दुनिया की ज्यादातर आबादी अभी भी लॉकडाउन में रह रही है और लोगों को सामाजिक दूरी का पालन करना पड़ रहा है ताकि कोविड-19 को फैलने से रोका जा सके. लेकिन चीन में कोरोना वायरस के शुरू होने के महीनों बाद वहां लोग काम पर वापस लौटने लगे हैं. लेकिन, कुछ सवाल जरूर पैदा हो रहे हैं.
मसलन, क्या वहां जिंदगी पूरी तरह से सामान्य हो गई है? लोगों की ज़िंदगियों में क्या बदलाव आए हैं? क्या कारोबार पटरी पर लौट आया है और क्या लोग दफ्तरों में लौटने लगे हैं? साथ ही, क्या लोगों को लग रहा है कि अब संक्रमण के दोबारा आने का कोई खतरा नहीं है?
जनवरी अंत में वुहान में लागू किया गया लॉकडाउन
जब चंद्र नववर्ष त्योहार अपने घरवालों के साथ मनाने के लिए गाओ टिंग ने चीन के हुबई प्रांत के वुहान को छोड़कर अपने होमटाउन चलीं तो वह बेहद उत्साहित थीं. वह अपने दोस्तों से मिलना चाहती थीं और त्योहार के दौरान बनने वाले बढ़िया खानों का लुत्फ उठाना चाहती थीं.
वह याद करते हुए बताती हैं कि उस वक्त उनके सहयोगी और सड़कों पर आवाजाही करने वाले लोगों में शायद ही कोई फ़ेस मास्क लगाए दिखाई देता था. यहां तक कि वह खुद भी फ़ेस मास्क नहीं लगाती थीं.
वह हुबेई की राजधानी वुहान से निकल पड़ीं. उनके वुहान छोड़ने के महज तीन दिनों के भीतर यानी 23 जनवरी 2020 को यह शहर सख्त लॉकडाउन में डाल दिया गया. तब तक चीन सरकार के सामने यह साफ हो गया था कि इस ख़तरनाक वायरस को फैलने से रोका जाना जरूरी है. इसी वायरस को आज पूरी दुनिया कोविड-19 के नाम से जानती है.
इसके बाद 34 साल की गाओ को अपने पेरेंट्स के अपार्टमेंट में 68 दिन गुजारने पड़े. उनके पेरेंट्स यीचांग में रहते हैं जिसकी आबादी करीब 40 लाख है. यह शहर वुहान से 300 किमी पश्चिम में मौजूद है.
गाओ बताती हैं, “हम घर से बाहर नहीं निकल सकते थे. हर दिन लोग हमारा तापमान लेने आते थे.”
वह कहती हैं, “परिवार के साथ कुछ वक्त बिताना अच्छा था. हम साथ खाते थे, आपस में बातचीत करते थे. वहां हम आठ लोग रह रहे थे जिनमें मेरी बहन और जीजाजी का परिवार भी शामिल था.”
दो महीने से ज्यादा दिनों के बाद 29 मार्च को गाओ फिर से काम पर लौट गईं. वह बताती हैं, “काम पर जाते वक्त सबवे में काफी लोग थे. हर कोई मास्क पहने था.” इसके अलावा सब कुछ सामान्य था. ऐसा लग रहा था जैसे कुछ भी नहीं बदला था. लेकिन, कामकाजी माहौल एक अलग ही तस्वीर बयां कर रहा था.
कारोबारियों के लिए मुश्किल वक़्त
गाओ चीन के कई कारोबारों में फैले वैंडा ग्रुप में ऑपरेशंस मैनेजर के तौर पर काम करती हैं. वह वुहान के सबसे पॉपुलर शॉपिंग एरियाज में काम करती हैं. चुहे हांजी एक लंबी स्ट्रीट है जिसमें अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय ब्रैंड्स मिलते हैं. हालांकि, यहां कारोबार सुस्त है.
गाओ के कामकाज में अपनी कंपनी के लिए फुटफॉल का आकलन करना भी शामिल है. इसी कंपनी ने यहां पैसा लगाया है और इस एरिया को डिवेलप किया है. वह बताती हैं, “2019 में हमारे यहां औसतन रोज़ाना 60,000 लोग आते थे. अब यहां रोज़ करीब 10,000 लोग ही आते हैं.”
