एक तरफ दुनिया कोरोना वायरस के कहर से जूझ रही है जो चीन के वुहान से दुनिया भर में फ़ैला था अब दूसरी ओर चीन के उत्तर पश्चिमी इलाक़े में स्थित गैन्सू प्रांत के लानजोउ शहर में सैंकड़ों लोग एक नए संक्रमण से पीड़ित पाए गए हैं.
ये संक्रमण ब्रूसेलोसिस बैक्टीरिया से फ़ैल रहा है और बड़ी संख्या में लोगों को पीड़ित कर रहा है.
चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने गैन्सू प्रांत के सेंट फ़ॉर डिसिज़ कंट्रोल विभाग के हवाले से बताया कि इस बैक्टीरिया से क़रीब 3,245 लोग संक्रमित हैं.
बीते सोमवार को 21 हज़ार लोगों को टेस्ट किया गया जिसमें शुरुआती तौर पर 4,646 लोगों को पॉज़िटिव बताया गया. हालांकि ये संख्या उम्मीद से ज़्यादा हो सकती है और फ़िलहाल इसके फ़ैलने को लेकर प्रशासन और आम लोग चिंतित हैं.
अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक़ 11 सरकारी संस्थानों को मुफ़्त टेस्ट और इलाज के लिए अस्पताल का दर्जा दिया गया है.
क्या है ब्रूसेलोसिस और ये कैसे फ़ैलता है?
ब्रुसेलोसिस एक बैक्टीरिया जनित बीमारी है जो मुख्य तौर पर गाय, भेड़-बकरी, सुअर और कुत्तों को संक्रमित करती है.
इंसानों में भी संक्रमण हो सकता है अगर वे संक्रमित जानवर के संपर्क में आएं.
जैसे कि संक्रमित पशु उत्पादों को खाने-पीने से या हवा में मौजूद बैक्टिरिया सांस लेने से इंसान में पहुंच जाए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि ज़्यादातर ये बीमारी संक्रमित जानवरों के बिना पाश्चरीकृत दूध या पनीर लेने से इंसानों में आ रही है.
इंसानों से इंसानों में बेहद कम संक्रमण होता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ ये बीमारी दुनिया के कई देशों में रिपोर्ट होती रही है.
इसका इलाज संभव है. दवाइयों का सिलसिला एक-डेढ़ महीने तक चलता है.
क्या हैं इसके लक्षण?
बीमारी के लक्षण आने में एक हफ़्ते से लेकर 2 महीने भी लग सकते हैं. लेकिन अक्सर 2 से 4 हफ़्ते में लक्षण आ जाते हैं.
इसके लक्षण हैं- बुखार, पसीना आना, थकान, भूख ना लगना, सिर दर्द, वज़न घटना और मांसपेशियों में दर्द.
कई लक्षण लंबे वक्त तक रह सकते हैं और कुछ कभी नहीं जाते. जैसे कि बार-बार बुखार होना, जोड़ों में दर्द, अंडकोष में सूजन, दिल या लीवर में सूजन, दिमाग़ी लक्षण, थकान, डिप्रेशन आदि.
कई बार बहुत हल्के लक्षण होते हैं.
चीन में ये कैसे शुरू हुई?
ये बैक्टीरिया पिछले साल जुलाई-अगस्त में एक फ़ैक्ट्री से हुए रिसाव के बाद फ़ैला था.
इस बैक्टीरिया के इलाज़ के लिए बनने वाली ब्रूसीला वैक्सीन के उत्पादन में एक्सपायर हो चुके कीटाणुनाशकों का इस्तेमाल किया गया था जिसके कारण बैक्टीरिया से संक्रमति एरोसोल्स का हवा में रिसाव हो गया.
बताया जाता है कि इसके पास लानझोऊ वेटेरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट है जहां हवा के ज़रिए ये संक्रमण लोगों में फै़ला और इस बीमारी की शुरुआत हुई.
इसके बाद क्या कार्रवाई की गई?
न्यूज़ एजेंसी एनएनआई ने लानजोउ हेल्थ कमिशन के हवाले से बताया है कि इस बीमारी के फ़ैलने के महीनों बाद प्रांतीय और म्यूनिसिपल अधिकारियों ने फैक्ट्री से हुए रिसाव को लेकर जांच शुरू की.
जनवरी तक इस फ़ैक्ट्री के वैक्सीन उत्पादन का लाइसेंस रद्द कर दिया गया.
फ़ैक्ट्री में कुल सात जानवरों की दवाओं के अप्रूवल नंबर रद्द कर दिए गए.
एएनआई के मुताबिक फ़ैक्ट्री ने फ़रवरी में सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगी और कहा कि उसने इस मामले के लिए ज़िम्मेदार पाए गए आठ लोगों को कड़ी सज़ा दी है.
हंता वायरस भी अपना असर छोड़ चुका है
इसी साल ग्लोबल टाइम्स ने ख़बर दी थी कि चीन के यूनान प्रांत में हंता वायरस की वजह से 23 मार्च को एक शख्स की मौत हो गई थी.
हंता वायरस चूहों से फ़ैलता है. अगर कोई इंसान चूहों के मल-मूत्र या लार को छूने के बाद अपने चेहरे पर हाथ लगाता है तो हंता वायरस से उसके संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है.
हालांकि आमतौर पर हंता वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं जाता है. हंता के संक्रमण का पता लगने में एक से आठ हफ़्तों का वक़्त लग सकता है.
अगर कोई व्यक्ति हंता संक्रमित है तो उसे बुखार, दर्द, सर्दी, बदन दर्द, उल्टी जैसी दिक़्क़तें हो सकती हैं.
हंता संक्रमित व्यक्ति की हालत बिगड़ने पर फेफड़ों में पानी भरने और सांस लेने में तकलीफ़ भी हो सकती है.
जनवरी 2019 में हंता से संक्रमित नौ लोगों की पेटागोनिया में मौत हो गई थी. इसके बाद पर्यटकों को आगाह भी किया गया था.
तब के एक अनुमान के मुताबिक़, हंता वायरस से संक्रमित लोगों के 60 मामले सामने आए थे, जिनमें 50 को क्वारंटीन रखा गया था.
अमरीका के सेंटर्स फॉर डीजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की मानें तो हंता वायरस में मृत्यु दर 38 फ़ीसदी होती है और इस बीमारी का कोई ‘स्पेसिफिक ट्रीटमेंट’ नहीं है.
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