‘मरजावां‘ के डायरेक्टर मिलाप ज़ावेरी ने 2002 की कल्ट मूवी ‘कांटे’ के डायलॉग लिखे हैं. कांटे में उनका एक डायलॉग है
कहानी में ट्विस्ट हो न, तो मज़ा आता है.
लेकिन वो ये कहीं नहीं बताते कि क्या हो अगर कहानी में ज़रूरत से कहीं ज़्यादा ट्विस्ट हों और कोई एक सिरा पकड़ना ही असंभव हो जाए?
कहानी
अन्ना मुंबई में पानी के टैंकरों की कालाबाज़ारी करता है. जब रघु ‘इतना सा’ था तब अन्ना उसे गटर से उठाकर लाया था. अन्ना का एक सगा बेटा भी है. नाम है- विष्णु. यूं ‘विष्णु’ अन्ना का वारिस है और रघु ‘लावारिस’. जैसा रघु एक जगह कहता है.
विष्णु, रघु से नफ़रत करता है. क्यूंकि अन्ना उससे ज़्यादा रघु को चाहता है. रघु की प्रेमिका ज़ोया एक कश्मीरी लड़की है, जो बोल नहीं सकती. विष्णु की नफरतों और जलन के चलते इन सभी करैक्टर्स और उनकी कहानियों में ट्विस्ट एंड टर्न्स आते हैं और अंत में कहानी का किसी एटीज़-नाइंटीज़ वाली फिल्म सरीखा इमोशनल क्लाइमेक्स होता है.
स्क्रिप्ट
‘परिंदा’, ‘ग़ुलाम’, ’देवदास’, ‘अग्निपथ’, ‘कयामत से कयामत तक’, ‘गजनी’, ‘काबिल’, ‘लावारिस’ और ‘केजीएफ’ जैसी ढेरों मूवीज़ की याद दिलाती इस मूवी की स्क्रिप्ट कहीं से भी नई नहीं है. लेकिन इस सब के बावज़ूद स्क्रिप्ट के कई मोमेंट्स हैं जहां पर ये दर्शकों को शोर मचाने, गुस्सा दिलाने और इमोशनल होने पर मजबूर करती है.
दुःख इस बात का होता है कि ‘विष्णु’, ‘अन्ना’ और ‘रघु’ के करैक्टर्स मल्टीलेयर्ड होने का माद्दा रखते थे. लेकिन स्क्रिप्ट में एफर्ट्स की कमी के चलते वो ‘परिंदा’ के ‘नाना पाटेकर’ या ‘सत्या’ के ‘जे डी चक्रवर्ती’ के आस-पास भी नहीं फटक पाए.
केवल स्क्रिप्ट ही नहीं, डायलॉग्स से लेकर म्यूज़िक तक में अगर सबसे ज़्यादा कमी खलती है तो वो है फिनिशिंग टच की.
एक और दिक्कत ये है कि इसमें एक्शन को ज़्यादा भाव दिया गया है, जबकि इसका रोमांस वाला पार्ट ज़्यादा उभर कर आता, ऐसा मेरा मानना है.
म्यूज़िक
मूवी का म्यूज़िक एक्सेप्शनल नहीं कहूंगा लेकिन पिछले दिनों आईं कई मूवी एलबम्स से कहीं बेहतर है. ‘तुम ही आना’ एक नज़्म सरीखी है जिसके लिरिक्स और म्यूज़िक एक दूसरे को बेहतरीन तरह से कॉम्प्लीमेंट करते हैं. इसे कई जगह ‘सैड ट्यून’ की तरह बैकग्राउंड में यूज़ किया गया है. अरिजीत का गाया हुआ ‘थोड़ी जगह’ गीत अपने लिरिक्स और म्यूज़िक के चलते आशिकी 2 एल्बम की याद दिलाता है. ‘एक तो कम जिंदगानी’, ‘किन्ना सोणा’ और ‘हैया हो’ गीत पुराने हिट गीतों के नए वर्ज़न हैं, जो आजकल की फिल्मों का नॉर्म बन चुका है.
ट्रेलर वर्सेज़ मूवी
मूवी देखने जाने के अनुभव को बहुत सी चीज़ें प्रभावित करती हैं. उनमें से एक है मूवी का ट्रेलर. तो अगर आप ‘मरजांवा’ का ट्रेलर देखकर मूवी के ऐंवे-ऐंवे होने की उम्मीद लगा रहे हैं तो आप सरप्राइज़ हो सकते हैं. क्यूंकि मूवी उतनी बुरी नहीं है जितना इसका ट्रेलर.
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