इसके बावजूद गाओ का काम व्यस्तता वाला और मुश्किल है. वह नियमित तौर पर रात के नौ बजे तक दफ्तर रहती हैं. वीकेंड्स पर वह घर से काम करती हैं और पिछले बचे हुए काम को पूरा करने की कोशिश करती हैं.
उन्हें स्थानीय कारोबारियों को भी कॉल करनी पड़ती है ताकि उन्हें खाली पड़ी यूनिट्स में आने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.
वह कहती हैं, “हमारे यहां ब्रैंड्स का कारोबार अच्छा नहीं निकल रहा है. हम उनकी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. कई कारोबारियों के पास पैसे नहीं हैं और वे किराया देने की हैसियत में नहीं हैं. कुछ तो अपना धंधा बंद भी कर रहे हैं.”
जो कारोबार बंद नहीं हुए हैं वे इस बात से सतर्क हैं कि कहीं फिर से संक्रमण न फैलने लगे.
वुहान के रेस्टोरेंट्स अब शाम के सात बजे बंद हो जाते हैं और लोगों को इनमें अंदर बैठने की इजाजत नहीं है. शाम को इस वक्त तक सड़कों कोई दिखाई नहीं देता. इसकी बजाय गाओ का ऑफ़िस पैक्ड लंच और डिनर ऑर्डर करता है जिसकी वहीं डिलीवरी होती है.
दफ्तरों में बने नए नियम
चीन में फरवरी में ज्यादातर दिनों तक लाखों एंप्लॉयीज घर से काम कर रहे थे. इनमें से कइयों के लिए यह एक नया अनुभव था. कुछ लोग अब दफ्तरों में काम करने आने लगे हैं. हालांकि, कारोबारी गतिविधियों में सुस्ती की वजह से मुश्किल में फंसी कुछ कंपनियों ने काम के घंटों और तनख्वाह दोनों को घटा दिया है.
गाओ टिंग जैसे दूसरे एंप्लॉयीज पहले के मुकाबले ज्यादा वक्त तक काम कर रहे हैं क्योंकि वे कारोबार को फिर से पटरी पर लौटाने की कोशिश कर रहे हैं.
पूरे चीन में स्थानीय अफ़सरों ने 2.5 दिन के वीकेंड का प्रस्ताव रखा है ताकि लोगों में खर्च करने का उत्साह पैदा हो.
पूर्वी चीन के जियांग्शी प्रांत ने यह योजना हाल में लागू भी कर दी है. हालांकि, नए उपाय स्वैच्छिक हैं और कंपनियां यह तय कर सकती हैं कि उन्हें इसे कैसे लागू करना है.
हुबेई, गांसु और झेजियांग जैसे दूसरे प्रांतों ने भी 2.5 दिन के वीकेंड का प्रस्ताव रखा है ताकि अर्थव्यवस्था में रफ्तार लाई जा सके.
संक्रमण की दूसरी लहर आने का डर
कोविड-19 के मौजूद होने का खौफ़ हर किसी के दिमाग में अभी भी है. स्वास्थ्य अधिकारियों को चिंता है कि कहीं संक्रमण की दूसरी लहर शहरों को फिर से अपनी चपेट में न ले ले.
कई कमर्शियल बिल्डिंग्स और अपार्टमेंट्स में सिक्योरिटी से जुड़े लोग इनमें आने वालों के तापमान लेते हैं ताकि उनमें मौजूद लक्षणों का पता चल सके.
26 साल की अमल लियू चीन की एक बड़ी सरकारी बीमा कंपनी में काम करती हैं. उनका दफ्तर दक्षिणी शेनजेन में है. उनके दफ्तर में और कई दूसरे दफ्तरों में हर किसी के लिए मास्क पहनना और सामाजिक दूरी का पालन अनिवार्य है.
लियू कहती हैं, “कैंटीन में हमें एक-दूसरे से दूर बैठना होता है.”
लियू बताती हैं कि उन्हें अपने काम के सिलसिले में विदेश में बैठे कुछ ब्रोकरों से भी बात करनी पड़ती है. वह बताती हैं कि ये लोग बता रहे हैं कि उनके यहां भी लंबे वक्त से जारी लॉकडाउन का बुरा असर अब दिखाई देने लगा है.
लियू कहती हैं, “मुझे घर से काम करना अच्छा नहीं लगता था. मैं दफ्तर के मुकाबले घर पर उतनी अच्छी तरह से काम नहीं कर पाती थी.”
