पेट्रोल खरीदने पर मोटरसाइकिल फ्री!

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  • 5 लीटर खरीदने पर एक लीटर मुफ्त.
  • 100 लीटर खरीदने वाले को चाय-नाश्ता फ्री.
  • 5,000 लीटर पर मोबाइल, साइकल या हाथ घड़ी फ्री.
  • 15,000 लीटर की खरीद पर अलमारी, या सोफा सेट या फिर 100 ग्राम चांदी का सिक्का फ्री.

मध्य प्रदेश सीमा पर बसे कुछ जिलों में पेट्रोल पंप्स के बाहर कई बार ऐसी तख्तियां लटकती दिखती हैं. खासतौर पर ऐसे जिले, जिनकी सीमा पड़ोस के उत्तर प्रदेश और राजस्थान से लगती है. मध्य प्रदेश में पेट्रोल पर 28 फीसद वैट लगता है. साथ में प्रति लीटर 1 पर्सेंट सेस और चार रुपया अलग से. MP के मुकाबले पड़ोस के राजस्थान-UP में पेट्रोल-डीजल सस्ता है. लोग बॉर्डर पार करके वहां चले जाते हैं और टंकी फुल करा लेते हैं. खासतौर पर ज्यादा तेल भरवाने वाले ग्राहक. जैसे- ट्रक ड्राइवर, कार चालक, खेती की जरूरतों के लिए डीजल खरीदने वाले किसान. पेट्रोल-डीजल जितना महंगा होता है, बिक्री में उसी हिसाब से कमी आती है. इसीलिए ग्राहकों को अपनी तरफ खींचने के लिए इधर के पेट्रोल पंप मालिक टाइम-टाइम पर ऑफर देते रहते हैं. कुछ पंप लकी ड्रॉ वाले ऑफर्स लाते हैं. कुछ गारंटी वाले गिफ्ट ऑफर्स निकालते हैं. मतलब महीने में इतने लीटर खरीदोगे, तो ये चीज शर्तिया मिलेगी.

 

 
ये मध्य प्रदेश के एक पेट्रोल पंप की निकाली स्कीम का पर्चा देखिए

ऐसी स्कीम्स क्यों लानी पड़ती हैं? 

मध्य प्रदेश के भिंड, दतिया, ओरछा, खजुराहो जैसे जिले उत्तर प्रदेश की सीमा के पास हैं. उधर गुना, श्योपुर और मुरैना जैसे जिले राजस्थान बॉर्डर से सटे हैं. शिवपुरी तो उत्तर प्रदेश और राजस्थान, दोनों की सीमा के करीब है. इन जिलों के पेट्रोल पंप्स को आए दिन ऐसी स्कीम्स चलानी पड़ती हैं. ताकि बिक्री बढ़ सके. आप शिवपुरी की ही मिसाल देखिए. 11 सितंबर, 2018 को शिवपुरी में एक लीटर डीजल की कीमत है 77.76 रुपये. एक लीटर पेट्रोल 87.55 रुपये का बिक रहा है.

 

 
ये एक पेट्रोल पंप की स्कीम

शिवपुरी से यूपी बॉर्डर 65-70 किलोमीटर दूर है. यूपी बॉर्डर की तरफ से झांसी पास पड़ता है इसके, तकरीबन 90 किलोमीटर. 11 सितंबर, 2018 को झांसी में डीजल का रेट 73.10 रुपये प्रति लीटर है. पेट्रोल की कीमत 80.72 रुपये लीटर है. ट्रक की टंकी 300 से 350 लीटर में फुल होती है. मतलब अगर ट्रक वाला शिवपुरी में टंकी (300 लीटर) फुल करवाता है, तो उसको लगभग 23,400 रुपये खर्च करने होंगे. वहीं झांसी में इतना ही डीजल 21,900 का मिलेगा. यानी, एक बार टंकी फुल करवाने में 1500 की बचत. इसीलिए इधर से गुजरने वाली ट्रक जैसी बड़ी गाड़ियां यूपी और राजस्थान में ही टैंक फुल करवाती हैं. अगर इमरजेंसी में जरूरत पड़ भी जाए, तो बॉर्डर पार करने लायक ही तेल भरवाती हैं. जाहिर है, वो अपनी लागत कम करने के लिए सस्ता तेल ही भरवाना चाहेंगे. इस चक्कर में इन जिलों के पेट्रोल पंप्स को घाटा होता है. उनकी बिक्री कम होती है.

 

एक ही राज्य में अलग-अलग होता है पेट्रोल-डीजल का रेट

ऐसा नहीं है कि राज्यभर में पेट्रोल-डीजल का एक ही रेट हो. अलग-अलग जिलों में अलग-अलग दर होती है इसकी. देखिए, तेल कंपनियां अलग-अलग जगहों पर फिलिंग स्टेशन बनवाती हैं. यहीं से टैंकर्स में भरकर पेट्रोल-डीजल पेट्रोल पंप्स तक पहुंचाया जाता है. कई बार डीलर्स खुद अपनी गाड़ियों में तेल मंगवाते हैं. वरना कंपनियों के टैंकर्स पेट्रोल-डीजल की सप्लाई करते हैं. जैसे-जैसे फिलिंग पॉइंट से पेट्रोल पंप की दूरी बढ़ेगी, वैसे-वैसे पेट्रोल-डीजल की कीमत भी बढ़ जाएगी.

