ्राई टीम – जो अब 500 लोगों की हो गई है – हर अगस्त में गोवा की ट्रिप करती है। अंबरीश और आशीष के लिए, यह पेपरफ्राई फैमिली की संस्कृति को परिभाषित करता है।




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