लियू ऑफिस के शेड्यूल को नियमित रूप से मानना पसंद करती हैं.
कई अन्य एंप्लॉयीज का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय क्लाइंट्स से उनके संबंध भी घट गए हैं.
एरियल झोंग 25 साल की हैं और वह एक प्रमुख चीनी वीडियो गेम लाइव-स्ट्रीमिंग प्लेटफॉम हू या के लिए काम करती हैं. उनका दफ्तर गुआंगझो में है और वह इमर्जिंग मार्केट्स में कारोबार बढ़ाने की जिम्मेदारी संभालती हैं.
झोंग मेक्सिको में रहती थीं और वह एशिया और लैटिन अमरीका के बीच लगातार ट्रैवल करती रहती थीं, लेकिन वह मार्च के अंत में चीन वापस आ गईं.
चीन वापस लौटने पर सबसे पहले एक होटल में उन्हें क्वारंटीन किया गया और इसके बाद उन्होंने एक हफ्ते तक घर से काम किया. 15 अप्रैल से वह दफ्तर वापस काम पर आ गईं. उन्हें अब यहां कई बड़े बदलाव दिखाई देते हैं.
‘मुझे घर से काम करना बिलकुल अच्छा नहीं लगता था’
चाइनीज़ न्यू ईयर के पहले लियू के कामकाजी घंटे तय थे. वह बताती हैं, “लेकिन, अब हमारे काम शुरू करने और खत्म करने के वक्त में लचीलापन आ गया है. अब इसमें लंच मिलाकर हमें नौ घंटे तक काम करना है.” ऐसा इसलिए है क्योंकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सोशल डिस्टेंसिंग के नियम की वजह से देरी होती है और साथ ही दफ्तर में लोगों का आने और जाने का टाइम एक ही है.
झोंग भले ही अब विदेश यात्रा नहीं कर पा रही हैं, लेकिन वह दफ्तर आने को लेकर काफी खुश हैं. वह एक ज्यादा एफ़ीशिएट वर्क रुटीन को इसकी वजह बताती हैं. खासतौर पर दफ्तर में उन्हें एक स्टेबल और तेज़ इंटरनेट मिलता है. लेकिन, उनकी तनख्वाह में बड़ी गिरावट आई है. विदेश में रहने के चलते उनकी सैलरी का करीब 60 फीसदी हिस्सा इंसेंटिव के तौर पर आता था. अब वह ये इंसेंटिव्स क्लेम नहीं कर पा रही हैं और इस वजह से उनका नुकसान हो रहा है.
क्या कामकाज में लचीलापन बढ़ गया है?
झेंग शियाओमेंग बीजिंग के चियुंग कॉन्ग ग्रेजुएट स्कूल ऑफ़ बिजनेस में ऑर्गनाइजेशनल बिहेवियर की एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं.
उन्होंने पाया है कि कई कर्मचारी घर से काम करने में एफीशिएंसी कम होने की बात स्वीकार रहे हैं.
उनकी टीम के कराए गए एक सर्वे के मुताबिक, आधे से ज्यादा पार्टिसिपेंट्स ने घर से काम करने के दौरान एफीशिएंसी कम होने की बात की है. करीब 37 फीसदी लोगों ने कहा है कि उनकी एफीशिएंसी में कोई बदलाव नहीं हुआ है. जबकि 10 फीसदी से कम लोगों ने कहा है कि घर से काम करने के दौरान उनकी एफीशिएंसी बढ़ गई है.
इस सर्वे में झेंग के बिजनेस स्कूल से निकले एंप्लॉयीज और यहां के पूर्व छात्रों की कंपनियों में काम करने वाले एंप्लॉयीज को शामिल किया गया था. इस सर्वे में ऐसे 5,835 लोगों ने हिस्सा लिया था.
क्रिस्टा पीडरसन बीजिंग में होगन असेसमेंट सिस्टम्स के लिए काम करती हैं. यह एक पर्सनैलिटी असेसमेंट कंपनी है. पीडरसन का कहना है कि चीन एक ज्यादा लचीली वर्कस्टाइल की ओर बढ़ने के लिए एक आदर्श स्थिति में है. यहां टेक्नोलॉजी और इंफ्रास्ट्रक्चर इसकी बड़े स्तर पर मदद कर रहा है. लेकिन, इससे ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी की कुछ कीमत चुकानी पड़ेगी.