 

 
अगर जिले के सारे डीलर्स स्कीम चलाने को राजी हों, तो उसका खर्च कंपनी और डीलर के बीच आधा-आधा बंट जाता है. लेकिन बहुत बार सारे डीलर्स राजी नहीं होते. तब कुछ डीलर्स को अपने स्तर पर ही ऐसी योजनाएं चलानी पड़ती हैं

जितना खरीदोगे, उतना बड़ा गिफ्ट मिलेगा

एक लाख लीटर (एक तय समय के अंदर) की खरीद पर बाइक या ऐक्टिवा. 50 हजार लीटर खरीदने पर दो टन का स्प्लिट एसी या 36 इंच का एलसीडी या 160 लीटर का रेफ्रिजरेटर. 40 हजार लीटर की खरीद पर 21 इंच का LCD या लैपटॉप या कंप्यूटर या सैमसंग का टचस्क्रीन 4जी मोबाइल या 1 टन का स्प्लिट एसी. 25 हजार लीटर पर फुली ऑटोमैटिक वॉशिंग मशीन या 100 लीटर का रेफ्रिजरेटर. पांच लीटर की खरीद पर एक लीटर मुफ्त. ऐसे कई ऑफर हैं

 

इन ऑफर्स का खर्चा किसकी जेब से आता है?

पेट्रोल पंप वाले डीलर होते हैं. वो किसी एक कंपनी से तेल खरीदती हैं. जैसे- भारत पेट्रोलियम हो गया. हिंदुस्तान पेट्रोलियम हो गया. कंपनियां अपने डीलर्स को सेल्स टारगेट देती है. बिक्री कम होने पर स्कीम, लकी ड्रॉ जैसे ऑफर्स शुरू करने को कहती है. इन स्कीम्स का चक्कर ये है कि अगर जिले के सारे डीलर किसी स्कीम पर राजी हो जाएं, तो उस जिले में उस कंपनी से तेल लेने वाले सारे डीलर्स के पेट्रोल पंप्स पर वो स्कीम चलेगी. ऐसी स्थिति में स्कीम में होने वाले खर्च का आधा पैसा कंपनी देती है और आधा पैसा डीलर भरता है. लेकिन कई बार जिले के कई डीलर्स इन स्कीम्स के लिए राजी नहीं होते. ये आमतौर पर वैसे डीलर्स होते हैं, जिनका पंप शहरी इलाके में पड़ता है. ऐसे इलाकों में बाइक और कार वालों की वजह से सेल ठीकठाक हो जाती है. मगर बायपास या हाई-वे पर पड़ने वाले पंप, दूर-दराज के इलाकों के पंप वालों को हार-थककर स्कीम चलानी ही पड़ती है. इनमें कंपनी की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती. इनमें लगने वाला सारा खर्च पेट्रोल पंप मालिकों का होता है.

 

 
पेट्रोल और डीजल की खुले में बिक्री पर रोक है. लेकिन किसान अक्सर खेती में होने वाले इस्तेमाल के लिए ड्रम वगैरह में ही डीजल खरीदकर ले जाते हैं. ये शिवपुरी के एक पेट्रोल पंप की तस्वीर. पीछे फ्री ऑफर का पोस्टर लगा है

पेट्रोल पंप मालिक क्या कहते हैं?

शिवपुरी में एक पेट्रोल पंप के मालिक तपन अरोड़ा से बात हुई हमारी. तपन ने बताया कि 2017 जुलाई-अगस्त में तो पंप मालिकों की हालत और खराब थी. तब वैट और ज्यादा था. इस वजह से पेट्रोल-डीजल और महंगा हो गया था. एक पॉइंट पर तो MP और UP में डीजल-पेट्रोल की कीमतों में 7 रुपये तक का फर्क था. तब इन जिलों के पेट्रोल पंप्स पर बिक्री काफी घट गई थी. फिर सरकार ने तीन फीसद वैट घटाया. फिर थोड़ी जान में जान आई. अभी पेट्रोल-डीजल में इतनी महंगाई है. ऐसे में इस तरह की स्कीम्स ही पेट्रोल पंप्स को राहत देती हैं. तपन ने कहा-

” सरकार ने इतना ज्यादा वैट लगाया हुआ है कि हम पस्त हो गए हैं. मध्य प्रदेश में हर लीटर पेट्रोल-डीजल पर डीलर को 1.69 पैसे का कमीशन देती है कंपनी. इसमें डीलर को अपनी सारी लागत भी वसूलनी होती है. पंप पर जितने स्टाफ होते हैं, उन सबका वेतन भी इसी से आता है. बिक्री कम होने पर, हमारा नुकसान होता है. इसके अलावा और भी तरह के नुकसान होते हैं. जैसे- पेट्रोल बाहर रखने पर उड़ गया. या फिर फिलिंग पॉइंट से पंप तक आते-आते कंपनी के टैंकर से चोरी हो गया. इसका थोड़ा मुआवजा कंपनी देती है, लेकिन फिर भी हमारा लॉस तो होता ही है. सरकार वैट घटाए तो हमारी जान में जान आए. अभी तो हमारी हालत खराब है. “

 

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