‘आपकी साइकिल लेकर जा रहा हूं, मुझे माफ कर देना’ मजदूर की चिट्ठी सोशल मीडिया में वायरल

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लॉकडाउन में काम न होने, पैसा राशन खत्म होने और रहने का ठिकाना नहीं होने के चलते मजदूर घर जा रहे हैं. सरकार की ओर से पुख्ता बंदोबस्त न होने के चलते मजदूर घर जाने को ‘आत्मनिर्भर’ बन रहे हैं. घर जाने के लिए जो भी सहारा मिल रहा है, उसका उपयोग कर रहे हैं. घर जाते मजदूरों के कई तरह की फोटो और वीडियो सामने आए हैं. इनमें पैदल, ट्रकों में लदकर, रिक्शा, बैलगाड़ी, हाथगाड़ी, साइकिल के सहारे सफर पर निकले मजदूर नज़र आते हैं.

एक खबर राजस्थान के भरतपुर से आई है. यहां पर उत्तर प्रदेश का एक मजदूर घर जाने के लिए कथित तौर पर साइकिल चुरा कर ले गया. कहा जा रहा है कि उसने साइकिल मालिक के लिए एक चिट्ठी भी छोड़ी. यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल है.

 

 

क्या लिखा है चिट्ठी में

 

नमस्ते जी,

मैं आपकी साइकिल लेकर जा रहा हूं. हो सके तो मुझे माफ कर देना जी. क्योंकि मेरे पास में साधन नहीं. मेरा एक बच्चा है. उसके लिए मुझे ऐसा करना पड़ा. क्योंकि वो विकलांग है. चल नहीं सकता. हमें बरेली तक जाना है.

आपका कसूरवार, एक यात्री
मजदूर एवं मजबूर
मोहम्मद इकबाल खान
बरेली

 

 

और मामला क्या है

इंडिया टुडे के पत्रकार सुरेश फौजदार ने बताया कि चोरी की गई साइकिल के मालिक का नाम साहिब सिंह है. साइकिल चोरी की घटना सहनावली गांव में तीन दिन पहले यानी 13 मई की रात की है. यह गांव भरतपुर-आगरा हाइवे पर पड़ता है और बॉर्डर के पास है.

 

घरवालों ने क्या कहा

घरवालों ने बताया कि सुबह उठे तो घर के बाहर साइकिल नहीं मिली. आसपास  तलाश की पर पता नहीं चला. ऐसे में साइकिल चोरी होने की आशंका हुई. इसी दौरान झाडू लगाते समय एक कागज मिला. इस पर कुछ लिखा था. पढ़ा तो पता चला कि किसी मजदूर घर जाने के लिए साइकिल ले गया.

 

गांव वाले पर ही चोरी का शक

साइकिल मालिक साहिब सिंह के बड़े भाई प्रभु दयाल ने बताया कि रात को चार बजे के करीब साइकिल चोरी हुई. घर के लोग अंदर थे और साइकिल बाहर खड़ी थी. चोरी की यह हरकत किसी गांव वाले की है. कोई बाहर का आदमी इसमें शामिल नहीं है. कोई आसपास का व्यक्ति ही साइकिल लेकर गया है.

उन्होंने कहा कि साइकिल चोरी की शिकायत पुलिस में दर्ज कराने के लिए भी सोचा. लेकिन चिट्ठी पढ़ने के बाद शिकायत नहीं कराई. साथ ही साइकिल भी काफी पुरानी थी.




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