मिल गया Plastic का Solution, पर्यावरण पर भी नहीं होगा असर

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Pollution का Solution है बायो डिग्रेडबल प्लास्टिक

प्लास्टिक आज हमारा रोजाना की जिन्दगी में इस तरह शामिल हो चूका है कि इसके बिना हमारा काम नही चल सकता है | सब्जियाँ उठाने से लेकर हाई टेक गैजेट्स में इसका इस्तेमाल किया जाता है | सोचीय अगर आपको एक दिन बिना प्लास्टिक के गुजारना पड़े तो ? हर काम को करने से पहले आपको सोचना पड़ेगा कि कही आप उसमे प्लास्टिक की मदद तो नही ले रहे हो ? यही वजह है कि पर्यावरण पर इसके पड़ने वाले दुष्प्रभावो को जानते हुए भी इसका इस्तेमाल पुरी तरह बंद कर पाना सम्भव नही है |

क्या है बायो प्लास्टिक

प्लास्टिक के पर्यावरण पर बढ़ते दुष्प्रभावो के चलते पुरी दुनिया में इसके विकल्पों की तलाश होने लगी है | उसी तलाश का परिणाम आज बायो प्लास्टिक के रूप में सामने आया है | बायो प्लास्टिक प्राकृतिक रूप से आसानी से नष्ट हो जाने वाले प्लास्टिक है जिन्हें पाली लैक्टिक एसिड पॉलीमर से तैयार किया जाता है ये बिल्कुल पॉलिथीन के ही जैसे होते है | इनका निर्माण सब्जियों में मौजूद वसा ,तेल  ,कॉर्न और मटर में मौजूद स्टार्च से भी किया जा सकता है इसके आलावा सूक्ष्म शैवालो और केलो के छिलके की मदद से भी इन्हें तैयार किया जा सकता है | इस कारण ये आसानी से नष्ट हो जाते है और इनसे निकलनेवाले कार्बन-डाई-ओक्साइड की मात्रा भी काफी कम होती है जिससे ये पर्यावरण के लिए नुकसानदेह नही है |

इसे तैयार करने का खर्च ज्यादा

दरअसल इस तरह तैयार होने वाली यह प्लास्टिक पेट्रोकेमिकल से तैयार होने वाली प्लास्टिक की तुलना में काफी महंगी होती है इसी कारण यह प्लास्टिक की तरह लोकप्रिय नही हो पायी है | बायो प्लास्टिक के आलावा भी कई ऐसी चीजे है जो प्लास्टिक का विकल्प बन रही है ज्यादातर दुकानों में फैंसी प्लास्टिक की जगह अब जुट, पेपर , कपड़े और बांस से बने बैग्स का इस्तेमाल किया जाने लगा है |

प्लास्टिक भी हेल्थ ड्रिंक भी

गर्मियों में बाजार से थक कर आने के बाद हो चीज सबसे पहले याद आती है वह है ठंडा-ठंडा शर्बत | अगर जिस थैली में आप सामान लेकर आओ वही आपका टेस्टी शरबत बन जाए तो कैसा रहेगा ? इंडोनेशिया के रहने वाले केविन कुमाला ने एक ऐसा बायो डिग्रेडबेल प्लास्टिक तैयार किया है जिसे काम खत्म होने के बाद इधर-उधर फेंकने के बजाय पानी के घोल पर शर्बत की तरह पिया जा सकता है इसे बायो डिग्रेडबेल प्लास्टिक को उन्होंने कसाव के स्टार्च ,वेजिटेबल आयल और आर्गेनिक रेसिन की मदद से तैयार किया है यह ओरल टोक्सीसिटी टेस्ट को पास कर चूका है जिसमे इन्सान या जानवरों को नुकसान पहुचाने वाले कोई भी तत्व नही पाए गये हाउ यह बायो प्लास्टिक फेंकने के बाद महीने भर में अंदर खुद ही पुरी तरह नष्ट हो जाता है जबकि गर्म पानी में यह तुरंत ही घुल जाता है | दरअसल कसावा इंडोनेशिया में पायी जाने वाली बेहद सस्ती और आसानी से उपलब्ध होने वाली सब्जी है जो आलू की तरह जमीन के अंदर उपजती है |

प्लास्टिक के जुड़े अन्य रोचक तथ्य

  • दुनिया के सबसे पहले प्लास्टिक पार्केसाइन का अविशाक्र एलेक्सेंडर पार्क ने 1856 में किया था |
  • 16 लाख प्लास्टिक बग्स का इस्तेमाल हर सैकंड दुनियाभर में किया जाता है |
  • प्लास्टिक एक बार बनने के 700 साल बाद नष्ट होना शुरू होता है पुरी तरह नष्ट होने में 1000 साल लगता है |
  • 50 खरब प्लास्टिक बग्स का उत्पादन हर साल किया जाता है यह मात्रा इतनी ज्यादा है कि इससे पृथ्वी को सात बार ढंका जा सकता है |
  • प्रशांत महासागर में मौजूद प्लास्टिक कचरे की पट्टी का आकार टेक्सास शहर का दोगुना है |
  • पुरी दुनिया में केवल 1 से 3 प्रतिशत प्लास्टिक को ही रीसायकल किया जाता है |
  • 4 मिलियन टन की खपत के साथ भारत दुनिया के तीसरा सबसे बड़ा प्लास्टिक का उपभोक्ता है |
  • हर साल भारत से 2 मिलियन टन प्लास्टिक कचरे का उत्पादन होता है |



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