प्रयागराज कुंभ में ‘राम नाम बैंक’, जहां चलती है ऐसी मुद्रा

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प्रयागराज कुंभ में वैसे तरह-तरह के साधू-संत और कलाएं देखने को मिल रही है. लेकिन इन सबके बीच यहां एक अनोखा ‘राम नाम बैंक’ भी चल रहा है, जहां केवल ‘भगवान राम’ की मुद्रा चलती है और ब्याज के रूप में आत्मिक शांति मिलती है.

‘राम नाम बैंक’ में पिछले एक दशक से श्रद्धालु आत्मिक शांति के लिए पुस्तिकाओं में भगवान राम का नाम लिखकर जमा करा रहे हैं. इस अनूठे बैंक का प्रबंधन देखने वाले आशुतोष वार्ष्णेय के दादा ने 20वीं सदी की शुरुआत में संगठन की स्थापना की थी. आशुतोष अपने दादा की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.

आशुतोष ने कुंभ मेले के सेक्टर-6 में ‘राम नाम बैंक’ से अपना शिविर लगाया है. उनका कहना है, ‘इस बैंक की स्थापना मेरे दादा ईश्वर चंद्र ने की थी, जो कारोबारी थे. अब इस बैंक में विभिन्न आयु वर्गों एवं धर्मों के एक लाख से अधिक खाता धारक हैं.’

उन्होंने बताया, ‘यह बैंक एक सामाजिक संगठन ‘राम नाम सेवा संस्थान’ के तहत चलता है और कम से कम 9 कुंभ मेलों में इसका शिविर लग चुका है. इस बैंक में कोई मौद्रिक लेनदेन नहीं होता. इस बैंक में जिनका खाता है उनके पास 30 पृष्ठीय एक पुस्तिका होती है, जिसमें 108 कॉलम में वे प्रतिदिन 108 बार ‘राम नाम’ लिखते हैं. और फिर यह पुस्तिका व्यक्ति के खाते में जमा की जाती है.

उन्होंने कहा कि भगवान राम का नाम लाल स्याही से लिखा जाता है, क्योंकि यह रंग प्रेम का प्रतीक है. बैंक की अध्यक्ष गुंजन वार्ष्णेय की मानें तो खाताधारक के खाते में भगवान राम का दिव्य नाम जमा होता है. अन्य बैंकों की तरह पासबुक जारी की जाती है. ये सभी सेवाएं नि:शुल्क दी जाती है, इस बैंक में केवल भगवान राम के नाम की मुद्रा ही चलती है.

उन्होंने बताया कि राम नाम को ‘लिखिता जाप’ कहा जाता है, इसे लिखित ध्यान लगाना कहते हैं. स्वर्णिम अक्षरों को लिखने से अंतरात्मा के पूर्ण समर्पण और शांति का बोध होता है. सभी इन्द्रियां भगवान की सेवा में लिप्त हो जाती हैं. इस बैंक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें किसी एक धर्म के लोग ही नहीं, बल्कि विभिन्न धर्मों के लोग उर्दू, अंग्रेजी और बंगाली में भगवान राम का नाम लिखते हैं.

ईसाई धर्म को मानने वाले पीटरसन दास (55) वर्ष 2012 से भगवान राम का नाम लिख रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘ईश्वर एक है, भले ही वह राम हो, अल्लाह हो, यीशु हो या नानक हो.’ पांच साल से इस बैंक से जुड़े सरदार पृथ्वीपाल सिंह (50) ने कहा, ‘भगवान राम और गुरु गोविंद सिंह महान थे, उनके विचारों का अनुसरण करना हर मनुष्य का परम कर्तव्य है.’




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