3 मई 2020 से मई दिवस की पांच दिन की छुट्टियों में महिलाएं और लड़कियां वुहान में एक्सपो गार्डन घूमने जा रहे हैं. सरकार ने 8 अप्रैल को दूसरी जगहों के लिए ट्रैवल पर लगी पाबंदियां हटा लीं. कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए ट्रैवल पर पिछले 11 हफ्तों से रोक लगी हुई थी.
क्या कर्मचारियों पर पहले के मुकाबले ज्यादा प्रेशर है?
पीडरसन कहती हैं, ‘हमने यह भी देखा है कि किसी भी वक्त पर और हर समय कर्मचारियों से रेस्पॉन्स मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं. अब एंप्लॉयीज पर ज्यादा जल्दी रेस्पॉन्ड करने और वक्त-बेवक्त मीटिंग्स के लिए तैयार रहने का भी दबाव है. कर्मचारियों से उम्मीद की जा रही है कि वे हर समय दफ्तर के काम के लिए तैयार रहें.’
हालांकि, सभी सेक्टरों में ऐसे हालात नहीं हैं.
वह कहती हैं,”हमने सुना है कि हमारे कुछ एसओई (सरकारी मालिकाना हक वाली कंपनियां या स्टेट ओन्ड एंटरप्राइज़) क्लाइंट्स इस बात के तरीके निकाल रहे हैं कि किस तरह से पहले की तरह से दफ्तर आकर काम करने के इंतजाम किए जा सकते हैं.”
पीडरसन का मानना है कि ऐसा इस वजह से है क्योंकि ये बेहद स्ट्रक्चर्ड ऑर्गनाइजेशंस हैं और ये चीजों को करने के लिए एक स्ट्रक्चर पर भरोसा करते हैं.
वह कहती हैं कि पर्सनैलिटी असेसमेंट्स में इन कंपनियों के लीडर्स अक्सर ‘ट्रेडिशन’ और ‘सिक्योरिटी’ ज्यादा स्कोर करते हैं.
वह बताती हैं, “एसओई लीडर्स इन वैल्यूज पर बड़े स्तर पर झुकाव रखने वाले होते हैं. वे उस तरह से काम को करने को वैल्यू देते हैं जिस तरह से इन्हें पहले से किया जा रहा होता है.”
पीडरसन मानती हैं कि इसकी वजह से ऐसे लीडर्स की अगुवाई वाली कंपनियों के लिए बदलाव लाना और नई चीजों को अपनाना मुश्किल साबित हो रहा है.
‘हम यह नहीं बता सकते कि हम सुरक्षित हैं या नहीं’
पूरा चीन कोविड-19 से वुहान के जैसे बुरी तरह से प्रभावित नहीं हुआ है, लेकिन लोगों की जिंदगियों पर इसका असर पड़ने लगा है.
हे कुनफैंग 75 साल की हैं. वह चाइनीज़ मेडिसिन की एक रिटायर्ड डॉक्टर हैं. वह दक्षिण-पश्चिम चीन के युनान प्रांत के कुनमिंग शहर में अपने पति के साथ रहती हैं.
वह कहती हैं,”हम पर वायरस का ज्यादा असर नहीं हुआ. खाने-पीने और सब्जियों की आपूर्ति जारी है. लेकिन, हम हफ्ते में तीन बार स्विमिंग करने नहीं जा पा रहे हैं. अब हम पूल नहीं जा सकते हैं.”
उनकी बेटी उम्र के तीसवें दशक में चल रही हैं. वह ज्यादातर बीजिंग में रहती हैं. लेकिन, वह अब अपने पेरेंट्स के साथ रह रही हैं.
कुनफैंग कहती हैं, “मेरी बेटी एक फ्रीलांस कॉन्फ्रेंस इंटरप्रेटर है. उसकी नौकरी पर बुरा असर पड़ा है.” चीन में ट्रैवल पर अभी भी बड़े पैमाने पर पाबंदियां लगी हुई हैं और ऐसे में अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस बिजनेस और टूरिज्म पर बेहद बुरा असर पड़ा है. पूरी दुनिया में ही ऐसा हो रहा है.
वह बताती हैं,”मेरी बेटी को बीजिंग में घर का किराया और दूसरे लोन चुकाने पड़ रहे हैं. इसके अलावा फीस और इंश्योरेंस चैसी चीजों का भी उसे खुद ही भुगतान करना पड़ रहा है.”
हुबेई में खुलने लगे स्कूल
जनवरी अंत में हुबेई में स्कूल बंद कर दिए गए थे. लेकिन, मार्च के मध्य से स्कूलों को धीरे-धीरे खोला जाना शुरू कर दिया गया है. 27.8 करोड़ छात्रों को देखते हुए स्कूलों में लॉजिस्टिक्स और टाइमिंग बेहद महत्वपूर्ण हो गई है.
चरणबद्ध तरीके से सभी प्रांतों में स्कूलों को खोला जा रहा है. लेकिन, हुबेई में सबसे आखिर में मई की शुरुआत में स्कूलों का खुलना शुरू हो गया.
साथ ही स्कूलों में भी दफ्तरों की तरह ही सावधानियां रखी जा रही हैं. इन्हें अलग-अलग समय पर खोला जा रहा है. बच्चों का तापमान चेक किया जा रहा है. साथ ही बच्चों को मास्क लगाना और सामाजिक दूरी का पालन भी करवाया जा रहा है.
एक सरकारी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन के लिए काम करने वाली युन ताओ का दफ्तर बीजिंग में है. उनकी 16 साल की बेटी के लिए यह सब आसान नहीं है.
वह कहती हैं,”मैं दिन में तीन बार अपनी बेटी के लिए खाना बनाते-बनाते थक गई हूं. अपनी बेटी की देखभाल करने के अलावा मुझे काफी सारा वक्त उसकी पढ़ाई करवाने पर भी देना पड़ता है. साथ ही मुझे अपनी नौकरी का भी रोज़ाना का काम करना पड़ता है. ऐसे में यह साफ है कि मैं दफ्तर के मुकाबले घर पर उतना ज्यादा प्रोडक्टिव नहीं हो पा रही हूं.”
‘ऐसा लगता है मुझे आराम का मौका ही नहीं मिल रहा’
युन की एकमात्र बेटी बीजिंग के एक इंटरनेशनल हाई स्कूल में फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट हैं. वह पिछले तीन महीने से स्कूल नहीं गई हैं.
युन कहती हैं, “लॉकडाउन के चलते ऑनलाइन लर्निंग की मजबूरी पैदा हो गई है और इसकी अपनी दिक्कतें हैं. मेरी बेटी पढ़ाई को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं रहती है, ऐसे में एक पेरेंट के तौर पर हमारी जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई है. बेटी को मिलने वाले काम के प्रिंटआउट लेने, उसकी रोज़ाना की उपस्थिति मार्क करने, तकनीकी दिक्कतों को हल करने जैसे तमाम कामों में हमें खुद लगना पड़ रहा है. अब तो ऐसा लगने लगा है कि घर के कामकाज करने और फिर दफ्तर के काम करने के बाद मेरे पास आराम करने का कोई वक्त ही नहीं बचता है.”
वह कहती हैं,”हालांकि, एक अच्छी चीज भी इस दौरान हुई है, मैं अब पहले के मुकाबले ज्यादा अच्छा खाना बनाने लगी हूं.”
कई देश चीन की ओर इस वक्त देख रहे हैं. चीन को देखकर दुनिया जानना चाहती है कि घर पर रहने की पाबंदियां खत्म होने और दफ्तर और आवाजाही के खुलने के बाद जिंदगी कैसी शक्ल ले रही है.
लेकिन, चीन में अभी भी काफी अनिश्चितता बनी हुई है. चीन में कई लोग दुनिया के बाकी देशों को वायरस को फैलने से रोकने के लिए जंग करता देखकर डरे हुए हैं.
एरियल झोंग कहती हैं, “हम अभी भी कोरोना वायरस के दौर में हैं. अभी यह बीते हुए कल की बात नहीं हुई है.” वह कहती हैं कि इस महामारी को खत्म करने के लिए पूरी दुनिया को एकसाथ आकर कोशिश करनी होगी.
वह कहती हैं,”दूसरे देशों में हालात जिस तरह के हैं उसे देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि हम सुरक्षित हैं. अगर दूसरे देश इसे कंट्रोल नहीं कर पाते हैं तो हमारे ऊपर इसका असर पड़ना तय है.”
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